ETV Bharat / state

बंपर बारिश ने प्याज उत्पादक किसानों की राह में डाला रोड़ा, अब तक 30 फीसदी ही हो पाई बुवाई - Alwar red onion - ALWAR RED ONION

इस साल अच्छी बारिश से किसानों सहित अलवरवासी गदगद हैं, लेकिन लाल प्याज उत्पादकों की लगातार बारिश ने चिंता बढ़ा दी है. मानसून के ज्यादातर दिनों में बारिश होने से मौसम नहीं खुल पाया, जिससे जिले में लाल प्याज की बुवाई पूरी नहीं हो पाई है.

बारिश ने प्याज उत्पादकों की बढ़ाई चिंता
बारिश ने प्याज उत्पादकों की बढ़ाई चिंता (ETV Bharat GFX)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2024, 6:32 AM IST

बारिश ने प्याज उत्पादकों की बढ़ाई चिंता (ETV Bharat Alwar)

अलवर : लाल प्याज उत्पादन में अलवर जिला राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देशभर में विशेष स्थान रखता है. पूरे देश में अलवर के लाल प्याज की मांग रहती है. यही कारण है कि हर साल प्याज के व्यापारियों को अलवर के लाल प्याज का इंतजार रहता है. इस साल प्याज व्यापारियों का यह इंतजार और भी लंबा हो सकता है. इसका कारण है कि अच्छी बारिश के चलते इस साल जिले में प्याज की बुवाई में देरी हुई है. अभी जिले में लाल प्याज बुवाई का एक चौथाई लक्ष्य ही पूरा हो पाया है, जबकि लाल प्याज बुवाई का यह आखिरी समय चल रहा है. आगामी 15 दिन में जिले में मौसम खुला नहीं रहा और बारिश का दौर यूं ही जारी रहा, तो लाल प्याज बुवाई का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद कम है.

अर्थ व्यवस्था का आधार है लाल प्याज की फसल : लाल प्याज के व्यापारी अभय सैनी पप्पूभाई ने बताया कि लाल प्याज किसानों की खुशहाली का कारण ही नहीं, बल्कि अलवर जिले की अर्थव्यवस्था की धुरी भी मानी जाती है. यही कारण है कि अलवर जिले में लाल प्याज बुवाई का रकबा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. पिछले कुछ सालों में अच्छा मुनाफा मिलने के कारण किसान परंपरागत खेती को छोड़ लाल प्याज की बुवाई करने लगे हैं. गुणवत्ता में अच्छी और स्वाद में तीखी होने के कारण अलवर के लाल प्याज की भारत ही नहीं विदेशों में सप्लाई की जाती है.

लाल प्याज
प्याज की बुवाई के आंकड़े (ETV Bharat GFX)

इसे भी पढ़ें- लाल प्याज से किसान होंगे निहाल, अच्छी उपज की उम्मीद में सरकार ने बढ़ाया रकबा, पूरे प्रदेश की 81 फीसदी बुवाई अलवर जिले में होगी - RED ONION OF ALWAR

लाल प्याज की गुणवत्ता भी रह सकती है कमजोर : लाल प्याज के व्यापारी अभय सैनी पप्पूभाई का कहना है कि अलवर जिले की लाल प्याज को देश भर में खैरथल की प्याज के नाम से जाना जाता है. वैसे सितंबर के अंत तक जिले में लाल प्याज की बुवाई पूरी हो जाती है, जिससे सर्दी की शुरुआत में लाल प्याज की फसल तैयार होकर मंडी में पहुंचना शुरू हो जाती है. इससे किसानों को लाल प्याज के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं, लेकिन इस बार अलवर जिले में लगातार बारिश का दौर रहने से अभी तक 30 फीसदी ही लाल प्याज की बुवाई हो सकी है.

पप्पूभाई ने बताया कि जिले में अगस्त-सितंबर में लाल प्याज की बुवाई पूरी हो जाती है और दीपावली बाद गुलाबी सर्दी की दस्तक के साथ ही खेतों से प्याज निकलना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार लाल प्याज की बुवाई में देरी हो रही है. इस कारण प्याज की फसल भी देरी से तैयार होगी. लाल प्याज बुवाई के बाद मौसम में गर्माहट के साथ ही जमीन में प्याज का आकार बढ़ता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन इस बार सर्दी शुरू होने तक प्याज की फसल तैयार होने के आसार कम हैं. मौसम सर्द रहने से जमीन में प्याज पूरी तरह आकार नहीं ले पाएगा. वहीं, प्याज की फसल में नमी रहने की संभावना भी है, जिससे उसकी गुणवत्ता व स्वाद प्रभावित होगा और पैदावार भी कम होगी.

बारिश ने प्याज उत्पादकों की बढ़ाई चिंता (ETV Bharat Alwar)

अलवर : लाल प्याज उत्पादन में अलवर जिला राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देशभर में विशेष स्थान रखता है. पूरे देश में अलवर के लाल प्याज की मांग रहती है. यही कारण है कि हर साल प्याज के व्यापारियों को अलवर के लाल प्याज का इंतजार रहता है. इस साल प्याज व्यापारियों का यह इंतजार और भी लंबा हो सकता है. इसका कारण है कि अच्छी बारिश के चलते इस साल जिले में प्याज की बुवाई में देरी हुई है. अभी जिले में लाल प्याज बुवाई का एक चौथाई लक्ष्य ही पूरा हो पाया है, जबकि लाल प्याज बुवाई का यह आखिरी समय चल रहा है. आगामी 15 दिन में जिले में मौसम खुला नहीं रहा और बारिश का दौर यूं ही जारी रहा, तो लाल प्याज बुवाई का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद कम है.

अर्थ व्यवस्था का आधार है लाल प्याज की फसल : लाल प्याज के व्यापारी अभय सैनी पप्पूभाई ने बताया कि लाल प्याज किसानों की खुशहाली का कारण ही नहीं, बल्कि अलवर जिले की अर्थव्यवस्था की धुरी भी मानी जाती है. यही कारण है कि अलवर जिले में लाल प्याज बुवाई का रकबा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है. पिछले कुछ सालों में अच्छा मुनाफा मिलने के कारण किसान परंपरागत खेती को छोड़ लाल प्याज की बुवाई करने लगे हैं. गुणवत्ता में अच्छी और स्वाद में तीखी होने के कारण अलवर के लाल प्याज की भारत ही नहीं विदेशों में सप्लाई की जाती है.

लाल प्याज
प्याज की बुवाई के आंकड़े (ETV Bharat GFX)

इसे भी पढ़ें- लाल प्याज से किसान होंगे निहाल, अच्छी उपज की उम्मीद में सरकार ने बढ़ाया रकबा, पूरे प्रदेश की 81 फीसदी बुवाई अलवर जिले में होगी - RED ONION OF ALWAR

लाल प्याज की गुणवत्ता भी रह सकती है कमजोर : लाल प्याज के व्यापारी अभय सैनी पप्पूभाई का कहना है कि अलवर जिले की लाल प्याज को देश भर में खैरथल की प्याज के नाम से जाना जाता है. वैसे सितंबर के अंत तक जिले में लाल प्याज की बुवाई पूरी हो जाती है, जिससे सर्दी की शुरुआत में लाल प्याज की फसल तैयार होकर मंडी में पहुंचना शुरू हो जाती है. इससे किसानों को लाल प्याज के भाव भी अच्छे मिल जाते हैं, लेकिन इस बार अलवर जिले में लगातार बारिश का दौर रहने से अभी तक 30 फीसदी ही लाल प्याज की बुवाई हो सकी है.

पप्पूभाई ने बताया कि जिले में अगस्त-सितंबर में लाल प्याज की बुवाई पूरी हो जाती है और दीपावली बाद गुलाबी सर्दी की दस्तक के साथ ही खेतों से प्याज निकलना शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार लाल प्याज की बुवाई में देरी हो रही है. इस कारण प्याज की फसल भी देरी से तैयार होगी. लाल प्याज बुवाई के बाद मौसम में गर्माहट के साथ ही जमीन में प्याज का आकार बढ़ता है, जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है, लेकिन इस बार सर्दी शुरू होने तक प्याज की फसल तैयार होने के आसार कम हैं. मौसम सर्द रहने से जमीन में प्याज पूरी तरह आकार नहीं ले पाएगा. वहीं, प्याज की फसल में नमी रहने की संभावना भी है, जिससे उसकी गुणवत्ता व स्वाद प्रभावित होगा और पैदावार भी कम होगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.