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महाकुंभ में संगम का पानी नहाने योग्य नहीं, आचमन तो दूर की बात; जानिए NGT कोर्ट ने क्यों की टिप्पणी? - MAHA KUMBH MELA 2025

एनजीटी कोर्ट ने प्रयागराज में गंगा की स्थिति और रिपोर्ट में हीलाहवाली पर जताई नाराजगी, आइए जानते हैं क्या है मामला?

प्रयागराज में गंगा-यमुना.
प्रयागराज में गंगा-यमुना. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2025, 6:26 PM IST

वाराणसी: प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने से पहले गंगा की स्थिति को लेकर एनजीटी कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस अप्लीकेशन पर सोमवार को एक बार फिर से दिल्ली में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एनजीटी कोर्ट ने गंगा के हालात और दस्तावेज और रिपोर्ट को लेकर हीला हवाली पर गहरी नाराजगी जताई है. इस दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई में यूपीपीसीबी और मेंबर सेक्रेटरी को खुद कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है.

दरअसल गंगा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कुंभ से पहले ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी कोर्ट में इसकी सफाई पर उचित आदेश जारी करने के लिए एप्लीकेशन दी थी. जिस पर लगातार सुनवाई जारी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यह स्पष्ट आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा-यमुना का पानी नहाने और आचमन योग्य होना चाहिए. जिसके लिए हर बिंदु में निर्धारित किए गए थे. इसके बाद कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई 25 दिसंबर की सुनवाई के बाद आज हुई सुनवाई में कोर्ट में स्पष्ट रूप से रिपोर्ट में हीला हवाली को लेकर गहरी नाजराजगी जताई है.

अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि आज हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रयागराज में गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर यूपीपीसीबी द्वारा रिपोर्ट दायर करने में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते मेंबर सेकेरेट्री (सदस्य सचिव), यूपीपीसीबी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है. एनजीटी ने यहां तक कह दिया कि यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) वास्तविक स्थिति को छुपाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, सीबीसीबी ( केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) कि सराहना करते हुए एनजीटी ने कहा कि सीबीसीबी के चलते सही तथ्य सामने आयी. एनजीटी ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया की गंगा जल में फीकल कालीफार्म ( Fecal Coliform) एवं बीओडी (Bio-Chemical Oxygen Demand) निर्धारित मानक से बहुत ज्यादा है. ऐसे में जल आचमन योग्य तो दूर की बात, नहाने योग्य भी नहीं है.

इसे भी पढ़ें-कुंभ के दौरान गंगा और यमुना की शुद्धता रहे बरकरार, NGT कोर्ट में आठ पॉइंट का जारी किया आदेश

वाराणसी: प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने से पहले गंगा की स्थिति को लेकर एनजीटी कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस अप्लीकेशन पर सोमवार को एक बार फिर से दिल्ली में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एनजीटी कोर्ट ने गंगा के हालात और दस्तावेज और रिपोर्ट को लेकर हीला हवाली पर गहरी नाराजगी जताई है. इस दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई में यूपीपीसीबी और मेंबर सेक्रेटरी को खुद कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है.

दरअसल गंगा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कुंभ से पहले ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी कोर्ट में इसकी सफाई पर उचित आदेश जारी करने के लिए एप्लीकेशन दी थी. जिस पर लगातार सुनवाई जारी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यह स्पष्ट आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा-यमुना का पानी नहाने और आचमन योग्य होना चाहिए. जिसके लिए हर बिंदु में निर्धारित किए गए थे. इसके बाद कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई 25 दिसंबर की सुनवाई के बाद आज हुई सुनवाई में कोर्ट में स्पष्ट रूप से रिपोर्ट में हीला हवाली को लेकर गहरी नाजराजगी जताई है.

अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि आज हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रयागराज में गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर यूपीपीसीबी द्वारा रिपोर्ट दायर करने में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते मेंबर सेकेरेट्री (सदस्य सचिव), यूपीपीसीबी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है. एनजीटी ने यहां तक कह दिया कि यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) वास्तविक स्थिति को छुपाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, सीबीसीबी ( केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) कि सराहना करते हुए एनजीटी ने कहा कि सीबीसीबी के चलते सही तथ्य सामने आयी. एनजीटी ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया की गंगा जल में फीकल कालीफार्म ( Fecal Coliform) एवं बीओडी (Bio-Chemical Oxygen Demand) निर्धारित मानक से बहुत ज्यादा है. ऐसे में जल आचमन योग्य तो दूर की बात, नहाने योग्य भी नहीं है.

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