पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव की तैयारी है और NDA राजनेताओं को पीएम मोदी याद आ रहे हैं. जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम की मांग की तो गिरिराज सिंह को भी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की दरकार है. दरभंगा लोकसभा सीट से सांसद गोपाल जी ठाकुर भी प्रधानमंत्री का कार्यक्रम चाहते हैं. एनडीए कैंडिडेट पीएम मोदी के बदौलत चुनावी बैतरणी पर करना चाहते हैं.
26 को अररिया और मुंगेर में मोदी की सभा: 26 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर आ रहे हैं और उस दौरान पीएम मोदी दो चुनावी सभा करेंगे. जदयू नेता और वर्तमान सांसद ललन सिंह के लिए प्रधानमंत्री मोदी मुंगेर में सभा करेंगे तो अररिया में भाजपा सांसद प्रदीप कुमार के लिए भी चुनाव प्रचार करेंगे. फिलहाल अररिया और दरभंगा में कार्यक्रम होना था, लेकिन जदयू के दबाव के बाद दरभंगा के कार्यक्रम को स्थगित किया गया और मुंगेर शिफ्ट किया गया.
मुंगेर जेडीयू के लिए प्रतिष्ठा का विषय: मुंगेर लोकसभा सीट जदयू के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. जनता दल यूनाइटेड ने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को मैदान में दोबारा उतारा है. ललन सिंह नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता माने जाते हैं. ललन सिंह हीट वेव में पसीना बहा रहे हैं. नीतीश कुमार का साथ भी उन्हें मिल रहा है, लेकिन बगैर पीएम का तड़का लगे उनके जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती है.
मुंगरे में लालू ने लड़ाई को बनाया दिलचस्प: मुंगेर लोकसभा सीट पर लड़ाई को लालू प्रसाद यादव ने दिलचस्प बना दिया है. इस बार धानुक जाति से आने वाले नेता अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को मैदान में उतर गया है. मुस्लिम यादव और धानुक वोट के बदौलत लालू यादव जनता दल यूनाइटेड को कठिन चुनौती दे रहे हैं. भूमिहारों के गढ़ माने जाने वाले इस लोकसभा सीट पर 2009 को छोड़ कर हर बार भूमिहार जाति के लोगों का ही कब्जा रहा है.
ललन को भूमिहार वोट बैंक में सेंध का डर : मुंगेर में सबसे अधिक भूमिहार वोटरों की संख्या. भूमिहार वोटरों की संख्या चार लाख बतायी जा रही है. जबकि कुर्मी और धानुक वोटर करीब 2 लाख हैं. यादव की संख्या डेढ़ लाख है. बनिया वोटरों की संख्या डेढ़ लाख के करीब है. 90 हजार के करीब मुस्लिम वोटर हैं. ऐसे में राजनीति के जानकारों का मानना है कि यादव और मुस्लिम वोट बैंक के साथ-साथ यदि कुर्मी और धानुक वोट किसी एक उम्मीदवार को मिल गया और दूसरी ओर भूमिहार वोट बैंक में सेंध लग गया है.
2019 में ललन सिंह रिकॉर्ड मतों से जीते थे: 2019 के लोकसभा चुनाव में भूमिहार उम्मीदवारों के बीच ही मुकाबला हुआ था. राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को 528762 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस की ओर से बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को 360825 वोट मिला था. इन्हीं दोनों के बीच मुकाबला हुआ था. ऐसे तो नीलम देवी इस बार पाला बदलकर एनडीए के साथ है 2019 के चुनाव में जदयू को 51.02 फीसदी वोट मिला था. कांग्रेस 34.81 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर थी. अन्य को 14.17 प्रतिशत वोट मिले थे.
"इस बार मुंगेर की लड़ाई चुनौती पूर्ण होने वाली है. ललन सिंह को अनीता देवी टक्कर देती हुई दिख रही हैं. इस बार के चुनाव में स्थितियां कुछ अलग देखने को मिल रहे हैं कोईरी भी कर्मी और धानुक जदयू का पारंपरिक वोट हुआ करता था. इस वोट बैंक में जदयू से दूरी बना ली है. नौकरी को लेकर युवाओं के अंदर निराशा है. नियोजित शिक्षक और संविदा कर्मी भी बिहार सरकार से नाराज हैं." - कृष्णा प्रसाद, वरिष्ठ पत्रकार
गिरिराज सिंह को भीतरघात का डर: केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के लिए भी राहें आसान नहीं दिख रही है. गिरिराज सिंह दूसरी बार बेगूसराय लोकसभा सीट से भाग्य आजमा रहे हैं, पिछली बार गिरिराज सिंह ने कन्हैया कुमार को बड़े मतों के अंतर से चुनाव हराया था. गिरिराज सिंह को इस बार भीतरघात का डर भी सता रहा है.
गिरिराज सिंह का अवधेश राय से मुकाबला: लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले गिरिराज सिंह का विरोध भी हुआ था और कई जगह पर काला झंडा दिखाया गया था. गिरिराज सिंह के खिलाफ लालू प्रसाद यादव ने स्थानीय और वाम दल नेता अवधेश राय को मैदान में उतारा है. भूमिहारों के गढ़ माने जाने वाले बेगूसराय लोकसभा सीट पर 2009 को छोड़ कर हर बार भूमिहार जाति के लोगों का ही कब्जा रहा है.
2009 से एनडीए कैंडिडेट को मिली जीत: 1952 से 2019 तक इस लोकसभा सीट के लिए कुल 17 चुनाव हुए हैं. जिनमें 9 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है तो एक बार सीपीआई, एक बार जनता पार्टी, एक बार जनता दल, एक बार निर्दलीय, दो बार जेडीयू और दो बार बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है. पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो 2009 में एनडीए के बैनर तले जेडीयू ने तो 2014 और 2019 में बीजेपी ने अपना कमल खिलाया है.
मोनाजिर हसन को छोड़कर भूमिहार का रहा कब्जा: बेगूसराय में मतदाताओं की कुल संख्या करीब 21 लाख 41 हजार 827 है. जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 28 हजार 863 और महिला मतदताओं की संख्या 10 लाख 12 हजार 896 है. यहां सबसे ज्यादा 4 लाख 75 हजार भूमिहार मतदाता हैं. वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब ढाई लाख, कुर्मी-कुशवाहा की संख्या करीब 2 लाख और यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख के आसपास है. कुल मिलाकर इस लोकसभा सीट की राजनीति भूमिहार जाति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. यही कारण है कि 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन को छोड़कर अभी तक सभी सांसद भूमिहार जाति से ही हुए हैं.
"इस बार लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह मुश्किल में दिख रहे हैं. महागठबंधन की ओर से यादव जाति के उम्मीदवार अवधेश राय को मैदान में उतर है. भूमिहार जाति से उनकी पुरानी अदावत है. गिरिराज सिंह को कई मोर्चो पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा और पूर्व विधान परिषद रजनीश सिंह फिलहाल साइलेंट मोड में है. भाजपा के अंदर बेगूसराय में काफी गुटबाजी है. दरभंगा लोकसभा सीट भाजपा के लिए सेफ जोन में माना जाता है. दरभंगा से गोपाल जी ठाकुर सांसद हैं. गोपाल जी ठाकुर सर्व सुलभ नेता हैं और संसद सत्र नहीं चलने के दौरान वह क्षेत्र में उपलब्ध रहते हैं."-रामानुज चौधरी,वरिष्ठ पत्रकार
दरभंगा में गोपाल जी ठाकुर का मुकाबला आरजेडी के ललित यादव से: गोपाल जी ठाकुर के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल की ओर से छह बार से विधायक रहे ललित यादव को मैदान में उतर गया है. ललित यादव बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में दरभंगा लोकसभा सीट पर आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी और बीजेपी के गोपालजी ठाकुर के बीच मुकाबला हुआ था. जिसमें गोपालजी ठाकुर ने बाजी मारी और आरजेडी के अब्दुल बारी सिद्दीकी को 2 लाख 67 हजार 979 वोट से हरा दिया. इस बड़ी हार के बाद आरजेडी ने इस बार अपना योद्धा बदल दिया है.
दरभंगा लोकसभा सीट को ब्राह्मणों का गढ़: दरभंगा लोकसभा सीट को ब्राह्मणों का गढ़ कहा जाता है. यहां सबसे अधिक साढ़े 4 लाख ब्राह्मण वोटर्स हैं. जबकि दूसरे नंबर पर साढ़े 3 लाख वोट के साथ मुस्लिम दूसरे नंबर पर हैं. इसके अलावा मल्लाह जाति के मतदाता करीब 2 लाख जबकि एससी-एसटी के ढाई लाख से ज्यादा वोटर्स हैं. वहीं यादव मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 60 हजार है. ऐसे में MY समीकरण को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा 5 लाख 10 हजार पर पहुंच जाता है. गोपाल जी ठाकुर के खिलाफ कोई एंटी इनकंबेंसी फैक्टर नहीं है.
"दरभंगा सीट पर थोड़ी लड़ाई कठिन दिख रही है और गोपाल जी ठाकुर को वहां मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन मुंगेर लोकसभा सीट पर ललन सिंह मजबूत दिख रहे हैं और उनके विरोध में जो उम्मीदवार हैं. उनके मुकाबले सशक्त नहीं दिख रहे हैं. बेगूसराय में गिरिराज सिंह को डबल इंजन सरकार का फायदा मिल सकता है, लेकिन अवधेश राय उन्हें कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. मोदी की सभा से जो प्रत्याशी संघर्ष कर रहे हैं उनकी जीत सुनिश्चित हो जाएगी." - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक
मोदी की सभा से जीतन राम मांझी को मिला सहारा: इस बार लोकसभा चुनाव में महागठबंधन से एनडीए का सीधा मुकाबला है जिन प्रत्याशी या पार्टी को यह लगता है कि प्रत्याशी उक्त लोकसभा सीट पर कमजोर पड़ रहे हैं तो वहां के बैटलफील्ड में प्रधानमंत्री को उतारा जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम की मांग की थी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बाद जीतन राम मांझी की स्थिति सुधरी थी और वह मजबूत स्थिति में आए थे.
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