पटनाः बिहार की जीविका की चर्चा पिछले डेढ़ दशक से खूब हो रही है. बिहार ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन समिति नाम से यह संस्था ग्रामीण विकास विभाग से निबंधित संस्था के तौर पर काम करती है. इसने ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति बदलने में बड़ी भूमिका निभा रही है. महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. शुक्रवार को सीएम ने सहरसा में आयोजित एक कार्यक्रम में जीविका दीदी से मुलाकात की और उनके बीच चेक का वितरण किया. सीएम ने कहा कि आज जीविका के माध्यम से महिलाएं खूब आगे बढ़ रही हैं.
सीएम नीतीश कुमार ने की थी शुरुआतः बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने 2006 में विश्व बैंक से लोन लेकर जीविका की स्थापना की थी. आज इससे 10 लाख 51000 स्वयं सहायता समूह है. एक करोड़ 31 लाख महिलाएं जुड़ी हुई है. पिछले साल तक जीविका ने कुल 34000 करोड़ रुपए ऋण लिया था. जीविका दीदी आज इतनी तेजी से आगे बढ़ रही हैं कि उनके कार्यों को लेकर दूसरे राज्य की टीम बी बिहार का दौरा कर रही है. जीविका दीदी देश-विदेश जाकर ट्रेनिंग दे रही हैं. यहां तक कि शैक्षणिक रूप से कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद आईएएस की ट्रेनिंग में भी बुलाया जा रहा है. जीविका ने ग्रामीण महिलाओं को आज उद्यमी बना दिया है.
अमेरिका तक चर्चाः अमेरिका के मशहूर उद्यमी और शेफ आइटन बर्नाथ जब 2023 में बिहार दौरे पर आए थे. उन्होंने दीदी की रसोई में देसी जायका लिट्टी चोखा, ठेकुआ, रोटी बनाने का हुनर सीखा था और इसे अपने यूट्यूब पर भी डाला था, जो काफी चर्चा में रही थी. जो महिलाएं घर से कभी बाहर नहीं निकलती थी आज देश-विदेश तक पहुंच रही है. स्वंय सहायता समूह बनाकर आज लाखों कमा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति बदल रही है.
शराबबंदी में जीविका का हाथः बिहार में पूर्ण शराबबंदी के पीछे जीविका की दीदियों का ही हाथ रहा है. जीविका के पटना में कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री से जीविका की दीदियों ने ही मांग की थी बिहार में पूर्ण शराबबंदी हो. नीतीश कुमार ने उस समय आश्वासन दिया था की 2015 में जब उनकी सरकार बनेगी फिर से तो पूर्ण शराबबंदी लागू करेंगे. सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने अपना वादा पूरा किया और 2016 में पूर्व शराबबंदी हो गयी. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि जीविका ने गांव की महिलाओं को बदल कर रख दिया है.
"जीविका के बारे में जितनी बात मैं कहूंगा, आप लोगों को विश्वास नहीं होगा. जीविका आज बिहार को बदल रहा है. महिलाएं आर्थिक रूप से संपन्न हो रही है. सामाजिक शैक्षणिक स्थिति में सुधार हो रही है. आज जीविका दीदी विदेश जाकर ट्रेनिंग दे रही हैं. आईएएस की ट्रेनिंग में उन्हें बुलाया जा रहा है. मुजफ्फरपुर में जब हम एक कार्यक्रम में 6 महीना पहले गए थे तो वहां की एक महिला ने कहा कि 45 मिनट हम मसूरी जाकर ट्रेनिंग दिए हैं." -श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री.
महिलाएं कंपनी में शेयर होल्डरः जीविका से जुड़ने वाली नीतू देवी ने कहा कि 'पहले तो हम लोग घर से बाहर नहीं निकाल पाते थे. आज हम लोग अपने पैरों पर खड़े हैं. नीतू देवी आज वैशाली हाजीपुर में मधु उत्पादन कंपनी में शेयर होल्डर है. 700 महिलाएं इससे जुड़ी हुई है. नीतू का कहना है कि 'पहले तो घर से बाहर नहीं निकलती थी. 2022 में जीविका से जुड़ी और मधु उत्पादन के काम में लगी है.' कंपनी से लोन भी मिला. कहा कि अब वे लोग अच्छी कमाई हो रही है. इसके अलावे अन्य जिलों से भी महिलाएं जुड़ी हुई है जो आज आत्मनिर्भर बन रही है.
कपड़ा कारखाना में भागीदारीः भभुआ कैमूर की रहने वाली रानी देवी ने 2016 से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जीविका से जुड़ी हैं. पहले 50000 का लोन लेकर दुकान शुरू की. कई बार लोन ले चुकी हैं और समय पर बैंक को लौटाया भी है. रानी देवी का कहना है कि 'हम लोग जीविका के कारण आज आत्मनिर्भर हो चुके हैं. ब्रह्मशिला देवी कोईलवर से हैं. 2015 में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से जीविका से जुड़ी है. पहले घर से बाहर नहीं निकलती थी और आज आत्मनिर्भर हैं. परिवार को भी मदद पहुंचा रही हैं.' कोईलवर में कपड़ा सिलाई का कारखाना स्थापित हुआ है, उसमें इनकी कंपनी की भागीदारी है.
ग्राहक सेवा केंद्र की स्थापनाः जीविका की दीदी आज बैंकिंग कार्य में भी दक्ष हो गई है. जीविका के वैकल्पिक बैंकिंग मॉडल के तहत 56 बैंक सखियों के माध्यम से ग्राहक सेवा केंद्र की स्थापना करके ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय लेनदेन का काम कर रही है. इसके तहत 10742.07 करोड़ की लेनदेन कर चुकी है. जीविका के सखी मॉडल के तहत मछली पालन, मधुमक्खी पालन जैसे बड़े काम किए जा रहे हैं.
मछली पालन में आगे बढ़ रही महिलाएंः जल जीवन हरियाली अभियान के तहत 32 जिलों के 109 प्रखंड में स्वयं सहायता समूह द्वारा मछली पालन का काम शुरू किया गया है. 124 तालाब इन्हें आवंटित की गई है. इसमें से 91 में मछली पालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है. मधुमक्खी पालन के तहत 419 उत्पादक समूह के जरिए 11789 परिवारों को जोड़ा गया है. दीदी की रसोई की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है. समुदाय आधारित कैंटीन पूरी तरह से महिलाओं के स्वामित्व वाला उद्यम है. आज 115 इकाइयां जीविका के द्वारा स्थापित की गई हैं.
खेती से लेकर दूध उत्पादनः स्वयं सहायता समूह को 9000 से अधिक किराना दुकान की सेवाएं उपलब्ध करवा कर रोजगार से जोड़ा गया है. कृषि के क्षेत्र में 14.72 लाख किसान धान की, 13.2 लाख किसान गेहूं की खेती कर रही हैं 9.33 लाख किसान सब्जियों की खेती कर रही है और 15.44 लाख रसोई बारी लगाई है. 1.8 लाख स्वयं सहायता समूह सदस्य मुर्गी पालन, 1.23 लाख सदस्य दूध उत्पादन, 3.5 लाख बकरी पालन और 2.3 लाख कृषि के अन्य काम में लगी हुई हैं. कृषि कार्य के लिए जीविका दीदी को ड्रोन की भी ट्रेनिंग दी गयी है.
कई राज्य ले रहे दिलचस्पीः दीदी की रसोई मॉडल में पंजाब, कर्नाटक, गुजरात की सरकार ने दिलचस्पी ली है. अस्पताल, स्कूल, बैंक और ऑफिस में जीविका की दीदी आज कैंटीन चला रही हैं. अस्पतालों में कपड़ों की धुलाई का काम भी कर रही हैं. दूसरे राज्यों में ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षण दे रही हैं. नौ राज्यों में जाकर 50000 से अधिक समूह बनाया गया है और लगभग 5 लाख महिलाओं को इससे जोड़ा गया है.
कई राज्यों में ट्रेनिंग दे रही जीविका दीदीः उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, गुजरात, मिजोरम, सिक्किम में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुकी हैं. उत्तराखंड राजस्थान और झारखंड में स्वास्थ्य और स्वच्छता का प्रशिक्षण दे रही हैं. इस काम में 4000 से 5000 दीदियों को लगाया गया है. प्रशिक्षण 40 से 45 दोनों का होता है. इस दौरान जीविका दीदी को प्रतिदिन के हिसाब से रिसोर्स फीस मिलता है. बिहार में 91 एससी एसटी आवासीय विद्यालय है और इन सब में जीविका दीदी ही अब भोजन बनाएंगी. नीतीश कैबिनेट ने ग्रामीण इलाकों की तरह शहरी इलाकों की महिलाओं के लिए भी जीविका शुरू करने का फैसला लिया है.
जीविका क्या है, कैसे हुई स्थापनाः जीविका स्वयं सहायता समूहों का नेटवर्क है. यह बिहार सरकार के ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन सोसायटी (BRLF) की निबंधित संस्था है. ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'जीविका' काम करती है. जीविका के माध्यम से 10 से 12 महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर खाते खुलवाए जाते हैं. उस समूह की प्रत्येक महिला के द्वारा हर महीने एक तय रकम खाते में जमा करवाया जाता है.
एक करोड़ 50 लाख सदस्य बनाना लक्ष्यः कारोबार के लिये इस समूह से जुड़ी महिलाएं अगर लोन लेना चाहें तो 30 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक का लोन मिल सकता है. इसमें कम ब्याज भी चुकाना पड़ता है. नीतीश कुमार का यह ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक रहा है सरकार की ओर से एक करोड़ 50 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य है जिस पर काम हो रहा है.
34000 करोड़ ऋण ले चुका है जीविकाः बिहार में स्वयं सहायता समूह की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2019-20 में 9 लाख 48000 के करीब स्वयं सहायता समूह काम कर रहा था. 2023-24 में यह बढ़कर 10 लाख 51000 हो चुका है. 2019-20 में जीविका 12000 करोड़ ऋण बैंक से लिया था. अब बढ़ कर 34 हजार 500 करोड़ से अधिक हो चुका है. नीतीश कुमार को जीविका दीदियों पर भरोसा है, इसलिए सरकार की ओर से जीविका दीदियों को कई महत्वपूर्ण कामों में लगाया जा रहा है. कोरोना के समय मास्क बनाने में जीविका दीदियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कोई ऐसा सेक्टर नहीं है जहां जीविका दीदियों ना हो.
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