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एनआईटी निर्माणकार्य के लिए पेड़ों का अवैध कटान, ग्रामीणों ने लगाये गंभीर आरोप - Srinagar Forest Department

Srinagar Forest Department एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर निर्माण के दौरान निर्माणदायी संस्था पर बिना अनुमति पेड़ों को काटने का आरोप लगाया जा रहा है. सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य के लिए यहां बिना अनुमति के पेड़ों को काट दिया गया है.

felled trees
काटे हुए पेड़ (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 4, 2024, 5:59 PM IST

ग्रामीणों ने एनआईटी का निर्माण करने वाली कंपनी पर सवाल उठाए (video-ETV Bharat)

श्रीनगर: क्षेत्र से 18 किमी दूर सुमाड़ी क्षेत्र में एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर का निर्माण किया जाना है. यहां निर्माण के लिए काटे जाने वाले पेड़ों को वन विभाग द्वारा चिन्हित किया गया, लेकिन अभी इन्हें काटने की अनुमति नहीं मिली हैं. इसी बीच एनआईटी संघर्ष समिति सुमाड़ी के अध्यक्ष विपुल जोशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग की अनुमति के बगैर यहां पेड़ों का कटान किया गया है, जबकि निर्माणदायी संस्था खुद पेड़ को गिरने की बात कह रही है.

एनआईटी संघर्ष समिति ने पेड़ काटने का लगाया आरोप: एनआईटी संघर्ष समिति सुमाड़ी के अध्यक्ष विपुल जोशी ने बताया कि अभी तक वन विभाग द्वारा केवल पेड़ों की गणना की गई है, लेकिन निर्माण कंपनी ने कई पेड़ों को जमींदोज कर दिया है. वनों की बहुमूल्य वन संपदा को नियमों को ताक पर रखकर नष्ट किया जा रहा है. यहां 45 नंबर पेड़ को जड़ से उखाड़ दिया गया है, जिसका उनके पास साक्ष्य भी हैं. वहीं, निर्माणदायी संस्था के साइट इंचार्ज विकास बाबू ने कहा कि एक माह पूर्व कुछ पेड़ गिर गये थे, जिनकी जानकारी वन विभाग को भी दी गई थी. उनके द्वारा पेड़ों को नहीं काटा गया है.

अधिकारी बोले मामले होगी जांच: रेंजर दिनेश चंद्र नौटियाल ने बताया कि स्थायी परिसर निर्माण के लिए चौदह सौ से अधिक पेड़ों की गणना कर सूची भेजी जा रही है. प्रजातिवार पेड़ों की गणना के बाद शासन स्तर से पेड़ों के कटान के लिए अनुमति मिलेगी. रोड बनने व भवन निर्माण के दौरान आने वाले पेड़ों को ही काटा जाना है. उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण पेड़ गिर सकते हैं, लेकिन अगर अनुमति मिलने से पूर्व पेड़ काटा गया है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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एनआईटी संघर्ष समिति ने पेड़ काटने का लगाया आरोप: एनआईटी संघर्ष समिति सुमाड़ी के अध्यक्ष विपुल जोशी ने बताया कि अभी तक वन विभाग द्वारा केवल पेड़ों की गणना की गई है, लेकिन निर्माण कंपनी ने कई पेड़ों को जमींदोज कर दिया है. वनों की बहुमूल्य वन संपदा को नियमों को ताक पर रखकर नष्ट किया जा रहा है. यहां 45 नंबर पेड़ को जड़ से उखाड़ दिया गया है, जिसका उनके पास साक्ष्य भी हैं. वहीं, निर्माणदायी संस्था के साइट इंचार्ज विकास बाबू ने कहा कि एक माह पूर्व कुछ पेड़ गिर गये थे, जिनकी जानकारी वन विभाग को भी दी गई थी. उनके द्वारा पेड़ों को नहीं काटा गया है.

अधिकारी बोले मामले होगी जांच: रेंजर दिनेश चंद्र नौटियाल ने बताया कि स्थायी परिसर निर्माण के लिए चौदह सौ से अधिक पेड़ों की गणना कर सूची भेजी जा रही है. प्रजातिवार पेड़ों की गणना के बाद शासन स्तर से पेड़ों के कटान के लिए अनुमति मिलेगी. रोड बनने व भवन निर्माण के दौरान आने वाले पेड़ों को ही काटा जाना है. उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण पेड़ गिर सकते हैं, लेकिन अगर अनुमति मिलने से पूर्व पेड़ काटा गया है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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