जयपुर : दुनियाभर में अपनी पहचान रखने वाले जयपुर शहर के परकोटे में करीब 150 से ज्यादा भवन जर्जर हैं, जिन्हें न तो संवारा जा रहा है और न ही ढहाया जा रहा है. ऐसे में ये भवन स्थानीय लोगों के लिए खतरे की घंटी बने हुए हैं, लेकिन निगम प्रशासन सिर्फ नोटिस देकर खुद की पीठ थपथपा रहा है. वहीं, जिन शक्तियों के तहत निगम को नोटिस देने का अधिकार है, उन्हीं शक्तियों के तहत निगम इन जर्जर इमारतों को गिरा भी सकता है.
150 से ज्यादा भवन जर्जर : हाल ही में जयपुर के चांदपोल बाजार स्थित तोपखाना के रास्ते में एक जर्जर मकान का हिस्सा भरभरा कर गिर गया, जिसमें एक व्यक्ति की दबने से मौत भी हो गई. इस मकान को भी निगम प्रशासन ने नोटिस दिया था, लेकिन किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई. नतीजा एक व्यक्ति काल का ग्रास बना. शहर की चारदीवारी में अभी भी इक्का-दुक्का नहीं बल्कि 150 से ज्यादा भवन ऐसे हैं, जो न सिर्फ जयपुर की साख पर बट्टा लगा रहे हैं, बल्कि दुर्घटना को भी न्योता दे रहे हैं.
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भवन मालिक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे : पुराने शहर में नाटाणियों का रास्ता, व्यास जी की गली, खेजड़ों का रास्ता, दीनानाथ जी की गली और घाटगेट के नजदीक ऐसे कई मकान देखने को मिल जाएंगे, जो चीख-चीख कर अपनी मरम्मत की दुहाई दे रहे हैं, लेकिन भवन मालिक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे. नतीजन अब ये जर्जर भवन आस-पास के लोगों के लिए भी खतरा बन गए हैं. हेरिटेज नगर निगम प्रशासन ने ऐसे मकानों को चिह्नित कर भवन मालिकों को नोटिस जरूर थमाए हैं.
महज 1 भवन को ध्वस्त किया गया : जर्जर मकानों को चिह्नित कर राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 243 के तहत भवन मालिकों को नोटिस जारी किए गए, जिसमें स्पष्ट लिखा गया कि या तो मकान खाली कर ढहा दें, या फिर मरम्मत कर इसे सुरक्षित करें. साथ ही चेतावनी भी दी गई कि यदि भवन मालिक मकान ध्वस्त नहीं करता है, तो निगम ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा. हालांकि, कार्रवाई के नाम पर किशनपोल जोन में महज 1 भवन को ध्वस्त किया गया.
चिह्नित इमारत को नोटिस दिया गया : वहीं, हेरिटेज निगम के डीसी लैंड श्रवण कुमार विश्नोई ने बताया कि हर जोन में जोन उपायुक्त से सर्वे कराया गया था. साथ ही चिह्नित इमारत को नोटिस दिया गया था कि बारिश का मौसम है, भवन जर्जर अवस्था में है, इसलिए सुरक्षा संबंधी सभी उपाय करें. इसमें रहवास नहीं करें, ताकि बारिश के समय यदि कोई हादसा होता है तो जान-माल को किसी तरह की हानि न हो. ऐसे मकानों में यदि कोई रहता मिला तो उन्हें नोटिस हैंडओवर किया गया और खाली था तो भवन पर नोटिस चस्पा किया गया.
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इमारत को दुरुस्त करवाएं या फिर तोड़ें : उन्होंने बताया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 243 में ये प्रोविजन है यदि इमारत बहुत ज्यादा बदहाल हो और आस-पड़ोस के लोग भी नुकसान होने के अंदेशे के चलते इसे ढहाने की डिमांड करते हैं तो ऐसी स्थिति में संबंधित भवन मालिक को नोटिस दिया जाता है. उनसे कहा जाता है कि इमारत को दुरुस्त करवाएं या फिर तोड़ें. फिर भी भवन मालिक ऐसा नहीं करता है तो फिर तकनीकी अधिकारियों की ओर से विस्तृत जांच के बाद सुरक्षा उपाय अपनाते हुए संबंधित इमारत को तोड़ते हैं.
हालांकि जानकारों की मानें तो बहुत से मामलों में विवाद होने के चलते न तो इस तरह के भवनों की मरम्मत की जा रही है और न ही उन्हें तोड़ा जा रहा है. बहरहाल निगम की सूची में कई जर्जर मकान 150 साल पुराने भी हैं, जिनकी दीवारों पर से चूना हट चुका है और अब वे सिर्फ पत्थरों की दीवारों पर टिके हैं. बावजूद इसके निगम की कार्रवाई महज कागजों तक सीमित है. मानों निगम किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा हो.