प्रयागराज: महाकुंभ में सैकड़ों साधु-संतों के आगमन के बाद से अब तमाम तरह के आध्यात्मिक कार्य शुरू हो चुके हैं. 45 दिनों तक चलने वाले दुनिया के सबसे बड़े मेले में अब अखाड़ों के द्वारा महिला और पुरुष नागा संत बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है. इसी क्रम में निरंजनी अखाड़े के 500 और जूना अखाड़े की लगभग 100 संन्यासियों को नागा संत बनाने की दीक्षा दी गई. सर्वप्रथम विजया हवन संस्कार और मुंडन संस्कार किए गए. तत्पश्चात गंगा के तट पर इन नागा संतों को स्नान करा वैदिक मंत्रों के साथ दीक्षा दी गई.
यह है प्रक्रिया: इसके बाद अखाड़े के ध्वज के नीचे पूरी विधि विधान से संस्कार किए जाएंगे. गुरु का वचन यह सुनेंगे और भजन कीर्तन करेंगे. फिर इनको 108 बार शपथ दिलाई जाएगी कि यह अपने घर का त्याग करेंगे. शादी नहीं करेंगे. गृहस्थ जीवन नहीं जाएंगे, हमेशा साधु-संतों के साथ रहेंगे. साथ ही सनातन धर्म को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे. अगर बीच में कोई इस नियम को तोड़ता है तो उसे संन्यासी परंपरा से निष्कासित कर दिया जाएगा. वहीं महाकुंभ में जूना अखाड़े की 100 महिला संतों को नागा दीक्षा दी गई. सर्वप्रथम आज महिला नागा संतों के मुंडन संस्कार किए गए. तत्पश्चात गंगा के तट पर इन संन्यासिनों को वैदिक मंत्रों के साथ दीक्षा दी गई ।
महाकुंभ में नागा संन्यासी बने संत अब धर्म प्रचार के साथ ही गृहस्थ जीवन से दूर रहेंगे. महाकुंभ में रोज ही कई बड़े धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान किए जा रहे हैं. इस क्रम में रविवार को 600 लोगों को नागा संत बनने की दीक्षा दी गई.