पटनाः बिहार की एनडीए सरकार में सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकारी बैठकों से भाजपा कोटे के मंत्रियों की गैरमौजूदगी ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी है. चर्चा है कि भाजपा के मंत्रियों को खुद नीतीश कुमार ने बैठक का निमंत्रण नहीं भेजा. हाल के कुछ सरकारी कार्यक्रमों में भी भाजपा और जदयू अलग-अलग रास्तों पर चलते नजर आए, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार के अंदर सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा है या दरारें गहरी हो रही हैं?
"भाजपा और जदयू के बीच नूरा कुश्ती चल रही है. नीतीश कुमार बैठक में भाजपा नेताओं को नहीं बुला रहे हैं और भाजपा कोटे के मंत्रियों ने जदयू कोटे के मंत्रियों से दूरी बना रखी है. दोनों के बीच स्वार्थ पर आधारित गठबंधन है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
सराकारी कार्यक्रम लग रहा पार्टी का कार्यक्रमः बिहार में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन है. जदयू एनडीए का हिस्सा है. इस बार केंद्र और राज्य दोनों सरकार में जदयू शामिल है. केंद्र की सरकार जहां जदयू के समर्थन से चल रही है, वहीं नीतीश सरकार भाजपा के समर्थन से चल रही है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक दल तैयारी में जुटे हैं. इस बीच भाजपा और जदयू नेता की बीच दूरी दिख रही है. यहां तक कि सरकारी कार्यक्रमों में भी दूरी दिख रही है. इस संदर्भ में नीचे कुछ कार्यक्रमों के उदाहरण दिये जा रहे हैं.
क्रेडिट लेने की होड़: पटना के बिहटा में एयरपोर्ट बनने का मामला लंबे समय से अटका पड़ा था. अब केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी ही. इसके बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने प्रेस रिलीज जारी कर क्रेडिट लेने की कोशिश की. इसके एक दिन बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यस्थल का दौरा करने पहुंचे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी क्रेडिट लेने में पीछे नहीं दिखे.
"विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू दोनों -बड़े भाई की भूमिका में आना चाहते हैं अर्थात अधिक सीटे चाहते हैं. दोनों दलों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ लगी है मुख्यमंत्री के बैठक से विभागीय मंत्री का गायब होना सवाल तो खड़े करता है लेकिन इसकी परिणति क्या होगी यह भविष्य के गर्भ में है."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
नगर विकास के कार्यक्रम में जदयू नेता नहींः पटना के बापू सभागार में 19 सितंबर को कचरा प्रबंधन अभियान के लिए टोटल सेग्रिगेशन अभियान की शुरुआत राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने की. मौके पर विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, नगर विकास मंत्री नितिन नवीन और रवि शंकर प्रसाद मौजूद रहे. कार्यक्रम में राज्यपाल के अलावा भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद थे, लेकिन एक भी जदयू नेता नहीं दिखे.
विभाग के मंत्री के बिना ही बैठकः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार 19 सितंबर को राज्य में प्रस्तावित एवं निर्माणाधीन चार एक्सप्रेस-वे को लेकर हाईलेवल बैठक की. एक अणे मार्ग स्थित 'संकल्प' में यह बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री को प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी गई. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को एक्सप्रेसवे के लिए समय पर जमीन अधिग्रहण कर लेने का निर्देश दिया. समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा बैठक में नहीं दिखे.
"मुख्यमंत्री सभी विभाग के हेड होते हैं. और वह समीक्षा कर सकते हैं. जरूरी नहीं है कि विभागीय मंत्री बैठक में शामिल हो. दोनों दलों के बीच रिश्तो में कोई कड़वाहट नहीं है. इस मुद्दे पर विपक्ष घड़ियाली आंसू बहा रहा है. एनडीए की सरकार बेहतर तरीके से चल रही है, कहीं कोई समस्या नहीं है."- अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
विधि व्यवस्था की बैठक में उपमुख्यमंत्री नहींः नवादा अग्निकांड के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 21 सितंबर को विधि व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की. आमतौर पर समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी रहती है. लेकिन समीक्षा बैठक के दौरान भाजपा नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मौजूद नहीं थे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस पर तंज भी कसा. 21 सितंबर को ही मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के योजनाओं की समीक्षा की. इस बैठक में भी भाजपा नेता और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा मौजूद नहीं थे.
क्या यह प्रेशर पॉलिटिक्स हैः वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा और जदयू के रिश्तों को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि दोनों दलों के बीच प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर चल रहा है. वहीं मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने इसे नूरा कुश्ती बताया है. हालांकि भाजपा ने इसका खंडन किया है. भाजपा ने राजद को चिंता नहीं करने की सलाह दी है.
"राजद को चिंता करने की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बेहतर तरीके से चल रही है. दोनों दलों के बीच कोई तनाव जैसे स्थिति नहीं है. हमारी पार्टी के नेता इसलिए बैठक में नहीं शामिल हो पा रहे हैं, क्योंकि वह सदस्यता अभियान में जुटे हैं. समय आने पर भाजपा कोटे के मंत्री भी बैठक में शामिल होंगे."- विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता
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