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साइबर अपराध की दुनिया में नया खौफ, डिजिटल अरेस्ट के जरिए अपराधी तलाश रहे हैं शिकार - Digital House Arrest

DIGITAL HOUSE ARREST, इन दिनों साइबर अपराध की दुनिया में अपराधियों का नया औजार डिजिटल अरेस्ट के रूप में सामने आया है. साइबर अपराधी केंद्रीय जांच एजेंसियों का खौफ दिखाकर लोगों को वर्चुअल कैद कर रहे हैं. वहीं, झांसे में आकर पीड़ित करोड़ों रुपए गंवा रहे हैं.

DIGITAL HOUSE ARREST
साइबर अपराध की दुनिया में नया खौफ (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 10, 2024, 9:57 PM IST

जयपुर : साइबर ठगी की लगातार बढ़ती वारदातें आमजन के साथ ही पुलिस के लिए भी चिंता का सबब बन रही हैं. शातिर साइबर ठग आए दिन अपराध का पैटर्न बदल देते हैं, जिसके कारण पुलिस की मुहिम भी फीकी पड़ जाती है. हाल में जयपुर में हुई एक वारदात में फिर से साइबर ठगों के बढ़ते बेलगाम कदम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. साइबर क्राइम के लगातार बढ़ते मामले आमजन के साथ ही पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का सबब बन रहे हैं. ऐसे में लोग जाने-अनजाने में लाखों करोड़ों रुपए की साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं. साइबर ठगी की दुनिया में अब डिजिटल अरेस्ट की सबसे ज्यादा चर्चा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.

इस तरह किया जाता है डिजिटल अरेस्ट : पहले कॉल और फिर वीडियो कॉल कर साइबर ठग अपने शिकार को झांसे में लेते हैं. वे पहले कॉल करते हैं और उनके खिलाफ शिकायत, सबूत या जांच होने की बात कहकर डराते हैं. इसके बाद वे उन्हें कुछ खास एप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं. इस दौरान सामने स्क्रीन पर दिखाई देने वाले शख्स की वर्दी और हावभाव ऐसे होते हैं कि पीड़ित सच में उसे किसी जांच एजेंसी का बड़ा अधिकारी समझ बैठता है और अपनी सारी जानकारी साझा कर देता है.

इसे भी पढ़ें - देश में 'डिजिटल अरेस्ट' के मामले बढ़े, अलर्ट जारी, सरकार ने लोगों की यह अपील - MHA Alert Over Digital Arrest

जांच के नाम पर ठग रकम खातों में ट्रांसफर करते हैं. पुलिस के मुताबिक शातिर साइबर अपराधी अपने शिकार को चंगुल में फंसाने के बाद उसे मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित करते हैं कि वह अपने बैंक खातों के साथ ही अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी उनसे शेयर कर देता है. इसके बाद वे बड़ी मात्रा में रकम पीड़ित के बैंक खाते से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं और जांच पूरी होने के बाद रकम लौटाने का भरोसा दिलाते हैं. इस दौरान वे शिकार को सख्त हिदायत देते हैं कि किसी को भी इसके बारे में नहीं बताए. इससे समय पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है.

आम हो या खास, सावधानी ही बचाव : साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश लगातार वारदात का तरीका बदलते रहते हैं. कई बार काफी पढ़े लिखे और समझदार लोग भी उनका शिकार बन जाते हैं. ऐसे में सावधानी रखकर और जागरूक बनकर ही साइबर ठगी की वारदातों से बचा जा सकता है. किसी भी अनजान शख्स को कॉल या वीडियो कॉल पर अपनी निजी या बैंक खातों संबंधी जानकारी शेयर करने से बचना चाहिए.

इसे भी पढ़ें - महिला बैंक मैनेजर को वीडियो कॉल पर पांच घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, शातिर साइबर बदमाशों ने खाते से उड़ाए 17 लाख रुपए - CYBER FRAUD

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी का कहना है कि यह घटनाएं तकनीक की जानकारी नहीं होने के कारण नहीं, बल्कि आम आदमी के मन में बैठे डर, कॉमन सेंस की कमी और बदनामी के डर के कारण ज्यादा बढ़ रही है. साइबर अपराधी इसी डर को हथियार बनाकर वारदात करने में सफल हो रहे हैं. इसके साथ ही जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं होना भी ऐसी घटनाओं का एक कारण है.

उनका कहना है कि ऐसा कोई भी कॉल आने पर संबंधित व्यक्ति को पुलिस की मदद लेनी चाहिए. साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. ज्यादातर मामलों में पीड़ित अपने परिजनों तक से बात नहीं करते हैं. जबकि किसी भी तरह की परेशानी आने पर अपने परिजनों से खुलकर बात करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें - जांच एजेंसियों का खौफ दिखाकर लोगों को वर्चुअल कैद कर रहे शातिर साइबर ठग, झांसे में आकर पीड़ित गंवा रहे करोड़ों रुपए - Cyber Fraud

8 दिन तक रखा गया डिजिटल अरेस्ट : साइबर अपराधी डिजिटल हाउस अरेस्ट के नाम पर पीड़ित को उसके घर में ही बंधक बनाकर रखते हैं. हाल में ही एक मामला राजधानी जयपुर में सामने आया, जिसमें साइबर ठगों ने पीड़ित से 4.55 लाख रुपए ठग लिए. ठगों ने जयपुर के वैशाली नगर निवासी पीड़ित को करीब 8 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट करके रखा.

शुक्रवार तक पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा. इतने लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट का यह पहला मामला बताया जा रहा है. ठगों ने 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी देकर 4.55 लाख रुपये ठग लिए. ठगों ने खुद को सीबीआई, आरबीआई और ईडी अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

जयपुर : साइबर ठगी की लगातार बढ़ती वारदातें आमजन के साथ ही पुलिस के लिए भी चिंता का सबब बन रही हैं. शातिर साइबर ठग आए दिन अपराध का पैटर्न बदल देते हैं, जिसके कारण पुलिस की मुहिम भी फीकी पड़ जाती है. हाल में जयपुर में हुई एक वारदात में फिर से साइबर ठगों के बढ़ते बेलगाम कदम को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. साइबर क्राइम के लगातार बढ़ते मामले आमजन के साथ ही पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों के लिए भी चिंता का सबब बन रहे हैं. ऐसे में लोग जाने-अनजाने में लाखों करोड़ों रुपए की साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं. साइबर ठगी की दुनिया में अब डिजिटल अरेस्ट की सबसे ज्यादा चर्चा है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है.

इस तरह किया जाता है डिजिटल अरेस्ट : पहले कॉल और फिर वीडियो कॉल कर साइबर ठग अपने शिकार को झांसे में लेते हैं. वे पहले कॉल करते हैं और उनके खिलाफ शिकायत, सबूत या जांच होने की बात कहकर डराते हैं. इसके बाद वे उन्हें कुछ खास एप के जरिए वीडियो कॉल करते हैं. इस दौरान सामने स्क्रीन पर दिखाई देने वाले शख्स की वर्दी और हावभाव ऐसे होते हैं कि पीड़ित सच में उसे किसी जांच एजेंसी का बड़ा अधिकारी समझ बैठता है और अपनी सारी जानकारी साझा कर देता है.

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जांच के नाम पर ठग रकम खातों में ट्रांसफर करते हैं. पुलिस के मुताबिक शातिर साइबर अपराधी अपने शिकार को चंगुल में फंसाने के बाद उसे मानसिक रूप से इतना प्रताड़ित करते हैं कि वह अपने बैंक खातों के साथ ही अन्य व्यक्तिगत जानकारी भी उनसे शेयर कर देता है. इसके बाद वे बड़ी मात्रा में रकम पीड़ित के बैंक खाते से अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवाते हैं और जांच पूरी होने के बाद रकम लौटाने का भरोसा दिलाते हैं. इस दौरान वे शिकार को सख्त हिदायत देते हैं कि किसी को भी इसके बारे में नहीं बताए. इससे समय पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है.

आम हो या खास, सावधानी ही बचाव : साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देने वाले शातिर बदमाश लगातार वारदात का तरीका बदलते रहते हैं. कई बार काफी पढ़े लिखे और समझदार लोग भी उनका शिकार बन जाते हैं. ऐसे में सावधानी रखकर और जागरूक बनकर ही साइबर ठगी की वारदातों से बचा जा सकता है. किसी भी अनजान शख्स को कॉल या वीडियो कॉल पर अपनी निजी या बैंक खातों संबंधी जानकारी शेयर करने से बचना चाहिए.

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साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट मुकेश चौधरी का कहना है कि यह घटनाएं तकनीक की जानकारी नहीं होने के कारण नहीं, बल्कि आम आदमी के मन में बैठे डर, कॉमन सेंस की कमी और बदनामी के डर के कारण ज्यादा बढ़ रही है. साइबर अपराधी इसी डर को हथियार बनाकर वारदात करने में सफल हो रहे हैं. इसके साथ ही जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं होना भी ऐसी घटनाओं का एक कारण है.

उनका कहना है कि ऐसा कोई भी कॉल आने पर संबंधित व्यक्ति को पुलिस की मदद लेनी चाहिए. साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. ज्यादातर मामलों में पीड़ित अपने परिजनों तक से बात नहीं करते हैं. जबकि किसी भी तरह की परेशानी आने पर अपने परिजनों से खुलकर बात करनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें - जांच एजेंसियों का खौफ दिखाकर लोगों को वर्चुअल कैद कर रहे शातिर साइबर ठग, झांसे में आकर पीड़ित गंवा रहे करोड़ों रुपए - Cyber Fraud

8 दिन तक रखा गया डिजिटल अरेस्ट : साइबर अपराधी डिजिटल हाउस अरेस्ट के नाम पर पीड़ित को उसके घर में ही बंधक बनाकर रखते हैं. हाल में ही एक मामला राजधानी जयपुर में सामने आया, जिसमें साइबर ठगों ने पीड़ित से 4.55 लाख रुपए ठग लिए. ठगों ने जयपुर के वैशाली नगर निवासी पीड़ित को करीब 8 दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट करके रखा.

शुक्रवार तक पीड़ित को अपनी निगरानी में रखा. इतने लंबे समय तक डिजिटल अरेस्ट का यह पहला मामला बताया जा रहा है. ठगों ने 712 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग में फंसाने की धमकी देकर 4.55 लाख रुपये ठग लिए. ठगों ने खुद को सीबीआई, आरबीआई और ईडी अधिकारी बताकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया.

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