लखनऊ : उत्तर प्रदेश में फीडर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर पर बिना क्लीयरेंस के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगना शुरू हो गए हैं. साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया है. उपभोक्ता परिषद ने कंपनियों की इस मनमानी पर आपत्ति जाहिर की है और पाॅवर कॉरपोरेशन से सवाल किया है. परिषद की तरफ से तर्क दिया गया है कि पाॅवर काॅरपोरेशन के आईटी विंग को इंटीग्रेशन क्लीयरेंस देना चाहिए उसके बाद स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगना शुरू होना चाहिए, लेकिन बिना क्लीयरेंस दिए ही ज्यादातर बिजली कंपनियों में मीटर लगना शुरू हो गए हैं जो गंभीर मामला है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने इसकी जानकारी निदेशक आईटी पाॅवर कॉरपोरेशन सहित सभी बिजली निगमों के निदेशकों को दी है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का निरीक्षण परीक्षण सभी बिजली कंपनियों में अभियंताओं ने शुरू किया, लेकिन कहीं भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर को खोलकर नहीं देखा गया कि उसमें कॉम्पोनेंट चाइनीज हैं या इंडियन. सबसे बडा चौंकाने वाला मामला यह है कि भारत सरकार की तरफ से जारी आरएफपी में प्रावधानित था कि फीडर पर लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर पर लगने वाले मीटर सहित एलटी सीटी मीटर डबल सिम कार्ड पर आधारित होंगे, लेकिन बिजली कंपनियों के अभियंताओं ने परीक्षण करने के बाद देखा ही नहीं कि उसमें सिंगल सिम पोर्ट है या डबल सिम पोर्ट. सभी बिजली कंपनियों मे एक स्मार्ट प्रीपेड मीटर निर्माता को छोड़ दिया जाए तो सभी स्मार्ट प्रीपेड मीटर केवल सिंगल सिम आधारित हैं. ये भारत सरकार की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन है.
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब बिजली कंपनियों मे बिजली दर की सुनवाई हो रही थी तो सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशकों ने अपने प्रस्तुतीकरण में बढ़-चढ़कर बताते हुए कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगना शुरू हो गया, लेकिन उपभोक्ता परिषद ने उस पर नजर दौड़ाई और जब छानबीन की तो खुलासा हुआ कि 25 हजार करोड़ की लागत से ज्यादा की परियोजना में जब अभी से इस प्रकार से लापरवाही चल रही है तो आने वाले समय में क्या होगा. पूर्व में 40 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर का प्रोजेक्ट फेल हो गया और आज भी पुरानी तकनीकी के 12 लाख मीटर जिन उपभोक्ताओं के घर में लगे हैं वह परेशान हैं. यही हाल इसका भी होने वाला है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पाॅवर कॉरपोरेशन प्रबंधन और बिजली कंपनियों को इस प्रकार की कार्रवाई में जो भी लिप्त हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
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