नैनीताल: उत्तराखंड की जेलों में आजीवन की सजा काट चुके कैदियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी रिहा न करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले को हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से उन्हें रिहा करने के मामले पर गुरुवार शाम 5 बजे तक निर्णय लेने को कहा. साथ ही उसकी रिपोर्ट आज यानी 22 मार्च साढ़े 10 बजे तक कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के नवनियुक्त गृह सचिव दिलीप जावलकर समेत अन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से कोर्ट में पेश हुए. दिलीप जावलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि उन्होंने बुधवार को ही यानी 20 मार्च को इस विभाग की जिम्मेदारी संभाली है. इसलिए उन्हें इसके लिए समय दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने उन्हें शुक्रवार यानी 22 मार्च सुबह 10:30 तक इस पर निर्णय लेकर रिपोर्ट कोर्ट में प्रेषित करने को कहा है.
दरअसल, बीती 17 मार्च को मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी ने हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद ओपन जेल का निरीक्षण किया था. जहां उन्होंने उन कैदियों से भी मिली, जिनकी सजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन आज तक उन्हें रिहा नहीं किया गया. ऐसे में मुख्य न्यायाधीश ने कैदियों के अधिकारों को समझते हुए प्रदेश के सभी जेल प्रबंधकों से इसकी लिस्ट मांगी कि ऐसे कितने कैदी हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास का समय काट लिया गया है, लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया. जिसमें 167 ऐसे कैदी मिले.
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पाते हुए स्वतः संज्ञान लेकर गृह सचिव, सचिव न्याय को आज यानी 21 मार्च की सुबह 11:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होने को कहा. ऐसे में नवनियुक्त गृह सचिव दिलीप जावलकर वीसी के जरिए कोर्ट में पेश हुए. इस दौरान जावलकर ने कहा कि उन्होंने कल ही इस विभाग का कार्यभार संभाला है, उन्हें समय दिया जाए. जिस पर कोर्ट ने उन्हें इस मामले पर गुरुवार शाम तक का समय देकर शुक्रवार साढ़े दस बजे अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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