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आज से अंग्रेजों के जमाने का कानून खत्म, क्रिमिनल लॉ में कई बदलाव, जानें अब किस धारा के तहत दर्ज होगी FIR - New Criminal Laws - NEW CRIMINAL LAWS

Latest Criminal Laws: फलाना अपराधी पर आईपीसी की धारा के तहत केस दर्ज किया गया है. अब ऐसा सुनने और जानने को नहीं मिलेगा, क्योंकि सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के कानून को खत्म कर दिया है. 1 जुलाई से अपना कानून लागू हो रहा है. जानें क्या-क्या हो रहा बदलाव?

एक जुलाई से नया आपराधिक कानून लागू
एक जुलाई से नया आपराधिक कानून लागू (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 1, 2024, 7:01 AM IST

Updated : Jul 1, 2024, 8:14 AM IST

पटनाः 1 जुलाई से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता(BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(BNSS) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम(BSA) लागू हो जाएगा. ये कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम(IEA) की जगह लेंगे. इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने से चली आ रहीं पुरानी धाराएं और नियम-कानून में काफी बदल जाएंगे. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाएगा.

जानें कौन-कौन कानून बदले
जानें कौन-कौन कानून बदले (ETV Bharat)

जानिए क्या बदला? महिला संबंधी अपराध के लिए IPC 354 के बदले BNS 74, इसी तरह 354A के बदले 75, 354B के बदले 76, 354C के बदले 77, 354D के बदले 78 और 509 के बदले 79 धारा लगाया जाएगा. वहीं चोरी संबंधी अपराध के लिए IPC 379 के बदले BNS 303(2), 411 के बदले 317(2), 457 के बदले 331(4) और 380 के बदले 305 धारा दर्ज किया जाएगा.

लूट संबंधी धाराएं बदलीः लूट संबंधी अपराध के लिए नई धारा लागू की गयी है. IPC 392 के बदले BNS 309, 393 के 309(5), 394 के बदले 309(6) धारा के तहत केस दर्ज होगा. हत्या-आत्महत्या जैसे अपराध के लिए IPC 302 के बदले BND 103, 304(B) के बदले 80(2), 306 के बदले 108, 307 के बदले 109, 304 के बदले 105, 308 के बदले 110 धारा के तहत केस दर्ज होगा.

धोखाधड़ी संबंधी कानून बदलेः धोखाधड़ी संबंधी अपराध के लिए नयी धारा होगी. IPC 419 के बदले BNS 319, 419 के बदले 319(2), 420 के बदले 318(4), 466 के बदले 337, 467 के बदले 338, 468 के बदले 336(3), 471 के बदले 340(2) धारा के तहत केस दर्ज होगा.

जीरो FIR के तहत केस दर्जः किसी भी व्यक्ति के साथ कोई घटना घटती है तो वह कहीं भी प्राथमिक की दर्ज करवा सकता है. जीरो एफआईआर से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है. भले ही अपराध उस थानाक्षेत्र में नहीं हुआ हो. यह कानून लाने का मुख्य उद्देश्य कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म करना है.

2 महीने में जांच रिपोर्ट देनाः नए कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्रायोरिटी पर रखा गया है. मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी. नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. दुष्कर्म मामले के अपराध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा.

इन्हें थाना आने से मिलेगी छूटः महिलाएं पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकेंगें.

बच्चों के लिए विशेष कानूनः नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रही आपराधिक वारदातों के लिए नया नियम बनाया गया है. नए कानून के मुताबिक किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है. यानि किसी भी आपराधिक घटना को पहले आईपीसी के तहत दर्ज किया जाता था लेकिन अब बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

आसान बनाने का प्रयासः भारतीय दंड संहिता(IPC) में 511 धाराएं थीं, लेकिन 1 जुलाई से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 होंगी. नए संहिता में वैसे कानून जो एक दूसरे को ओवरलैप करता है वैसे धाराओं का आपस में विलय किया गया है. उन्हें आसान बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के बदले अब केवल 358 धाराएं होंगी.

यह भी पढ़ेंः नए आपराधिक कानून विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर - New Criminal Laws

पटनाः 1 जुलाई से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता(BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(BNSS) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम(BSA) लागू हो जाएगा. ये कानून क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और पुराने भारतीय साक्ष्य अधिनयम(IEA) की जगह लेंगे. इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने से चली आ रहीं पुरानी धाराएं और नियम-कानून में काफी बदल जाएंगे. भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाएगा.

जानें कौन-कौन कानून बदले
जानें कौन-कौन कानून बदले (ETV Bharat)

जानिए क्या बदला? महिला संबंधी अपराध के लिए IPC 354 के बदले BNS 74, इसी तरह 354A के बदले 75, 354B के बदले 76, 354C के बदले 77, 354D के बदले 78 और 509 के बदले 79 धारा लगाया जाएगा. वहीं चोरी संबंधी अपराध के लिए IPC 379 के बदले BNS 303(2), 411 के बदले 317(2), 457 के बदले 331(4) और 380 के बदले 305 धारा दर्ज किया जाएगा.

लूट संबंधी धाराएं बदलीः लूट संबंधी अपराध के लिए नई धारा लागू की गयी है. IPC 392 के बदले BNS 309, 393 के 309(5), 394 के बदले 309(6) धारा के तहत केस दर्ज होगा. हत्या-आत्महत्या जैसे अपराध के लिए IPC 302 के बदले BND 103, 304(B) के बदले 80(2), 306 के बदले 108, 307 के बदले 109, 304 के बदले 105, 308 के बदले 110 धारा के तहत केस दर्ज होगा.

धोखाधड़ी संबंधी कानून बदलेः धोखाधड़ी संबंधी अपराध के लिए नयी धारा होगी. IPC 419 के बदले BNS 319, 419 के बदले 319(2), 420 के बदले 318(4), 466 के बदले 337, 467 के बदले 338, 468 के बदले 336(3), 471 के बदले 340(2) धारा के तहत केस दर्ज होगा.

जीरो FIR के तहत केस दर्जः किसी भी व्यक्ति के साथ कोई घटना घटती है तो वह कहीं भी प्राथमिक की दर्ज करवा सकता है. जीरो एफआईआर से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा सकता है. भले ही अपराध उस थानाक्षेत्र में नहीं हुआ हो. यह कानून लाने का मुख्य उद्देश्य कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म करना है.

2 महीने में जांच रिपोर्ट देनाः नए कानून में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्रायोरिटी पर रखा गया है. मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी करनी होगी. नए कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. दुष्कर्म मामले के अपराध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा.

इन्हें थाना आने से मिलेगी छूटः महिलाएं पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी और वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकेंगें.

बच्चों के लिए विशेष कानूनः नए कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रही आपराधिक वारदातों के लिए नया नियम बनाया गया है. नए कानून के मुताबिक किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है. किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है. यानि किसी भी आपराधिक घटना को पहले आईपीसी के तहत दर्ज किया जाता था लेकिन अब बीएनएस के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

आसान बनाने का प्रयासः भारतीय दंड संहिता(IPC) में 511 धाराएं थीं, लेकिन 1 जुलाई से लागू होने वाली भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 होंगी. नए संहिता में वैसे कानून जो एक दूसरे को ओवरलैप करता है वैसे धाराओं का आपस में विलय किया गया है. उन्हें आसान बनाने का प्रयास किया गया है, जिससे भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के बदले अब केवल 358 धाराएं होंगी.

यह भी पढ़ेंः नए आपराधिक कानून विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर - New Criminal Laws

Last Updated : Jul 1, 2024, 8:14 AM IST
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