रामपुर : जिले में मुस्लिम परिवार की तीन पीढ़ियों से रावण का पुतला बनाने का सिलसिला आज भी जारी है. रामलीला के मंचन में दहन किए जाने वाला रावण का पुतला मुस्लिम परिवार करीब 50 साल से भी ज्यादा वर्षों से बना रहा है. इनके बनाए पुतले को रामपुर के साथ-साथ उत्तराखंड और आसपास के जनपदों में लोग लेकर जाते हैं.
कारीगर नासिर का कहना है कि उसे 21 साल रावण का पुतला बनाते हुए हो गए. 50 साल उनके पिता को बनाते हुए हो गए, उनके दादा भी यही काम करते थे. नासिर ने बताया कि उन्हें रावण का पुतला बनाना बहुत अच्छा लगता है और उनके बनाए पुतले बहुत दूर-दूर तक लोग पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि यह हिंदुस्तान हमारा एक गुलदस्ता है, यहां बस सभी धर्म के लोग रहते हैं और सभी धर्म के लोग एक दूसरे के त्योहारों में खूब खुशियां मनाते हैं.
नासिर बताते हैं कि मेरा इस काम में पूरा बचपन ही गुजर गया. लगभग 21 साल हो गए हैं. इससे पहले मेरे वालिद बनाते थे, उन्हें भी कम से कम 50 साल हो गए हैं. मेरे भाई को भी 40 से 50 साल हो गए. यह परंपरा हमारे दादा के समय से चली आ रही है. रावण के पुतले उत्तराखंड जा रहे हैं. रुद्रपुर, गदरपुर, बिलासपुर, हल्द्वानी काफी जगह यह जाते हैं. यह काम अभी हमने 3 महीने से शुरू किया है और इस सीजन में हमने 50 पुतले रावण के बना दिए हैं. इस काम में 25 लोग लगे हुए हैं. एक रावण का पुतला तकरीबन 10 दिन में बनता है. इसे बनाने में बांस, कागज के साथ-साथ बहुत सारा सामान लगता है. इसके अलावा हमारा शादी विवाहों में पटाखे का काम है.
रावण का पुतला बनाने को लेकर कारीगर नासिर बताते हैं कि हिंदू-मुस्लिम एकता रहनी चाहिए. हमें कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई, न ही कभी रामलीला कमेटी वालों से हुई है. कमेटी वाले हमसे खुश रहते हैं, बल्कि वह तो कहते होते हैं कि पुतला आप ही बनाकर दो. रामपुर में सब मुसलमान लोग ही बनाते हैं.