वाराणसी : या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमस्तस्य नमो नमः मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि की शुरआत 3 अक्टूबर से हो रही है. बुधवार को पितृ विसर्जन के साथ ही परसों से 9 दिनों तक हर कोई देवी के पूजा-पाठ में लीन हो जाएगा. शिव की नगरी काशी में भी नवरात्रि को लेकर पूरे जोर-शोर से तैयारियां चल रहीं हैं. वाराणसी को मिनी कोलकाता के नाम से भी जाना जाता है. यहां लगभग 300 मूर्तियों को भव्यता के साथ पंडालों में स्थान दिया जाता है. यहां पर मौजूद बंगाल के कारीगर लगभग 6 महीने से इन मूर्तियों को तैयार करने में जुटे हैं. खास बात ये है कि ये मूर्तियां गंगा की मिट्टी से तैयार की गईं हैं.
बनारस में हर त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. नवरात्र वैसे तो चार होते हैं. इनमें दो गुप्त नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि के बाद अश्विन के महीने में पड़ने वाली शारदीय नवरात्र का अपना अलग ही महत्व होता है. नवरात्र में देवी दुर्गा की उपासना के साथ ही पूजा पंडालों में मां की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. वाराणसी में दुर्गा पूजा एक अलग ही रंग में नजर आता है. यहां रहने वाले बंगाली समाज के लोगों के साथ ही अन्य लोग भी मां दुर्गा के आगमन की तैयारी में जुटे रहते हैं.
काशी के जगमबाड़ी, सोनारपुर, पांडे हवेली सहित अन्य इलाकों में चैत्र नवरात्रि से ही मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं के निर्माण का काम बंगाल के कारीगर शुरू कर देते हैं. यहां रहने वाले लगभग 6 मूर्तिकारों के यहां मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं के निर्माण का काम शुरू हो जाता है. 5 पीढ़ियों से काशी में रहकर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाले राजू पाल का कहना है कि इस बार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बनाने का काम पहले ही शुरू हो गया था. बारिश की वजह से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा.
उन्होंने बताया कि हम लोग अपनी मूर्ति का निर्माण मां गंगा की अति पवित्र और पावन मिट्टी से करते हैं. अन्य जगहों पर मिट्टी को खरीदना पड़ता है, लेकिन काशी में ऐसा नहीं है. मां गंगा अब नीचे जाने लगी हैं. बाढ़ का पानी उतर रहा है. हम लोग किनारे से गंगा की मिट्टी को उठाकर अपने यहां मंगवा लेते हैं. इसके बाद इन्हें सुरक्षित रख लिया जाता है. इसके बाद इन्हें मूर्ति का आकार देने का काम शुरू कर दिया जाता है.
राजू पाल ने बताया कि इस बार जो भी मूर्तियां तैयार की गईं हैं वह सभी ऑर्डर की हैं. हर मूर्ति का साइज अलग-अलग है. कोलकाता से आने वाली विशेष मिट्टी (खड़िया) में कलर मिलाकर इन मूर्तियों को फाइनल टच दिया जा रहा है. हर्बल कलर के जरिए मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है. जिससे विसर्जन के दौरान जल प्रदूषण न हो. इसके अलावा माता के सजावट के समान उड़ीसा और बंगाल से मंगवाते हैं. काशी में दुर्गा पूजा भव्यता का रूप लेता जा रहा है. हम सब भी आयोजन में हिस्सा लेते हैं.
वाराणसी में लगभग 300 पूजा पंडालों की स्थापना होती है. इसके लिए प्रशासनिक तैयारी की जा रही है. नगर निगम वाराणसी के साथ पीडब्ल्यूडी और अन्य विभाग सड़कों के मरम्मत में जुटे हुए हैं. वाराणसी के महापौर अशोक तिवारी ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि नवरात्रि से पहले सभी सड़कें दुरुस्त हो जानी चाहिए. फिलहाल काशी में हतुआ मार्केट, नई सड़क सनातन धर्म, जगतगंज समेत पांडेयपुर व अन्य स्थानों पर भव्य पूजा पंडालों का निर्माण होता है. भारत के अलग-अलग मंदिरों और प्रसिद्ध इमारत की तर्ज पर पूजा पंडालों का निर्माण किया जाता है. इसे देखने के लिए पूरे पूर्वांचल से बड़ी संख्या में सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन लोगों की भीड़ जुटती है.