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बासुकीनाथ मंदिर के गुंबद से उतरा गया पंचशूल, धूमधाम से चल रही शिव-पार्वती विवाह की तैयारी - MAHASHIVRATRI 2025

महाशिवरात्रि के अवसर पर दुमका के बासुकीनाथ मंदिर की गुंबद से पंचशूल उतारकर, उसकी पूजा की गई.

MAHASHIVRATRI 2025
पंचशूल के साथ लोग (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 25, 2025, 6:53 PM IST

दुमकाः बासुकीनाथ में गर्भ गृह मंदिर के ऊपर विराजमान पंचशूल और कलश को मंदिर कर्मियों द्वारा विधि विधान पूर्वक उतारा गया और पूजा की गई. श्रद्धालुओं को दर्शन कराया गया.

महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के गुंबज पर पंचशूल स्थापित किया गया

विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम में महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व की शुरुआत सोमवार से हो गई. भोलेनाथ के मुख्य मंदिर के गुंबद पर स्थापित पंचशूल, कलश, ध्वज एवं अन्य त्रिशूल के अलावा माता पार्वती, माता काली, माता अन्नपूर्णा, श्री कृष्ण मंदिर, आनंद भैरव सहित अन्य मंदिरों के गुंबदों पर स्थापित कलश एवं त्रिशूल को उतारा गया. इसकी साफ सफाई करने के उपरांत वापस बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर दोपहर में विशेष पूजा अर्चना करने के बाद इनके पूर्व निर्धारित स्थलों पर स्थापित किया जाएगा.

पंचशूल, त्रिशूल एवं कलश उतारे गये

सोमवार को उतारे गए इन पंचशूल, त्रिशूल एवं कलश को स्पर्श करने एवं आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि पंचशूल के दर्शन व स्पर्श मात्र से पुण्य फल की प्राप्ति होती है व सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.

आज पूरे विधि विधान के साथ कंसा भुंजाई की रस्म भी जारी है. बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए मंदिर कर्मियों और स्थानीय लोगों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ महाशिवरात्रि के अवसर पर जैसे लोग अपने घरों में पुत्र-पुत्री के विवाह में रस्म करते हैं और खुशी मनाते हैं वैसे ही बाबा भोलेनाथ और मैया पार्वती विवाह उत्सव मनाया जाता है.

बाबा बासुकीनाथ मंदिर के गुंबद से विधि विधान पूर्वक उतारा गया पंचशूल और कलश

श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में ही पंचशूल और कलश रखा गया है ताकि श्रद्धालु बाबा के पंचशूल के दर्शन कर सके. मंदिर परिसर में ही महिलाओं द्वारा कंसा भुंजाई की रस्म की जा रही है. बुधवार देर रात आकर्षक शिव बारात निकलेगी और शिव विवाह होगा.

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विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ धाम में महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व की शुरुआत सोमवार से हो गई. भोलेनाथ के मुख्य मंदिर के गुंबद पर स्थापित पंचशूल, कलश, ध्वज एवं अन्य त्रिशूल के अलावा माता पार्वती, माता काली, माता अन्नपूर्णा, श्री कृष्ण मंदिर, आनंद भैरव सहित अन्य मंदिरों के गुंबदों पर स्थापित कलश एवं त्रिशूल को उतारा गया. इसकी साफ सफाई करने के उपरांत वापस बुधवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर दोपहर में विशेष पूजा अर्चना करने के बाद इनके पूर्व निर्धारित स्थलों पर स्थापित किया जाएगा.

पंचशूल, त्रिशूल एवं कलश उतारे गये

सोमवार को उतारे गए इन पंचशूल, त्रिशूल एवं कलश को स्पर्श करने एवं आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. मान्यता है कि पंचशूल के दर्शन व स्पर्श मात्र से पुण्य फल की प्राप्ति होती है व सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.

आज पूरे विधि विधान के साथ कंसा भुंजाई की रस्म भी जारी है. बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाते हुए मंदिर कर्मियों और स्थानीय लोगों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ महाशिवरात्रि के अवसर पर जैसे लोग अपने घरों में पुत्र-पुत्री के विवाह में रस्म करते हैं और खुशी मनाते हैं वैसे ही बाबा भोलेनाथ और मैया पार्वती विवाह उत्सव मनाया जाता है.

बाबा बासुकीनाथ मंदिर के गुंबद से विधि विधान पूर्वक उतारा गया पंचशूल और कलश

श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में ही पंचशूल और कलश रखा गया है ताकि श्रद्धालु बाबा के पंचशूल के दर्शन कर सके. मंदिर परिसर में ही महिलाओं द्वारा कंसा भुंजाई की रस्म की जा रही है. बुधवार देर रात आकर्षक शिव बारात निकलेगी और शिव विवाह होगा.

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