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'शक्तिमान' मौत मामला, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सजा की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

शक्तिमान घोड़े की मौत का मामला खत्म नहीं हुआ है. अब याचिकाकर्ता ने निचली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट ने चुनौती दी है.

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फाइल फोटो (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 10 hours ago

Updated : 10 hours ago

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शक्तिमान घोड़े की मौत के आरोपियों को सजा दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया.

मामले के अनुसार होशियार सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को दोष मुक्त कर दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट न तो शिकायतकर्ता हैं न ही गवाह हैं.

याचिका में कहा गया है कि साल 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से बीजेपी नेता गणेश जोशी ने घोड़े की टांग पर हमला किया और बाद में घोड़े की मौत हो गयी. इस मामले में 23 अप्रैल 2016 को पुलिस ने गणेश जोशी को आरोपी बनाया और देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा भी दर्ज किया. इसके बाद 16 मई 2016 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी.

इसी बीच सरकार बदली तो सरकार ने सीजेएम कोर्ट से केस वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया. 23 सितंबर 2021 को निचली अदालत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को बरी कर दिया और अपीलीय कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना. इसके बाद याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में निचली अदालत के निर्णय को निरस्त करने के साथ कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी समेत अन्य को सजा दिलाए जाने की मांग की है.

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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शक्तिमान घोड़े की मौत के आरोपियों को सजा दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सभी पक्षकारों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया.

मामले के अनुसार होशियार सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को दोष मुक्त कर दिया था और कहा था कि याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट न तो शिकायतकर्ता हैं न ही गवाह हैं.

याचिका में कहा गया है कि साल 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से बीजेपी नेता गणेश जोशी ने घोड़े की टांग पर हमला किया और बाद में घोड़े की मौत हो गयी. इस मामले में 23 अप्रैल 2016 को पुलिस ने गणेश जोशी को आरोपी बनाया और देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा भी दर्ज किया. इसके बाद 16 मई 2016 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी.

इसी बीच सरकार बदली तो सरकार ने सीजेएम कोर्ट से केस वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया. 23 सितंबर 2021 को निचली अदालत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को बरी कर दिया और अपीलीय कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना. इसके बाद याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में निचली अदालत के निर्णय को निरस्त करने के साथ कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी समेत अन्य को सजा दिलाए जाने की मांग की है.

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Last Updated : 10 hours ago
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