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मसूरी के इस मंदिर में 500 साल से विराजमान हैं नाग देवता! ग्रामीणों के हैं आराध्य - Nag Panchami festival 2024 - NAG PANCHAMI FESTIVAL 2024

NAG PANCHAMI FESTIVAL 2024 आज पूरे देश में नाग पंचमी का पर्व हर्ष-उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसी क्रम में मसूरी स्थित 500 साल से ज्यादा पुराने नाग मंदिर में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया. इस मौके पर लोगों ने दुग्धाभिषेक कर नाग देवता के दर्शन किए.

NAG PANCHAMI FESTIVAL 2024
कॉन्सेप्ट इमेज (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 9, 2024, 3:31 PM IST

मसूरी: पहाड़ों की रानी मसूरी में 500 साल से ज्यादा पुराने नाग मंदिर में नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर मसूरी और आसपास के क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रद्धालु नाग मंदिर पहुंचे और 500 साल से ज्यादा पुरानी मूर्ति का दुग्धाभिषेक कर नाग देवता के दर्शन किए. वहीं, ग्रामीणों ने कहा कि उनके कुल देवता नाग हैं. जो भक्त इस मंदिर में सच्चे मन से मुराद मांगता है, उसकी मुराद अवश्य ही पूरी होती है.

नाग मंदिर समिति के सदस्य होशियार सिंह थापली ने बताया कि नाग मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है. कहा जाता है कि वर्षों पहले एक गाय चरकर शाम के समय अपने गौशाला में पहुंचती थी, तो उसके थनों में दूध नहीं पाया जाता था. वह अपना दूध पत्थर पर छोड़कर आती थी, जिसे नाग देवता पी जाते थे. ऐसे में गाय के मालिक ने गाय का पीछा किया, तो देखा कि गाय अपने दूध को पत्थर पर छोड़ती है और उस दूध को नाग पी रहे थे. तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई और क्यारकुली भट्टा गांव के लोग नाग देवता को कुलदेवता मानने लगे.

मंदिर के पुजारी गौरव उनियाल ने बताया कि सावन मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. साथ ही सर्पदंश या सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. उन्होंने कहा कि आज नाग पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान नाग देवता के दर्शन कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया और अपने परिवार की खुशहाली की कामना की.

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नाग मंदिर समिति के सदस्य होशियार सिंह थापली ने बताया कि नाग मंदिर की मान्यता है कि यह मंदिर करीब 500 साल पुराना है. कहा जाता है कि वर्षों पहले एक गाय चरकर शाम के समय अपने गौशाला में पहुंचती थी, तो उसके थनों में दूध नहीं पाया जाता था. वह अपना दूध पत्थर पर छोड़कर आती थी, जिसे नाग देवता पी जाते थे. ऐसे में गाय के मालिक ने गाय का पीछा किया, तो देखा कि गाय अपने दूध को पत्थर पर छोड़ती है और उस दूध को नाग पी रहे थे. तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई और क्यारकुली भट्टा गांव के लोग नाग देवता को कुलदेवता मानने लगे.

मंदिर के पुजारी गौरव उनियाल ने बताया कि सावन मास की शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. साथ ही सर्पदंश या सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. उन्होंने कहा कि आज नाग पंचमी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान नाग देवता के दर्शन कर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया और अपने परिवार की खुशहाली की कामना की.

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