नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने बूथ लेवल पर तैयारियां शुरू कर दी है. दिल्ली बीजेपी की तर्ज पर AAP भी बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी देने जा रही है. पिछले दिनों इस संबंध में कार्यालय में बैठक भी बुलाई गई थी. जिसमें दिल्ली के सभी जिलों से जुड़े जिम्मेदार लोगों को कार्यकर्ताओं को चिह्नित करने को कहा गया है.
AAP के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री डॉक्टर संदीप पाठक ने 'बूथ मीटिंग तैयारी' को लेकर बैठक में प्रदेश संगठन मंत्री, जिला अध्यक्ष, जिला सचिव से कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी पूरी तरीके से तैयार है. दिल्ली में संगठन पहले से ही काफी मजबूत है, जिसे और ज्यादा मजबूती तक लेकर जाना है. हमें प्रदेश के हर बूथ को मजबूत बनाना है. बूथ के कार्यकर्ता फिर दिल्ली में किए जा रहे शानदार कामों को लेकर एक-एक घर तक संदेश पहुंचाएंगे.
भाजपा के षड्यंत्र में नहीं फंसने की सलाह : AAP नेताओं का कहना है जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे भाजपा फिर से हमारे खिलाफ षड्यंत्र रचेगी. हमें किसी भी षड्यंत्र में नहीं फंसना है. हमें सिर्फ काम की राजनीति पर ध्यान केंद्रित करना है. सबको मिलकर अरविंद केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना है. जब तक वह फिर से दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं बन जाते तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे.
उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी को छोड़ने से पहले एक बार भी नहीं सोचा. आज के समय में अगर किसी के पास कोई छोटा पद भी हो तब भी वह उसे नहीं छोड़ता लेकिन अरविंद केजरीवाल ने तो मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. इसी से ही उनकी ईमानदारी साबित हो जाती है.
13 हजार पोलिंग बूथ पर सदस्य बनाने का भाजपा का प्लान: दिल्ली में करीब 13.5 हजार पोलिंग बूथ पर वोटिंग होती है. भाजपा प्रत्येक बूथ पर चार-चार सौ सदस्य तैयार करने का रणनीति बनाई है. इस संबंध में 2 सितंबर से शुरू सदस्यता अभियान 31 अक्टूबर तक चलेगा. यह जिम्मेदारी पार्टी के जिम्मेदार नेताओं को दी गई है. पार्टी के नेता मानते हैं कि अगर प्रत्येक बूथ पर उनके 400 सदस्य बन गए तो फिर उनकी सीट सुनिश्चित है. इसी दिशा में तैयारी की जा रही है.
कांग्रेस की 15 साल के खिलाफ लोगों ने AAP को दिया था मौका : दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले कांग्रेस ने लगातार तीन बार शासन किया था. जब पहली बार आम आदमी पार्टी बनी थी और उसने चुनाव लड़ा था तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली थी. भाजपा को 32 सीटें मिली थी. भाजपा सरकार बनने से चूक गई.
2013 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई : आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई. लेकिन वह सरकार 49 दिन ही चल सकी थी. उसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लग गया था. साल 2015 में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए तब भाजपा को सिर्फ तीन सीटें ही मिली, 67 सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती जो एक रिकॉर्ड बन गया. उसके बाद वर्ष 2020 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा 8 सीटें जीती और आम आदमी पार्टी 62 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत से दिल्ली में सरकार बनाई.
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