पटना: देश में पहली बार आज शुक्रवार को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जा रहा है. बीते साल 2023 में 23 अगस्त को ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारतीय उपग्रह चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई थी. इस बार राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस ‘चांद को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा’ के थीम पर मनाई जा रही है. ऐसे में अगर बात करें पटना के तारामंडल में स्पेस डे को लेकर चार 3D शो चलाए जा रहे हैं.
क्यों खास है पटना का तारामंडल: पटना का तारामंडल अपने आप में बहुत खास है. यहां गैलरी में अंतरिक्ष की दुनिया और खगोल विज्ञान से संबंधित 20 प्रोजेक्ट्स की प्रदर्शनियां है, जो सरल शब्दों में अंतरिक्ष की दुनिया से रूबरू कराती है. यहां स्पेस एंड एस्ट्रोनॉमी गैलरी में दर्शकों को अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास से परिचित कराया जा रहा है. यहां साल 1962 में पृथ्वी के अतिरिक्त किसी ग्रह (शुक्र) पर जाने वाला पहला अंतरिक्ष यान मैरिनियर 2 से लेकर आदित्य एल 1 का जिक्र है.
तारामंडल में मिलेगी ये सभी जानकारी: साल 1969 के अपोलो 11, साल 1973 के पायनियर 10, साल 1974 के मैरिनियर 10, साल 1977 के वॉयजर, साल 1979 के पायनियर 11, साल 1988 के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस), साल 2021 के मंगल ऑर्बिटर मिशन (एमओएम), साल 2023 के चंद्रयान 3 और साल 2024 में भेजे गये आदित्य एल 1 की जानकारी से संबंधित डेमोंसट्रेशन है.
आरजीबी लेजर बेस्ड तकनीक पर आधारित है शो: तारामंडल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अनंत कुमार ने बताया कि यहां 2D और 3D फिल्म के माध्यम से प्लैनेट्स तारा स्टेरॉयड सबका ओरिजिन कैसे हुआ इनके बारे में शो के माध्यम से बताया जाता है. प्लैनेटेरियम शो आधुनिक तकनीक पर आधारित है जिसमें 3D शो देखने की सुविधा के साथ-साथ पूरी तरह के यह आरजीबी लेजर बेस्ड टेक्निक पर आधारित है. इसके प्रोजेक्टर्स का इल्यूमिनेशन पावर शानदार है. यहां स्पेस के बारे में जानकारी छात्र-छात्राओं को और आम नागरिकों को मिलती है.
सरल शब्दों में अंतरिक्ष की जानकारी: अनंत कुमार ने बताया कि दूसरे भाग में स्पेस एंड साइंस गैलरी डेवलप है जहां गैलेक्सी, यूनिवर्स, स्टार प्लैनेट्स इन सब की उत्पत्ति कैसे हुई इसको लेकर जानकारी दी गई है. हर प्रोजेक्ट के पास एक बटन है जिसको दबाने पर एक विजुअल कॉन्सेप्ट से प्रोजेक्ट का डेमोंसट्रेशन दिखता है.
3D शो के लिए ऑनलाइन होती है बुकिंग: अनंत कुमार ने बताया कि यहां अभी के समय चार 3D शो चल रहे हैं. पहला है 'द वॉयजर', दूसरा है 'एस्टेरॉइड', तीसरा है 'वी आर स्टार्स' और चौथा है 'लाइफ ऑफ ट्री'. उन्होंने बताया कि पहले यहां काउंटर पर फिजिकल टिकट मिलते थे लेकिन अब ऑनलाइन टिकट बुकिंग होती है. जो लोग ऑनलाइन टिकट बुक नहीं कर सकते उनके लिए यहां टिकट काउंटर है लेकिन यहां बुकिंग ऑनलाइन होती है.
"आम नागरिक आसानी से समझ सके कि अंतरिक्ष क्या है और चांद तारे क्या है, कैसे एस्टेरॉइड बनता है और कैसे वह पृथ्वी पर गिरता है, इन सब की जानकारी बहुत सामान्य भाषा में स्पेस गैलरी में है. यहां विभिन्न प्रकार के टेलिस्कोप के बारे में भी जानकारी है. अमूमन 7 दिनों तक की एडवांस बुकिंग 3D शो के लिए रहती है. किसी को यहां तारामंडल का शो देखना है तो घर बैठे अपने स्मार्टफोन से ऑनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं. "-अनंत कुमार, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, तारामंडल
शो देखने का बेहतरीन अनुभव: 3D शो देखकर निकलते हुए सुमन कुमार ने बताया कि उन्होंने 'वी आर स्टार्स' शो देखा है. हिंदी में काफी सरल शब्दों में इसमें समझाया गया है कि जब ग्रह नहीं थे तो क्या था. कैसे ब्रह्मांड तैयार हुआ और कैसे यहां जीवन की उत्पत्ति हुई है सब यहां जानने का मौका मिला. इसके अलावा यहां गैलरी में भी उपग्रह की संरचना के बारे में जानकारी मिल रही है.
"भारत के कौन-कौन से उपग्रह कब अंतरिक्ष में भेजे गए हैं, यहां इसकी जानकारी है. यहां आकर अंतरिक्ष और ब्रह्मांड से संबंधित कई जानकारी प्राप्त हुई है. उनका अनुभव बहुत शानदार रहा है."-सुमन कुमार, दर्शक
आदित्य एल-1 और विक्रम लैंडर के लगे हैं मॉडल: गैलरी में आदित्य एल-1 और विक्रम लैंडर का मॉडल लगाया गया है. एक ही जगह मॉडल लगाया गया है. विक्रम लैंडर का मॉडल अपने ध्रुव पर गोल चक्कर लगाते रहता है. दोनों मॉडल के बारे में सरल शब्दों में जानकारी लिखी हुई है. बता दें कि आदित्य एल-1 सौर वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए भारत द्वारा छोड़ा गया एक कोरोनग्राफ यान है. जनवरी 2008 में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बनायी गयी सलाहकार समिति द्वारा इसकी अवधारणा की गयी थी. वहीं, 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के साथ विक्रम लैंडर की लैंडिंग और चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान रोवर की तैनाती के साथ भारत अंतरिक्ष फेरिंग देशों के एक विशिष्ट समूह में शामिल हो गया. भारत चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला चौथा देश बन गया.
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