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'मां भगवती के कदमों की आहट कई बार सुनी' बिहार के इस मंदिर के महंत बोले- 'बगल से गुजरने का होता है एहसास'

बिहार में कहां है ऐसा शक्तिपीठ, जहां मां भगवती के तीनों रूप विराजमान है. सती माता का कौन सा अंग यहां गिरा था. जानें

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

Updated : 2 hours ago

Patneshwari Devi Temple in patna
पटनेश्वरी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat)

पटना: नवरात्र के महीने में लोग बड़े ही शिद्दत के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना करते हैं. खासकर शक्तिपीठ में जाकर पूजा अर्चना करना लोगों के लिए सौभाग्य की बात होती है. बिहार में भी कई शक्तिपीठ हैं, लेकिन एक ऐसा शक्तिपीठ है जहां मां भगवती के तीनों रूप विराजमान है. वहीं यहां के महंत जो पांच साल की उम्र से मां की सेवा में लगे हैं, आज 74 साल के हो चुके हैं.

पटन देवी करती हैं पटना नगर की रक्षा: महात्मा बुद्ध ने पटना यात्रा के दौरान कहा था कि पटना शहर पर भूकंप आगजनी और बाढ़ का खतरा बना रहेगा. खतरों के बावजूद पटना शहर महफूज है. पटनेश्वरी देवी जिसे पटन देवी के नाम से भी जाना जाता है, पटना नगर की रक्षा आदिकाल से करती आ रही हैं. पटनेश्वरी देवी मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है और यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है.

पटनेश्वरी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat)

"मैं पिछले 8 साल से मां भगवती के मंदिर में आ रही हूं. यहां पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है. मैंने जो भी माता से मांगा था मेरी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं."- बरखा सेठ, श्रद्धालु

मां भगवती के तीनों रूप विराजमान: राजधानी पटना से 12 किलोमीटर दूर पटना सिटी में पटनेश्वरी देवी का मंदिर है. मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है और मां भगवती पटनेश्वरी देवी मंदिर में तीनों रूपों में विराजमान है. पटनेश्वरी देवी मंदिर में मां भगवती काली, लक्ष्मी और सरस्वती तीनों रूपों में विराजमान है. तीन देवियों के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Patneshwari Devi Temple in patna
मां भगवती के तीनों रूप विराजमान (ETV Bharat)

पटनेश्वरी मंदिर में गिरी थी सती माता की जंघा: पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती जब सती हो गई थीं, तब भगवान शिव उनके देह को लेकर तांडव कर रहे थे. भगवान शंकर के गुस्से को शांत करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से माता पार्वती के शरीर को काटा था. माता पार्वती की दाहिनी जंघा पटन देवी में गिरी थी. वह जगह आज की तारीख में मुनेश्वरी देवी के रूप में जानी जाती है. माना जाता है कि पटनेश्वरी देवी मंदिर में लक्ष्मी सरस्वती और काली तीनों विराजमान है.

Patneshwari Devi Temple in patna
पटनेश्वरी देवी मंदिर का हवन कुंड है चमत्कारी (ETV Bharat)

पटनेश्वरी देवी मंदिर का हवन कुंड है चमत्कारी: मंदिर में एक हवन कुंड है और मां भगवती की पूजा अर्चना के बाद लोग नवरात्र के दौरान हवन करते हैं. हवन कुंड की खासियत यह है कि यह कुंड कभी भी भरता नहीं है और उसे मंदिर प्रशासन के द्वारा खाली नहीं कराया जाता है. अब तक हजारों टन हवन सामग्री हवन कुंड में जा चुके हैं लेकिन किसी को पता नहीं है की सामग्री कहां चली जातू है.

"पटनेश्वरी देवी मंदिर में लक्ष्मी सरस्वती और काली तीनों रूपों में भगवती मौजूद हैं. यहां पूजा करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हमने जो भी मां से मांगा था मेरी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं."- डॉक्टर श्रेष्ठा राजश्री,श्रद्धालु

'मैंने कई बार माता को महसूस किया है': महंत विजय शंकर गिरी 74 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं और 5 वर्ष की अवस्था से ही माता की सेवा में लगे हैं. विजय शंकर गिरी कहते हैं कि यह मंदिर आदिकाल से है. मैंने कई बार माता को करीब से महसूस किया है.

"मुझे ऐसा लगा है कि माता मेरे बगल से गुजरी हैं और पायल की आवाज भी सुनाई दी है. मंदिर में जो हवन कुंड है वह अपने आप में अनूठा है. आज तक हवन कुंड की सामग्री कहां गई किसी को पता नहीं चला है. मंदिर प्रशासन के द्वारा कभी भी हवन कुंड की सफाई नहीं की गई."- विजय शंकर गिरी, महंत

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पटना: नवरात्र के महीने में लोग बड़े ही शिद्दत के साथ मां भगवती की पूजा अर्चना करते हैं. खासकर शक्तिपीठ में जाकर पूजा अर्चना करना लोगों के लिए सौभाग्य की बात होती है. बिहार में भी कई शक्तिपीठ हैं, लेकिन एक ऐसा शक्तिपीठ है जहां मां भगवती के तीनों रूप विराजमान है. वहीं यहां के महंत जो पांच साल की उम्र से मां की सेवा में लगे हैं, आज 74 साल के हो चुके हैं.

पटन देवी करती हैं पटना नगर की रक्षा: महात्मा बुद्ध ने पटना यात्रा के दौरान कहा था कि पटना शहर पर भूकंप आगजनी और बाढ़ का खतरा बना रहेगा. खतरों के बावजूद पटना शहर महफूज है. पटनेश्वरी देवी जिसे पटन देवी के नाम से भी जाना जाता है, पटना नगर की रक्षा आदिकाल से करती आ रही हैं. पटनेश्वरी देवी मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है और यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है.

पटनेश्वरी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ (ETV Bharat)

"मैं पिछले 8 साल से मां भगवती के मंदिर में आ रही हूं. यहां पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है. मैंने जो भी माता से मांगा था मेरी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं."- बरखा सेठ, श्रद्धालु

मां भगवती के तीनों रूप विराजमान: राजधानी पटना से 12 किलोमीटर दूर पटना सिटी में पटनेश्वरी देवी का मंदिर है. मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है और मां भगवती पटनेश्वरी देवी मंदिर में तीनों रूपों में विराजमान है. पटनेश्वरी देवी मंदिर में मां भगवती काली, लक्ष्मी और सरस्वती तीनों रूपों में विराजमान है. तीन देवियों के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Patneshwari Devi Temple in patna
मां भगवती के तीनों रूप विराजमान (ETV Bharat)

पटनेश्वरी मंदिर में गिरी थी सती माता की जंघा: पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती जब सती हो गई थीं, तब भगवान शिव उनके देह को लेकर तांडव कर रहे थे. भगवान शंकर के गुस्से को शांत करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से माता पार्वती के शरीर को काटा था. माता पार्वती की दाहिनी जंघा पटन देवी में गिरी थी. वह जगह आज की तारीख में मुनेश्वरी देवी के रूप में जानी जाती है. माना जाता है कि पटनेश्वरी देवी मंदिर में लक्ष्मी सरस्वती और काली तीनों विराजमान है.

Patneshwari Devi Temple in patna
पटनेश्वरी देवी मंदिर का हवन कुंड है चमत्कारी (ETV Bharat)

पटनेश्वरी देवी मंदिर का हवन कुंड है चमत्कारी: मंदिर में एक हवन कुंड है और मां भगवती की पूजा अर्चना के बाद लोग नवरात्र के दौरान हवन करते हैं. हवन कुंड की खासियत यह है कि यह कुंड कभी भी भरता नहीं है और उसे मंदिर प्रशासन के द्वारा खाली नहीं कराया जाता है. अब तक हजारों टन हवन सामग्री हवन कुंड में जा चुके हैं लेकिन किसी को पता नहीं है की सामग्री कहां चली जातू है.

"पटनेश्वरी देवी मंदिर में लक्ष्मी सरस्वती और काली तीनों रूपों में भगवती मौजूद हैं. यहां पूजा करने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. हमने जो भी मां से मांगा था मेरी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं."- डॉक्टर श्रेष्ठा राजश्री,श्रद्धालु

'मैंने कई बार माता को महसूस किया है': महंत विजय शंकर गिरी 74 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं और 5 वर्ष की अवस्था से ही माता की सेवा में लगे हैं. विजय शंकर गिरी कहते हैं कि यह मंदिर आदिकाल से है. मैंने कई बार माता को करीब से महसूस किया है.

"मुझे ऐसा लगा है कि माता मेरे बगल से गुजरी हैं और पायल की आवाज भी सुनाई दी है. मंदिर में जो हवन कुंड है वह अपने आप में अनूठा है. आज तक हवन कुंड की सामग्री कहां गई किसी को पता नहीं चला है. मंदिर प्रशासन के द्वारा कभी भी हवन कुंड की सफाई नहीं की गई."- विजय शंकर गिरी, महंत

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