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दशहरे पर बीएसएफ ने किया शस्त्र पूजन, जवानों ने कहा-भारत के दुश्मनों के स्वागत के लिए तैयार हैं हथियार - SHASTRA PUJA BY BSF

दशहरे के दिन परंपरा अनुसार बीएसएफ ने अपने शस्त्रों की पूजा की. जवानों ने कहा कि दुश्मनों के स्वागत को तैयार हैं हमारे हथियार.

Shastra Puja By BSF
दशहरे पर बीएसएफ ने किया शस्त्र पूजन (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 12, 2024, 11:42 AM IST

जैसलमेर: बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व दशहरा के दिन जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात बीएसएफ के तोपखाना 1022 और 56वीं वाहिनी के अधिकारियों और जवानों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की.

बीएसएफ ने निभाई परंपरा, किया शस्त्र पूजन (ETV Bharat Jaisalmer)

सीमा सुरक्षा बल की तोपखाना यूनिट, जवानों और अधिकारियों ने मंत्रोच्चार के साथ शस्त्रों, तोप की पूजा-अर्चना की. शस्त्रों पर तिलक किया गया और नारियल फोड़ा गया. इस दौरान माहौल भारत माता की जय की गगनभेदी जयकार से गूंजायमान हो उठा. इसके अलावा हथियारों और तोपों की आरती भी की गई. वैसे तो हर वर्ष नवरात्र के अंतिम दिन बल शस्त्रों की पूजा करता है, लेकिन इस बार सीमा पर पड़ोसी पाकिस्तान के साथ लगातार व्याप्त तनावपूर्ण माहौल में यह कार्यक्रम विशेष था.

पढ़ें: दशहरा पर क्यों होता शस्त्र पूजन साथ ही जानिए नाम से जुड़ा महत्व

पुरानी है शस्त्र पूजन की परंपरा: 1022 बीएसएफ तोफखाना रेजिमेंट कमांडेंट जेके सिंह ने बताया कि विजयदशमी के दिन शस्त्र-पूजन की परंपरा रामायण-महाभारत काल से चली आ रही रही है. BSF आज भी इस परंपरा को निभाती है और विजयादशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करती है. शस्त्रों को गंगाजल से स्नान कराने के बाद जया और विजया की पूजा होती है. हल्दी और कुमकुम का तिलक लगा पुष्प चढ़ाए जाते हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस पूजा का उद्देश्य सीमा की सुरक्षा में मां का आशीर्वाद प्राप्त करना है. गौरतलब है कि मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है. भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले शस्त्र पूजा की थी.

पढ़ें: विजयदशमी 2023 पर आरएसएस ने शस्त्र पूजन के बाद शहर में 37 स्थानों पर किया पथ संचलन

भारत की तरफ आंख उठाकर भी ना देखें, नहीं तो बुरा होगा अंजाम: बीएसएफ की 1022 तोपखाना रेजीमेंट के डिप्टी कमांडेंट राजीव कुमार ने कहा कि विजयदशमी पर हर साल की तरह इस साल भी हमारी सेना ने हथियारों और गोला-बारूद की पूजा की. हथियारों की पूजा करने से सैन्य बलों और हमारे देश के वीर फौजियों को न केवल मोटिवेशन मिलता है, बल्कि सीमा पार दुश्मनों को एक संदेश जाता है कि भारत की तरफ आंख उठाकर भी ना देखे, नहीं तो यह हथियार उनके स्वागत में तैयार हैं.

पढ़ें: Special : जयपुर की विरासत में रचा बसा विजयादशमी, तब शस्त्र पूजन के बाद निकलती थी महाराजा की सवारी

हथियार गॉड ऑफ वॉर: बीएसएफ के जवान जेएस त्यागी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत शस्त्र पूजन के अलावा दुश्मन को यह दिखाना है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, सीमा सुरक्षा बल हर मोर्चे पर नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने में पूरी तरह से सक्षम है. उन्होंने कहा कि बीएसएफ का हर जवान अपने हथियार को गॉड ऑफ वॉर मानकर उसकी देखभाल और पूजन करता है ताकि युद्ध के समय बीएसएफ का जवान इस हथियार की मदद से ही दुश्मन पर विजय प्राप्त कर सके. इस अवसर पर बीएसएफ के अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि आज का भारत किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने वालों में से नहीं है. अगर जंग होती है, तो अब उसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तत्पर है.

जैसलमेर: बुराई पर अच्छाई के प्रतीक पर्व दशहरा के दिन जैसलमेर से लगती भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात बीएसएफ के तोपखाना 1022 और 56वीं वाहिनी के अधिकारियों और जवानों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की.

बीएसएफ ने निभाई परंपरा, किया शस्त्र पूजन (ETV Bharat Jaisalmer)

सीमा सुरक्षा बल की तोपखाना यूनिट, जवानों और अधिकारियों ने मंत्रोच्चार के साथ शस्त्रों, तोप की पूजा-अर्चना की. शस्त्रों पर तिलक किया गया और नारियल फोड़ा गया. इस दौरान माहौल भारत माता की जय की गगनभेदी जयकार से गूंजायमान हो उठा. इसके अलावा हथियारों और तोपों की आरती भी की गई. वैसे तो हर वर्ष नवरात्र के अंतिम दिन बल शस्त्रों की पूजा करता है, लेकिन इस बार सीमा पर पड़ोसी पाकिस्तान के साथ लगातार व्याप्त तनावपूर्ण माहौल में यह कार्यक्रम विशेष था.

पढ़ें: दशहरा पर क्यों होता शस्त्र पूजन साथ ही जानिए नाम से जुड़ा महत्व

पुरानी है शस्त्र पूजन की परंपरा: 1022 बीएसएफ तोफखाना रेजिमेंट कमांडेंट जेके सिंह ने बताया कि विजयदशमी के दिन शस्त्र-पूजन की परंपरा रामायण-महाभारत काल से चली आ रही रही है. BSF आज भी इस परंपरा को निभाती है और विजयादशमी के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा करती है. शस्त्रों को गंगाजल से स्नान कराने के बाद जया और विजया की पूजा होती है. हल्दी और कुमकुम का तिलक लगा पुष्प चढ़ाए जाते हैं. अधिकारियों ने बताया कि इस पूजा का उद्देश्य सीमा की सुरक्षा में मां का आशीर्वाद प्राप्त करना है. गौरतलब है कि मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से ही शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है. भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले शस्त्र पूजा की थी.

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भारत की तरफ आंख उठाकर भी ना देखें, नहीं तो बुरा होगा अंजाम: बीएसएफ की 1022 तोपखाना रेजीमेंट के डिप्टी कमांडेंट राजीव कुमार ने कहा कि विजयदशमी पर हर साल की तरह इस साल भी हमारी सेना ने हथियारों और गोला-बारूद की पूजा की. हथियारों की पूजा करने से सैन्य बलों और हमारे देश के वीर फौजियों को न केवल मोटिवेशन मिलता है, बल्कि सीमा पार दुश्मनों को एक संदेश जाता है कि भारत की तरफ आंख उठाकर भी ना देखे, नहीं तो यह हथियार उनके स्वागत में तैयार हैं.

पढ़ें: Special : जयपुर की विरासत में रचा बसा विजयादशमी, तब शस्त्र पूजन के बाद निकलती थी महाराजा की सवारी

हथियार गॉड ऑफ वॉर: बीएसएफ के जवान जेएस त्यागी ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत शस्त्र पूजन के अलावा दुश्मन को यह दिखाना है कि चाहे कोई भी परिस्थिति हो, सीमा सुरक्षा बल हर मोर्चे पर नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने में पूरी तरह से सक्षम है. उन्होंने कहा कि बीएसएफ का हर जवान अपने हथियार को गॉड ऑफ वॉर मानकर उसकी देखभाल और पूजन करता है ताकि युद्ध के समय बीएसएफ का जवान इस हथियार की मदद से ही दुश्मन पर विजय प्राप्त कर सके. इस अवसर पर बीएसएफ के अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि आज का भारत किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने वालों में से नहीं है. अगर जंग होती है, तो अब उसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तत्पर है.

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