जयपुर. राजधानी जयपुर में चल रहे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन फिल्म डायरेक्टर अशोक पंडित ने सिनेमा समेत अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला. साथ ही सेशन में जनता के सवालों के जवाब दिए. वहीं, रविवार को सात फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई. दो दिन में हिंदी, बंगाली, नेपाली, मलयालम, जर्मन सहित अन्य भाषाओं की 15 फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई. फेस्टिवल में कश्मीरी पंडितों पर बनी डॉक्यूमेंट्री को भी दर्शाया गया. थिएटर और फिल्म से जुड़े लोगों को उनके अलग अलग कार्यों के लिए सम्मानित किया गया.
राजधानी जयपुर में झालाना स्थित राजस्थान इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में डोला फाउंडेशन सोशल वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से चल रहे दो दिवसीय बहुभाषीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव अमोदिनी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2024 का दूसरा दिन जाने माने डायरेक्टर अशोक पंडित के पैनल डिस्कशन के नाम रहा. अशोक पंडित ने थिएटर, फिल्म मेकिंग, एक्टिंग, आज के दौर में सिनेमा में बदलाव जैसे अन्य पहलुओं पर अपनी बात रखी.
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फिल्म डायरेक्टर अशोक पंडित ने बताया कि फिल्म फेस्टिवल में आकर बहुत खुशी हो रही है. मेरी डॉक्यूमेंट्री "द वर्ल्ड रिमेन साइलेंट" फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई है. डॉक्यूमेंट्री कश्मीरी पंडितों की दशा को दर्शाती है. कश्मीरी पंडितों के साथ हुए व्यवहार को डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है. कश्मीर पंडितों की दुर्दशा की घटना सन 1990 में हुई थी और डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग 2002 में की गई.
आयोजक देवज्योति रे ने बताया कि इस फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन की शुरुआत बंगाली फिल्म दोआंश की स्क्रीनिंग के साथ हुई. इसके बाद कन्हैया, भारत सर्कस, मां अलाप जैसी अन्य फिल्मों को भी दिखाया गया. इसके साथ ही चार अलग अलग पैनल डिस्कशन भी किए गए. पहला पैनल डिस्कशन सोमेन सेनगुप्ता की ओर से दी मेस्ट्रो एंड राजस्थान, दूसरा डिस्कशन गिरेंद्र प्रताप सिंह की ओर से क्रिएट स्पेस इन फिल्म ए टॉक बाय इसरो, तीसरा डिस्कशन डॉ. अशोक पंडित की ओर से दी वर्ल्ड रिमेन साइलेंट और चौथा श्वेता मेहता की ओर से वाई गिविंग अप ऑन योर ड्रीम्स इज नॉट एन ऑप्शन को आयोजित किया गया.
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फिल्म फेस्टिवल की अवॉर्ड नाइट सेरेमनी का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें थिएटर, फिल्म से जुड़े लोगों को उनके अलग अलग कार्यों के लिए सम्मानित किया जा रहा है. दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के दौरान हिंदी, बंगाली, नेपाली, मलयालम, जर्मन भाषा की 15 फिल्मों को शोकेस किया गया. इस फिल्म फेस्टिवल का मुख्य केंद्र अनेकता में एकता का उत्सव मनाकर व्यक्तियों को सशक्त बनाना और हमारे समग्र कल्याण को बढ़ाना है. इस फिल्म फेस्टिवल का उद्देश्य एकता का जश्न मनाना है. एक ऐसी विविधता जो भारत को परिभाषित करती है, देश की जीवंत संस्कृति और उसका प्रदर्शन करती है. अनेकता में एकता का उत्सव मनाकर व्यक्तियों को सशक्त बनाना और हमारे समग्र कल्याण को बढ़ाना यही इस फेस्टिवल का केंद्र बिंदु रहा.