रांची: ओबीसी समाज के प्रमुख मुद्दों सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल कराने की मांग को लेकर दवाब बनाया जा रहा है. इसको लेकर शनिवार को राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के आह्वान पर जगह-जगह ओबीसी समाज के लोगों द्वारा एक दिवसीय उपवास रखा गया.
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा ने किसी खास स्थान पर उपवास कार्यक्रम करने की जगह वे जहां हों वहीं उपवास करें. इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से उसे जनता तक पहुंचायें. ये अपील राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की ओर से आदर्श आचार संहिता को लेकर ओबीसी समाज के लोगों से की गयी. इसी कड़ी में प्रदेश भर में लोगों ने उपवास रखकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया.
रांची में राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के हरमू स्थित प्रदेश कार्यालय में भी ओबीसी समाज के लोग धरना और उपवास किया. साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियों से मांग की करते हुए कहा कि ओबीसी के मुद्दों को लेकर वे अपना रुख साफ करें. इसके साथ ही अपने-अपने घोषणा पत्रों में ओबीसी की समस्याओं के समाधान की योजनाओं को प्राथमिकता देने की मांग की.
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि ओबीसी समाज अपने अधिकार के लिए वर्षों से सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष करता आ रहा है. लेकिन इस समाज को लगातार छला गया है. झारखंड में तो ओबीसी के अधिकारों के हनन की पराकाष्ठा है कि आज भी जिस समाज की आबादी 52 फीसदी से भी ज्यादा है उसे महज 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. आगामी लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दल पर एक दवाब बने और ओबीसी की हकमारी नहीं हो, इसलिए राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की अपील पर ये कार्यक्रम हुआ.
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा कि जिन राजनीतिक दलों को ओबीसी समुदाय की वोट की जरूरत होगी. वह ज्यादा से ज्यादा हमारी मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करेंगे. होली के बाद ओबीसी मोर्चा का शिष्टमंडल सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलकर लिखित में ओबीसी के मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग करेगा.
एक दिवसीय उपवास कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता, महासचिव अजय मेहता, प्रमोद कुमार, सुग्रीव यादव, मो. वसीम अकरम, इंजीनियर प्रदीप कुमार, जयराम ठाकुर, राम अवतार कश्यप, अशोक कुशवाहा प्रमुख रूप से शामिल हुए.
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा की राजनीतिक दलों से प्रमुख मांग
- OBC का आरक्षण उनकी आबादी के अनुरूप 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 52 फीसदी किया जाए.
- SC-ST और अल्पसंख्यक की तरह OBC के लिए भी केंद्रीय और राज्य स्तर पर स्वतंत्र मंत्रालय का गठन हो.
- उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक नियुक्ति में आरक्षण घोटाला के विरुद्ध 2 वर्षों से आंदोलनरत OBC छात्रों को न्याय मिले.
- अग्निवीर योजना समाप्त किया जाए क्योंकि यह मुख्य रूप से ओबीसी विरोधी है.
- ओबीसी आरक्षण में असंवैधानिक क्रीमी लेयर के मानदंड को हटाया जाए.
- झारखंड और देश स्तर पर जातीय जनगणना कराई जाए.
- सरकारी संस्थाओं -उपक्रमों के निजीकरण पर तुरंत रोक लगे.
- सरकारी पदों पर अनुबंध आधारित लैटरल एंट्री और आउटसोर्सिंग की व्यवस्था समाप्त की जाए.
- OBC को प्रमोशन में आरक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 16 (4 A) 16 (4 B) में संशोधन हो.
- OBC के बैकलॉग पदों को भरने की बात घोषणा पत्र में शामिल करें राजनीतिक दल.
- न्यायपालिका में कॉलेजियम पद्धति को समाप्त कर राष्ट्रीय न्यायिक आयोग का गठन किया जाए और सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व (आरक्षण) की व्यवस्था की जाए.
- 52 फीसदी आबादी वाले समुदाय के विकास के लिए वार्षिक बजट में 52 प्रतिश रकम का प्रावधान ओबीसी के कल्याण के लिए किया जाए.
- मंडल कमीशन की सभी अनुशंसाओं को लागू किया जाए.
- लोकसभा 2024 का चुनाव EVM की जगह बैलट पेपर से कराया जाए.
- वन नेशन वन एजुकेशन लागू किया जाए.
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