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नोटा को ज्यादा वोट मिले तो क्या इंदौर लोकसभा का चुनाव होगा रद्द! क्या कहता है नोटा नियम, जाने सब कुछ - what happens if nota gets more vote

इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम आखिरी समय पर नामांकन वापस लेने के बाद भाजपा में शामिल हो गये. इस घटनाक्रम के बाद से कांग्रेस पार्टी नोटा के समर्थन में लोगों से वोट मांग रही है. कांग्रेस को इससे क्या फायदा होगा. आखिर कांग्रेस नोटा का सपोर्ट करके क्या हासिल करना चाह रही है. क्या नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने से इंदौर में चुनाव को रद्द कर दिया जायेगा. इस बारे में क्या कहते हैं चुनाव आयोग के नियम. प्रतीक यादव की इस रिपोर्ट में पढ़िए इंदौर की सियासत और नोटा से जुड़ी सारी बातें.

INDORE LOK SABHA VOTING RESULT 2024
नोटा को लेकर इंदौर में मचा है बवाल (ETV Bharat Grafix)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 11, 2024, 10:17 PM IST

Updated : May 13, 2024, 2:33 PM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामंकन वापस ले लिया था. जिसके बार इंदौर में राजनैतिक हलचल तेज हो गई थी. लोगों के मन में सवाल उठने लगा कि, क्या सूरत की तरह यहां भी बाकी बचे निर्दलीय प्रत्याशी अपना नाम वापस ले लेंगे और भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी निर्विरोध चुनाव जीत जायेंगे. लेकिन तथाकथित दबाव के बावजूद भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामंकन वापस नहीं लिया. इससे चौथे चरण में मध्य प्रदेश की 8 सीटों के साथ इंदौर में भी चुनाव होगा. अब आपको लग रहा होगा बड़ी विपक्षी पार्टी, कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं होने की वजह से भाजपा के लिए यह चुनाव नाम मात्र का रह गया है और यहां शंकर लालवानी की जीत निश्चित है. लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है. वो कैसे, आइये समझते हैं.

WHEN NOTA INTRODUCED IN INDIA
कब हुई थी नोटा की शुरुआत (ETV Bharat Grafix)

आखिर कांग्रेस क्यों 'नोटा' का प्रचार कर रही है

कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामंकन वापस लेने के बाद कुछ दिनों के आरोप-प्रत्यारोप के बाद कांग्रेस इसका तोड़ निकालने में जुट गई. फिर कांग्रेस ने "नोटा" NOTA (None of The Above) का समर्थन करने का फैसला लिया. कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता इंदौर के मतदाताओं से नोटा पर मतदान करने की अपील कर रहे हैं. इसके लिए कांग्रेसी कार्यकर्ता कभी शहर की दीवारों पर, रिक्शों पर नोटा का पोस्टर चिपकाकर तो कभी लोगों को 'नोटा चाय' पिलाकर मतदाताओं से नोटा के पक्ष में मतदान करने का आग्रह कर रहे हैं. अब सवाल उठता है कि, नोटा पर वोट डलवाकर कांग्रेस को क्या फायदा होगा. क्या बीजेपी प्रत्याशी से ज्यादा वोट मिल जाने पर नोटा को विजयी घोषित कर दिया जायेगा या इंदौर में चुनाव निरस्त कर दिया जायेगा. इसके लिए जानते हैं कि क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम.

WHEN NOTA INTRODUCED IN INDIA
नोटा को लेकर चुनाव आयोग का नियम (ETV Bharat Grafix)

1 भी वोट मिलने पर प्रत्याशी को विजेता माना जायेगा

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक, नोटा को मिले मतों कि गिनती तो की जाती है लेकिन उसको रद्द समझा जाता है. अगर 100 प्रतिशत वोट, नोटा को मिलता हैं तो चुनाव को रद्द कर दिया जायेगा और दोबारा मतदान होगा. वहीं, अगर किसी भी प्रत्याशी को एक भी वोट मिलता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जायेगा और नोटा के मिले मतों को रद्द ही समझा जायेगा. कुल मिलाकर नोटा को कितना भी वोट मिल जाये लेकिन अगर किसी भी प्रत्याशी को एक भी वोट मिल गया तो वह एक वोट से चुनाव जीता माना जायेगा. तो फिर कांग्रेस, इंदौर में नोटा के पक्ष में इतना प्रचार क्यों कर रही है. जबकि किसी न किसी की जीत निश्चित है. बशर्ते कोई चमत्कार ना हो. ये आप भी जानते हैं कि एक वोट तो किसी ना किसी का मिल ही जायेगा, दूसरे का नहीं तो खुद का ही.

INDORE LOK SABHA VOTING RESULT 2024
एमपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा (ETV Bharat Grafix)

फिर कांग्रेस को क्या फायदा मिलेगा

कांग्रेस ने अक्षय कांति बम के अंतिम मौके पर नामंकन वापस लेने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने उनके प्रत्याशी को धमका कर नामंकन वापस करवाया है. कांग्रेस इसे लोकतंत्र का अपहरण बता रही है. कांग्रेस नोटा के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराकर भाजपा प्रत्याशी के आत्मसम्मान पर ठेस पहुंचाना चाहती है. नोटा के पक्ष में ज्यादा मतदान कराकर ये साबित किया जा सकता है कि जनता भाजपा से नाराज है और इंदौर में बदलाव चाहती है.

ये भी पढ़ें:

इस चुनाव में दिलचस्प है इंदौर का खेल, बीजेपी प्रचंड जीत, तो कांग्रेस नोटा में रिकॉर्ड बनाने तैयार

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कब हुई थी नोटा कि शुरुआत

सुप्रीम कोर्ट ने 2004 की याचिका की सुनवाई करते हुए 27 नवंबर 2013 को भारत में चुनाव में नोटा का विकल्प देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, वोट देने के अधिकार के साथ वोट न देने का भी अधिकार यानी सभी प्रत्याशियों को अस्वीकार करने का भी अधिकार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसी साल नवंबर में पांच राज्यों (दिल्ली, मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को नोटा पर वोट डालने का विकल्प दिया गया. भारत नोटा का प्रयोग करने वाला दुनिया का 14वां देश है.

इंदौर। मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने अपना नामंकन वापस ले लिया था. जिसके बार इंदौर में राजनैतिक हलचल तेज हो गई थी. लोगों के मन में सवाल उठने लगा कि, क्या सूरत की तरह यहां भी बाकी बचे निर्दलीय प्रत्याशी अपना नाम वापस ले लेंगे और भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी निर्विरोध चुनाव जीत जायेंगे. लेकिन तथाकथित दबाव के बावजूद भी निर्दलीय प्रत्याशियों ने नामंकन वापस नहीं लिया. इससे चौथे चरण में मध्य प्रदेश की 8 सीटों के साथ इंदौर में भी चुनाव होगा. अब आपको लग रहा होगा बड़ी विपक्षी पार्टी, कांग्रेस का कोई प्रत्याशी नहीं होने की वजह से भाजपा के लिए यह चुनाव नाम मात्र का रह गया है और यहां शंकर लालवानी की जीत निश्चित है. लेकिन ये इतना भी आसान नहीं है. वो कैसे, आइये समझते हैं.

WHEN NOTA INTRODUCED IN INDIA
कब हुई थी नोटा की शुरुआत (ETV Bharat Grafix)

आखिर कांग्रेस क्यों 'नोटा' का प्रचार कर रही है

कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामंकन वापस लेने के बाद कुछ दिनों के आरोप-प्रत्यारोप के बाद कांग्रेस इसका तोड़ निकालने में जुट गई. फिर कांग्रेस ने "नोटा" NOTA (None of The Above) का समर्थन करने का फैसला लिया. कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता इंदौर के मतदाताओं से नोटा पर मतदान करने की अपील कर रहे हैं. इसके लिए कांग्रेसी कार्यकर्ता कभी शहर की दीवारों पर, रिक्शों पर नोटा का पोस्टर चिपकाकर तो कभी लोगों को 'नोटा चाय' पिलाकर मतदाताओं से नोटा के पक्ष में मतदान करने का आग्रह कर रहे हैं. अब सवाल उठता है कि, नोटा पर वोट डलवाकर कांग्रेस को क्या फायदा होगा. क्या बीजेपी प्रत्याशी से ज्यादा वोट मिल जाने पर नोटा को विजयी घोषित कर दिया जायेगा या इंदौर में चुनाव निरस्त कर दिया जायेगा. इसके लिए जानते हैं कि क्या कहता है चुनाव आयोग का नियम.

WHEN NOTA INTRODUCED IN INDIA
नोटा को लेकर चुनाव आयोग का नियम (ETV Bharat Grafix)

1 भी वोट मिलने पर प्रत्याशी को विजेता माना जायेगा

चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक, नोटा को मिले मतों कि गिनती तो की जाती है लेकिन उसको रद्द समझा जाता है. अगर 100 प्रतिशत वोट, नोटा को मिलता हैं तो चुनाव को रद्द कर दिया जायेगा और दोबारा मतदान होगा. वहीं, अगर किसी भी प्रत्याशी को एक भी वोट मिलता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जायेगा और नोटा के मिले मतों को रद्द ही समझा जायेगा. कुल मिलाकर नोटा को कितना भी वोट मिल जाये लेकिन अगर किसी भी प्रत्याशी को एक भी वोट मिल गया तो वह एक वोट से चुनाव जीता माना जायेगा. तो फिर कांग्रेस, इंदौर में नोटा के पक्ष में इतना प्रचार क्यों कर रही है. जबकि किसी न किसी की जीत निश्चित है. बशर्ते कोई चमत्कार ना हो. ये आप भी जानते हैं कि एक वोट तो किसी ना किसी का मिल ही जायेगा, दूसरे का नहीं तो खुद का ही.

INDORE LOK SABHA VOTING RESULT 2024
एमपी में 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा (ETV Bharat Grafix)

फिर कांग्रेस को क्या फायदा मिलेगा

कांग्रेस ने अक्षय कांति बम के अंतिम मौके पर नामंकन वापस लेने के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने उनके प्रत्याशी को धमका कर नामंकन वापस करवाया है. कांग्रेस इसे लोकतंत्र का अपहरण बता रही है. कांग्रेस नोटा के पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मतदान कराकर भाजपा प्रत्याशी के आत्मसम्मान पर ठेस पहुंचाना चाहती है. नोटा के पक्ष में ज्यादा मतदान कराकर ये साबित किया जा सकता है कि जनता भाजपा से नाराज है और इंदौर में बदलाव चाहती है.

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कब हुई थी नोटा कि शुरुआत

सुप्रीम कोर्ट ने 2004 की याचिका की सुनवाई करते हुए 27 नवंबर 2013 को भारत में चुनाव में नोटा का विकल्प देने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, वोट देने के अधिकार के साथ वोट न देने का भी अधिकार यानी सभी प्रत्याशियों को अस्वीकार करने का भी अधिकार होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसी साल नवंबर में पांच राज्यों (दिल्ली, मिजोरम, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को नोटा पर वोट डालने का विकल्प दिया गया. भारत नोटा का प्रयोग करने वाला दुनिया का 14वां देश है.

Last Updated : May 13, 2024, 2:33 PM IST
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