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इंद्रदेव के भरोसे चित्तौड़ के बांध: 46 में से 40 बांधों में एक बूंद पानी नहीं, शेष 6 भी पहुंचे रसातल में - Dry dams in Chittorgarh

चित्तौड़गढ़ के 46 बांधों में से 40 में एक बूंद पानी नहीं बचा है. वहीं बचे 6 बांधों में भी पानी रसातल में पहुंच गया है. अब चित्तौड़गढ़ के बांध मौसम विभाग की अच्छी बारिश की भविष्यवाणी पर निर्भर कर रहे हैं.

40 dams left with no water
अच्छी बारिश के भरोसे चित्तौड़गढ़ के 46 बांध (ETV Bharat Chittorgarh)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 27, 2024, 8:14 PM IST

अच्छी बारिश के भरोसे चित्तौड़गढ़ के 46 बांध (ETV Bharat Chittorgarh)

चित्तौड़गढ़. गत मानसून के दौरान अल्पवृष्टि का नतीजा भीषण पेयजल संकट के रूप में सामने आ रहा है. हालत ये हैं कि 85% बांधों में एक बूंद तक पानी नहीं है. जबकि शेष में पानी रसातल पर दिखाई दे रहा है. मौसम विभाग द्वारा इस बार औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है. अब इस भविष्यवाणी पर ही इन बांधों का भविष्य निर्भर है. मौसम विभाग की भविष्यवाणी को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा प्रमुख बांध तालाबों के गेट मेंटेनेंस करवा दिया गया है, ताकि अतिवृष्टि में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित की सके.

मैदान में तब्दील हो गए बांध: जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता कार्यालय के अधीन 46 बांध हैं. इनमें से 3 चौड़ाई से अधिक बांध एकदम रीते होकर मैदान में तब्दील हो चुके हैं. इनमें सबसे बड़ा बांध गंभीरी है, जो पेयजल के साथ-साथ एक प्रमुख सिंचाई परियोजना भी है. इसके अलावा वागन, ओराई, भूपालसागर सहित 40 बांध की स्थिति गंभीरी जैसी है. जहां सरफेस लेवल पर एक बूंद पानी देखने को नहीं मिलता. इनमें से कई बांधों में तरबूज-खरबूज की खेती हो रही है.

पढ़ें: बारिश के इंतजार में रीत रहे राजस्थान के बांध, बीसलपुर में महज 27 फीसदी पानी - Monsoon In Rajasthan

आधा दर्जन बांध जीरो लेवल पर: केवल आधा दर्जन बांध ऐसे हैं, जिनमें पानी जीरो लेवल पर है. यह पानी संबंधित क्षेत्र के लोगों के पेयजल के लिए रिजर्व है. विभाग के अनुसार बड़गांव बांध की क्षमता 31.49 एमक्यूएम है जिसके मुकाबले वर्तमान में 2.64 एमक्यूएम पानी बचा है. इसी प्रकार बस्सी की क्षमता 23.22 के मुकाबले 3.45, ऊंचकिया बांध की क्षमता 5.27 के मुकाबले 2. 04, मातृकुंडिया की 35.64 के मुकाबले 1.72, सोमी की 2.4 के मुकाबले 0.43 और घोसुंडा बांध की 31.81 एमक्यूएम के मुकाबले दो एमक्यूएम पानी बचा है.

पढ़ें: अजमेर में 54 में से 7 बांध-तालाबों में पानी, शेष रीते, अब सभी को मानसून का इंतजार - Dry Dam In Ajmer

सभी बांधों की नहर और डैम के गेट की ग्रीसिंग: इस बार मौसम विभाग द्वारा औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है. इसे देखते हुए जिला कलेक्टर आलोक रंजन के निर्देश पर सभी प्रमुख बांधों की नहरों और डैम के गेट की मेंटेनेंस के साथ ग्रीसिंग करवा दी गई है. इसका मुख्य उद्देश्य बांध के ओवरफ्लो होने की स्थिति में आसानी से पानी की निकासी है.

पढ़ें: राजस्थान के 'डार्क जोन' में पेयजल संकट, 17 बांधों में से सिर्फ एक में बचा पानी - Alwar Dams

जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता राजकुमार शर्मा का कहना है कि मौसम विभाग की ओर से बारिश की भविष्यवाणी को देते हुए इस बार विभाग द्वारा खरीफ के रकबे में बढ़ोतरी की गई है. करीब 3.25 लाख हेक्टर एरिया में खरीफ की बुवाई का लक्ष्य रखा गया. इनमें सर्वाधिक मक्का की बुवाई होगी. दूसरे नंबर पर किसानों द्वारा सोयाबीन की बुवाई किए जाने की संभावना है.

अच्छी बारिश के भरोसे चित्तौड़गढ़ के 46 बांध (ETV Bharat Chittorgarh)

चित्तौड़गढ़. गत मानसून के दौरान अल्पवृष्टि का नतीजा भीषण पेयजल संकट के रूप में सामने आ रहा है. हालत ये हैं कि 85% बांधों में एक बूंद तक पानी नहीं है. जबकि शेष में पानी रसातल पर दिखाई दे रहा है. मौसम विभाग द्वारा इस बार औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है. अब इस भविष्यवाणी पर ही इन बांधों का भविष्य निर्भर है. मौसम विभाग की भविष्यवाणी को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा प्रमुख बांध तालाबों के गेट मेंटेनेंस करवा दिया गया है, ताकि अतिवृष्टि में बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित की सके.

मैदान में तब्दील हो गए बांध: जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता कार्यालय के अधीन 46 बांध हैं. इनमें से 3 चौड़ाई से अधिक बांध एकदम रीते होकर मैदान में तब्दील हो चुके हैं. इनमें सबसे बड़ा बांध गंभीरी है, जो पेयजल के साथ-साथ एक प्रमुख सिंचाई परियोजना भी है. इसके अलावा वागन, ओराई, भूपालसागर सहित 40 बांध की स्थिति गंभीरी जैसी है. जहां सरफेस लेवल पर एक बूंद पानी देखने को नहीं मिलता. इनमें से कई बांधों में तरबूज-खरबूज की खेती हो रही है.

पढ़ें: बारिश के इंतजार में रीत रहे राजस्थान के बांध, बीसलपुर में महज 27 फीसदी पानी - Monsoon In Rajasthan

आधा दर्जन बांध जीरो लेवल पर: केवल आधा दर्जन बांध ऐसे हैं, जिनमें पानी जीरो लेवल पर है. यह पानी संबंधित क्षेत्र के लोगों के पेयजल के लिए रिजर्व है. विभाग के अनुसार बड़गांव बांध की क्षमता 31.49 एमक्यूएम है जिसके मुकाबले वर्तमान में 2.64 एमक्यूएम पानी बचा है. इसी प्रकार बस्सी की क्षमता 23.22 के मुकाबले 3.45, ऊंचकिया बांध की क्षमता 5.27 के मुकाबले 2. 04, मातृकुंडिया की 35.64 के मुकाबले 1.72, सोमी की 2.4 के मुकाबले 0.43 और घोसुंडा बांध की 31.81 एमक्यूएम के मुकाबले दो एमक्यूएम पानी बचा है.

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सभी बांधों की नहर और डैम के गेट की ग्रीसिंग: इस बार मौसम विभाग द्वारा औसत से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है. इसे देखते हुए जिला कलेक्टर आलोक रंजन के निर्देश पर सभी प्रमुख बांधों की नहरों और डैम के गेट की मेंटेनेंस के साथ ग्रीसिंग करवा दी गई है. इसका मुख्य उद्देश्य बांध के ओवरफ्लो होने की स्थिति में आसानी से पानी की निकासी है.

पढ़ें: राजस्थान के 'डार्क जोन' में पेयजल संकट, 17 बांधों में से सिर्फ एक में बचा पानी - Alwar Dams

जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता राजकुमार शर्मा का कहना है कि मौसम विभाग की ओर से बारिश की भविष्यवाणी को देते हुए इस बार विभाग द्वारा खरीफ के रकबे में बढ़ोतरी की गई है. करीब 3.25 लाख हेक्टर एरिया में खरीफ की बुवाई का लक्ष्य रखा गया. इनमें सर्वाधिक मक्का की बुवाई होगी. दूसरे नंबर पर किसानों द्वारा सोयाबीन की बुवाई किए जाने की संभावना है.

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