पटना : बिहार विधानसभा में आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच इशारों में संवाद हुआ. इस संवाद के बाद सियासी चर्चा भी शुरू होने लगी. तेजस्वी यादव से जब सवाल पूछा गया तब तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री कुछ संकेत में कहते रहते हैं, हम लोग भी संकेत में जवाब देते हैं. बुझने वाला बुझते रहे. दूसरे दलों के सदस्यों ने भी अपने-अपने तरीके से नीतीश कुमार और तेजस्वी के बीच हुए संवाद को लेकर बयान दिया.
नीतीश और तेजस्वी का इशारों में संवाद : विधानसभा शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन था. मुख्यमंत्री लगातार सदन में आ रहे हैं और कार्यवाही में भाग ले रहे हैं. दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी लगातार सदन में आ रहे हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच इशारों में संवाद भी हो रहा है. आज भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. हालांकि नीतीश कुमार जब तेजस्वी यादव के साथ इशारों में संवाद कर रहे थे तो बीजेपी के दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा उनके बगल में ही बैठे हुए थे.
'बूझने वाला बूझते रहे' : दरअसल, ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री अशोक चौधरी जब एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे, तो उस दौरान भी नीतीश कुमार ने इशारों में तेजस्वी यादव को देखकर संकेत किया. जब यह सवाल तेजस्वी यादव से मीडिया के लोगों ने पूछा तो तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री इशारों में संकेत करते रहते हैं. हम भी उसका जवाब देते रहते हैं अब बूझने वाला बूझते रहे.
''मुख्यमंत्री जी इशारे-इशारे में कुछ-कुछ कहते रहते हैं, तो हमलोग भी इशारे-इशारे में जवाब देते हैं. बूझे वाला बूझ ता.''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
आगे-आगे देखिए होता है क्या? : कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच इशारों में बातचीत को अपने तरीके से जवाब दिया. उन्होंने कहा, 'ये तो इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या, आगे-आगे देखिए होता है क्या?'. 'तेरे इश्क की इंतिहा चाहता हूं, मेरी सादगी देख क्या चाहता हूं.'
''सदन की कार्यवाही चल रही है तो इसलिए मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष एक-दूसरे के बीच सम्मान व्यक्त करते हैं. यह हमारी भारतीय परंपरा है. जो मुंगेरीलाल के हसीन सपना देख रहे हैं वह सपना ही देखते रह जाएंगे.''- जनक सिंह, बीजेपी विधायक
सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म : दरअसल, नीतीश कुमार पहले भी कई बार पाला बदल चुके हैं. इसीलिए जब भी विरोधी नेताओं के साथ उनका संवाद होता है तो सियासी चर्चा होने लगती है. वैसे नीतीश कुमार ने सदन में पिछले तीन दिनों में कुछ भी नहीं बोला है. केवल इशारों में ही नमस्कार और प्रणाम किया है और संकेत में ही बातचीत हुई है, इस पर ही चर्चा शुरू है.
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