नीमच: मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क के बाद अब प्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट ऑपरेशन चीता के तीसरे चरण में अफ्रीकन चीतों को बसाने के लिए नीमच मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य क्षेत्र में चीतों का बाड़ा तैयार किया गया है. यहां चीतों को बसाने से पहले चीते की सुरक्षा के लिए की गई तार फेंसिंग कर बनाई गई जालीदार दीवार तेज बरसात के चलते टूट गई है. इस घटना ने वन विभाग की लापरवाही और घटिया निर्माण को उजागर कर दिया है. बता दें कि प्रोजेक्ट में देरी के कारण अब तक गांधी सागर अभ्यारण क्षेत्र में चीता नहीं लाये गए थे. यदि चीते आ जाते और इस तरह तार फेंसिंग टूट जाती तो एक बड़ा घटनाक्रम घटित हो सकता था.
चीतों के रहने के लिए बाड़ा किया गया तैयार
नीमच मंदसौर जिले में आने वाले गांधी सागर अभ्यारण क्षेत्र में चीता पुनर्वास परियोजना के तीसरे चरण में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते को लाने की योजना है. अभ्यारण को चीतों के रहवास के लिए तार फेंसिंग कर बाड़ा तैयार किया गया था, लेकिन तेज बारिश होने से बाड़ा टूट गया. जिसके चलते निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए.
30 करोड़ रुपए की लागत से बाड़े का हो रहा निर्माण
चीतों के लिए 67 वर्ग किलोमीटर में करीब 30 करोड़ रुपए की लागत से गांधी सागर अभ्यारण में बाड़े का निर्माण किया गया था. जिसे सीसी के साथ लोहे का एंगल लगाकर तार फेंसिंग की गई थी. जिससे जब चीतों को यहां बसाया जाए तो वे बाहर न निकल सकें. बताया जा रहा है कि फेंसिंग की दीवार क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिलने पर वन कर्मी मौके पर पहुंचे और तार फेंसिंग को ठीक करने का प्रयास किया.
विधायक माधव मारू ने वन विभाग पर लगाए आरोप
इस मामले में मनासा विधायक माधव मारू का कहना है कि "वन विभाग की बड़ी लापरवही सामने आई है. घटिया सामग्री का उपयोग हुआ है, जिस कारण तेज बारिश में फेंसिंग टूट गई. यह जांच का विषय है.'' उन्होंने कहा कि, ''सप्लायर व ठेकेदार के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. यदि चीते आ जाते और फिर इस तरह से फेंसिंग टूटती तो एक बड़ा घटनाक्रम सामने आ सकता था.''