पटना : बिहार में भ्रष्टाचार बड़ी समस्या है. इंडिया करप्शन सर्वे 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में दूसरा सबसे भ्रष्ट राज्य बिहार है. राज्य के 75% लोगों ने यह माना कि उन्हें काम करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. जबकि 50% लोगों ने यह कहा कि उन्हें कई बार रिश्वत देकर अपना काम कराया है. 2005 में नीतीश कुमार सुशासन और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के दागों के साथ सत्ता में काबिज हुए. नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की.
भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल : बिहार सरकार ने भ्रष्ट अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 बनाया था. इसके लिए विशेष अदालत का गठन भी किया गया था. राज्य सरकार ने बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 के एक्ट 13 ई के तहत संपत्ति जब्ती का प्रावधान किया है. 19 अगस्त 2011 को पटना हाईकोर्ट ने भी कानून पर मुहर लगा दी थी. साल 2010-11 में सरकार ने कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की. पूर्व आईएएस अधिकारी और पूर्व डीजीपी की संपत्ति जब्त की गई और उसमें स्कूल खोले गए. इसके अलावा दो इंजीनियर की संपत्ति भी जब्त की गई. लेकिन कार्रवाई पर विराम लग गया.
आय से अधिक संपत्ति मामले पर कार्रवाई : आपको बता दें कि साल 2010 से लेकर 2022 तक कुल 34 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई की. ज्यादातर मामले आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का था. कुछ मामले ट्रैप के भी थे. इसके अलावा आर्थिक अपराधिकारी और निगरानी इकाई ने भी भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ा है. इसकी फेहरिस्त काफी लंबी है. पूर्व आईएएस अधिकारी के आलीशान आवास को रुकनपुरा में स्कूल के रूप में तब्दील कर दिया गया. प्राथमिक विद्यालय रुकनपुरा में गरीब बच्चे पढ़ाई करते हैं. संगमरमर टाइल्स और झूले का आनंद गरीब बच्चे उठाते हैं. स्कूल में लगभग 100 बच्चे अध्यनरत हैं.
कई कार्रवाई बनी नजीर : स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे आशीष ने कहा कि हमारा स्कूल बिहार में अनोखा है. हमारे स्कूल में जो सुविधाएं हैं वह किसी भी स्कूल में नहीं हैं. तमाम तरह की अत्याधुनिक सुविधाओं से हमारा स्कूल लैस है. स्कूल में पढ़ने वाली बच्ची श्वेता बताती है कि हम लोग चमकदार फर्श वाले स्कूल में पढ़ाई करते हैं. तमाम तरह की सुविधा हमें मिली है. खुद हम लोग स्कूल को मेंटेन रखने की कोशिश भी करते हैं. अब जबकि बिहार सरकार ने भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 पारित किया है, वैसे में पूरे मसले पर सियासत शुरू हो गई है. विपक्ष सरकार पर हमलावर दिख रहा है.
वाम दल के विधायक सत्येंद्र यादव ने कहा है कि ''नीतीश कुमार ने भ्रष्ट अधिकारियों के मकान में स्कूल खोलने की योजना शुरू की थी. लेकिन तीन चार अधिकारियों के साथ ही ऐसा हो पाया. बाद में अधिकारियों के दबाव में योजना पर ग्रहण लग गई. नया विधेयक भी दिखावे के लिए है.'' कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद ने कहा है कि ''नीतीश कुमार भ्रष्ट अधिकारियों के बदौलत ही सरकार चलाते हैं. सिर्फ सरकार आई वॉश करती है, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाना सरकार का लक्ष्य नहीं है.''
जदयू नेता और पूर्व मंत्री मदन साहनी ने कहा है कि ''भ्रष्ट अधिकारियों को लेकर सरकार गंभीर है. भले ही स्कूल ना खोले गए हों लेकिन भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की जा रही है. वैसे भी बिहार में स्कूल पर्याप्त मात्रा में खुल चुके हैं.'' वरिष्ठ पत्रकार संतोष कुमार ने कहा है कि ''जब बिहार में भ्रष्ट अधिकारियों के मकान में स्कूल खोलने की योजना शुरू हुई थी तो पूरे देश में नजीर बना था. लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के वजह से योजना अधूरी रह गई. हमें यह लगता है कि सरकार ने जो नया कानून बनाया है उसका भी हश्र कहीं वैसा ही ना हो.''
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