वाराणसी: प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने से पहले गंगा की स्थिति को लेकर एनजीटी कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस अप्लीकेशन पर सोमवार को एक बार फिर से दिल्ली में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान एनजीटी कोर्ट ने गंगा के हालात और दस्तावेज और रिपोर्ट को लेकर हीला हवाली पर गहरी नाराजगी जताई है. इस दौरान कोर्ट ने अगली सुनवाई में यूपीपीसीबी और मेंबर सेक्रेटरी को खुद कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है.
दरअसल गंगा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कुंभ से पहले ही याचिकाकर्ता अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने एनजीटी कोर्ट में इसकी सफाई पर उचित आदेश जारी करने के लिए एप्लीकेशन दी थी. जिस पर लगातार सुनवाई जारी है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यह स्पष्ट आदेश दिया था कि कुंभ के दौरान गंगा-यमुना का पानी नहाने और आचमन योग्य होना चाहिए. जिसके लिए हर बिंदु में निर्धारित किए गए थे. इसके बाद कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई 25 दिसंबर की सुनवाई के बाद आज हुई सुनवाई में कोर्ट में स्पष्ट रूप से रिपोर्ट में हीला हवाली को लेकर गहरी नाजराजगी जताई है.
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat) अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि आज हुई सुनवाई में एनजीटी ने प्रयागराज में गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर यूपीपीसीबी द्वारा रिपोर्ट दायर करने में हीलाहवाली को गंभीरता से लेते मेंबर सेकेरेट्री (सदस्य सचिव), यूपीपीसीबी को व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने का आदेश दिया है. एनजीटी ने यहां तक कह दिया कि यूपीपीसीबी (उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) वास्तविक स्थिति को छुपाने का प्रयास कर रहा है. वहीं, सीबीसीबी ( केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) कि सराहना करते हुए एनजीटी ने कहा कि सीबीसीबी के चलते सही तथ्य सामने आयी. एनजीटी ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया की गंगा जल में फीकल कालीफार्म ( Fecal Coliform) एवं बीओडी (Bio-Chemical Oxygen Demand) निर्धारित मानक से बहुत ज्यादा है. ऐसे में जल आचमन योग्य तो दूर की बात, नहाने योग्य भी नहीं है.
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