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चीनी माल की गारंटी नहीं: प्रदेश में 583 इलेक्टिक बसों में 106 खस्ताहाल, बैट्री खराब होने से वर्कशॉप की बढ़ा रहीं शोभा - CITY ELECTRIC BUS

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 7:44 PM IST

Updated : Jun 27, 2024, 9:48 PM IST

उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन बैट्री की समस्या के चलते बड़ी संख्या में बसें ऑफ रोड हो गई है. प्रदेशभर में 106 खस्ताहाल बसों में अकेले लखनऊ में 19 बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं.

बैट्री खराब होने से इलेक्ट्रिक बसों की सेवा प्रभावित
बैट्री खराब होने से इलेक्ट्रिक बसों की सेवा प्रभावित (PHOTO Source ETV BHARAT)

चीनी बैट्रियों के फेल होने से इलेक्ट्रिक बसों के थमे पहिए (Video Source ETV BHARAT)

लखनऊ: कहते हैं चीनी माल की कोई गारंटी नहीं होती है, यह बात उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में शुरू की गई इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में सच होती दिख भी रही है. कम समय में ही इलेक्ट्रिक बसों में लगी चीन की बैटरी दगा देने लगी है. इससे यात्रियों को मिलने वाली सहूलियत खत्म होने लगी है. फिलहाल लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य शहरों में 106 इलेक्ट्रिक बसें खस्ताहाल हो गई हैं. ये बसें सड़क पर संचालित न होकर वर्कशॉफ में खड़ी हो गई हैं. लखनऊ में इन बसों की संख्या सबसे ज्यादा 19 है. बैटरी के साथ सेंसिटिव होने के कारण इन बसों में डस्ट जाते ही एयर प्रेशर भी जाम हो जा रहा है. नई इलेक्ट्रिक बसें पीएमआई कंपनी की हैं. कंपनी ने दावे बड़े-बड़े किए थे. लेकिन एक पर भी खड़ी उतर नहीं रही है. इलेक्ट्रिक बसें खराब होने से भीषण गर्मी में यात्रियों को एसी की सुविधा नहीं मिल पा रही है. जिससे उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के 14 बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है. आगरा, अलीगढ़, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, शाहजहांपुर और वाराणसी शामिल हैं. इन सभी शहरों में कुल 700 बसें चलाने का लक्ष्य है. जिनमें से दो चरणों में 614 बसों की डिलीवरी हो चुकी है. और इन शहरों में 583 बसों का संचालन प्रारंभ हो गया है. आगरा, लखनऊ और कानपुर में इन बसों की सबसे ज्यादा फ्लीट है. लखनऊ में 100, आगरा में 76 और कानपुर में 82 बसों का संचालन हो भी रहा है. वाराणसी और प्रयागराज में 50-50 बसों की फ्लीट है. गाजियाबाद और मेरठ में 30-30, अलीगढ़, गोरखपुर और झांसी में 25-25, बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर में 10 बसों का संचालन किया जा रहा है.

इन शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है, लेकिन यह बसें अभी से दगा भी देने लगी हैं. बसों में लगी चाइनीज बैटरी खराब होने लगी हैं. लिहाजा, सड़क पर यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गई इलेक्ट्रिक बसें अब वर्कशॉप में खड़ी हो गई हैं. लखनऊ में सबसे ज्यादा 19 बसें खराब हैं. कानपुर में 17, आगरा में 16, वाराणसी में 10, मथुरा में आठ, मेरठ में आठ, गाजियाबाद में नौ, प्रयागराज में चार, झांसी में चार, गोरखपुर में चार, शाहजहांपुर में दो, मुरादाबाद में दो, बरेली में दो और अलीगढ़ में एक बस खराब होकर कार्यशाला में खड़ी हो गई है.

साल 2020 में एक समझौते के तहत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का फैसला लिया गया था. 966 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में 315 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है. भारत सरकार की ओर से 270 करोड़ तो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 45 करोड़ रुपए की सब्सिडी शामिल है. फेम टू योजना के तहत इन बसों का संचालन शुरू किया गया.

लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी भी स्वीकार रहे हैं कि, इन बसों में चाइनीज बैटरी लगी हैं. और चीन से समय पर बैटरी नहीं मिल रही है. जिसके चलते बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं. यह बसें काफी हाईटेक हैं, इसलिए डस्ट की वजह से इनके एयर कंप्रेसर पर भी असर पड़ता है. पीएमआई कंपनी से संपर्क किया गया है. और जल्द से जल्द बैटरी की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है, साथ ही अन्य जो भी बस में समस्या है, उसे भी दूर करने के लिए कहा गया है.

ये भी पढ़ें: यूपी में ड्राइविंग ट्रेंनिंग रिसर्च सेंटर बनाने को मिली मंजूरी, ड्राइविंग टेस्ट से मिलेगी छूट - State Transport Authority Meeting

चीनी बैट्रियों के फेल होने से इलेक्ट्रिक बसों के थमे पहिए (Video Source ETV BHARAT)

लखनऊ: कहते हैं चीनी माल की कोई गारंटी नहीं होती है, यह बात उत्तर प्रदेश के 14 शहरों में शुरू की गई इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में सच होती दिख भी रही है. कम समय में ही इलेक्ट्रिक बसों में लगी चीन की बैटरी दगा देने लगी है. इससे यात्रियों को मिलने वाली सहूलियत खत्म होने लगी है. फिलहाल लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य शहरों में 106 इलेक्ट्रिक बसें खस्ताहाल हो गई हैं. ये बसें सड़क पर संचालित न होकर वर्कशॉफ में खड़ी हो गई हैं. लखनऊ में इन बसों की संख्या सबसे ज्यादा 19 है. बैटरी के साथ सेंसिटिव होने के कारण इन बसों में डस्ट जाते ही एयर प्रेशर भी जाम हो जा रहा है. नई इलेक्ट्रिक बसें पीएमआई कंपनी की हैं. कंपनी ने दावे बड़े-बड़े किए थे. लेकिन एक पर भी खड़ी उतर नहीं रही है. इलेक्ट्रिक बसें खराब होने से भीषण गर्मी में यात्रियों को एसी की सुविधा नहीं मिल पा रही है. जिससे उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के 14 बड़े शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है. आगरा, अलीगढ़, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, शाहजहांपुर और वाराणसी शामिल हैं. इन सभी शहरों में कुल 700 बसें चलाने का लक्ष्य है. जिनमें से दो चरणों में 614 बसों की डिलीवरी हो चुकी है. और इन शहरों में 583 बसों का संचालन प्रारंभ हो गया है. आगरा, लखनऊ और कानपुर में इन बसों की सबसे ज्यादा फ्लीट है. लखनऊ में 100, आगरा में 76 और कानपुर में 82 बसों का संचालन हो भी रहा है. वाराणसी और प्रयागराज में 50-50 बसों की फ्लीट है. गाजियाबाद और मेरठ में 30-30, अलीगढ़, गोरखपुर और झांसी में 25-25, बरेली, मुरादाबाद और शाहजहांपुर में 10 बसों का संचालन किया जा रहा है.

इन शहरों में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो रहा है, लेकिन यह बसें अभी से दगा भी देने लगी हैं. बसों में लगी चाइनीज बैटरी खराब होने लगी हैं. लिहाजा, सड़क पर यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गई इलेक्ट्रिक बसें अब वर्कशॉप में खड़ी हो गई हैं. लखनऊ में सबसे ज्यादा 19 बसें खराब हैं. कानपुर में 17, आगरा में 16, वाराणसी में 10, मथुरा में आठ, मेरठ में आठ, गाजियाबाद में नौ, प्रयागराज में चार, झांसी में चार, गोरखपुर में चार, शाहजहांपुर में दो, मुरादाबाद में दो, बरेली में दो और अलीगढ़ में एक बस खराब होकर कार्यशाला में खड़ी हो गई है.

साल 2020 में एक समझौते के तहत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का फैसला लिया गया था. 966 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में 315 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है. भारत सरकार की ओर से 270 करोड़ तो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से 45 करोड़ रुपए की सब्सिडी शामिल है. फेम टू योजना के तहत इन बसों का संचालन शुरू किया गया.

लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी भी स्वीकार रहे हैं कि, इन बसों में चाइनीज बैटरी लगी हैं. और चीन से समय पर बैटरी नहीं मिल रही है. जिसके चलते बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं. यह बसें काफी हाईटेक हैं, इसलिए डस्ट की वजह से इनके एयर कंप्रेसर पर भी असर पड़ता है. पीएमआई कंपनी से संपर्क किया गया है. और जल्द से जल्द बैटरी की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा गया है, साथ ही अन्य जो भी बस में समस्या है, उसे भी दूर करने के लिए कहा गया है.

ये भी पढ़ें: यूपी में ड्राइविंग ट्रेंनिंग रिसर्च सेंटर बनाने को मिली मंजूरी, ड्राइविंग टेस्ट से मिलेगी छूट - State Transport Authority Meeting

Last Updated : Jun 27, 2024, 9:48 PM IST
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