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जनता का पैसा जनता पर भारी : पटेल स्टेडियम में नगर निगम ने जड़ा ताला, खिलाड़ियों के लिए नो एंट्री - Patel Stadium AJmer

अजमेर के पटेल स्टेडियम को नगर निगम ने बंद कर दिया. ऐसे में खिलाड़ियों के सामने स्टेडियम में अभ्यास की समस्या उत्पन्न हो गई है. पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने इसको लेकर नगर निगम को पत्र लिखा है.

PATEL STADIUM AJMER
पटेल स्टेडियम में नगर निगम ने जड़ा ताला (Etv Bharat AJMER)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 28, 2024, 8:04 AM IST

पटेल स्टेडियम में नगर निगम ने जड़ा ताला (Etv Bharat AJMER)

अजमेर. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जनहित के कई विकास कार्य शहर में हुए हैं. इनमें अजमेर के ऐतिहासिक पटेल स्टेडियम के कायाकल्प का भी काम हुआ है. अफसोस की बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड ने स्टेडियम को नगर निगम को सौंप दिया. उसके बावजूद स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए दूर की कोढ़ी साबित हो रहा है. स्टेडियम में नगर निगम ने ताला जड़ दिया है. ऐसे में खिलाड़ियों के सामने स्टेडियम में अभ्यास की समस्या उत्पन्न हो गई है. राजस्थान खिलाड़ी संघ के बैनर तले खिलाड़ी अब अपनी पीड़ा जनप्रतिनिधियों तक पंहुचा रहे हैं. पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने तो स्टेडियम का व्यवसायीकरण नहीं करने के लिए अपनी ही पार्टी से नगर निगम में मेयर ब्रजलता हाड़ा को पत्र लिखकर मांग की है.

पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने बताया कि नगर निगम की मेयर ब्रज लता हाड़ा को पत्र लिखकर नगर निगम एक्ट की धारा 45 (य) को याद दिलाते हुए लिखा है कि खेलों, शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना नगर निगम का प्राथमिक कार्य है. नगर निगम कोई वाणिज्य संस्था नहीं है जो हर तरीके से कमाएं. खेल स्टेडियम खिलाड़ियों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है. गहलोत ने कहा कि ऐसे तो नगर निगम शहर में झाड़ू लगाने के लिए भी जनता से पैसे वसूलना शुरू कर देगी.

उन्होंने कहा कि पटेल स्टेडियम का गौरवशाली इतिहास रहा है. नगर निकाय की ओर से पटेल स्टेडियम में राष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन हुआ करता था. जीतने वाली टीम को गोल्डन कप दिया जाता था. वह गोल्डन कप आज भी नगर निगम के डबल लॉक में है. इस स्मृति को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती के उपलक्ष में फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करवाना शुरू किया था. उन्होंने यह भी कहा कि मेयर ब्रज लता हाड़ा का धन्यवाद कि उन्होंने फुटबॉल प्रतियोगिता को महाकुंभ बनाया और लाखों रुपए खर्च करके खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दिया.

गहलोत ने कहा कि नगर निगम फुटबॉल प्रतियोगिता, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों पर लाखों रुपए खर्च करती आई है. पटेल स्टेडियम को रखरखाव के लिए भले ही ठेके पर दिया जाए लेकिन ठेकेदार का भुगतान नगर निगम को करना चाहिए. मसलन सड़क निर्माण, नाली या अन्य निर्माण कार्यों का भुगतान नगर निगम ठेकेदार को करती है. नगर निगम वाणिज्य संस्था नहीं है. जिम्मेदार लोगों को जनहित के मामलों में वाणिज्य सोच नहीं रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से एथलीट का कोच यहां तैनात किया गया है, लेकिन जब उनके पास मैदान ही नहीं होगा तो वह खिलाड़ियों को कहां कोचिंग देंगे.

निर्णय को जनहित में बदला भी जा सकता है : पूर्व मेयर गहलोत ने कहा कि कई बार ऐसे निर्णय होते हैं जो जनहित के नहीं होते, उन्हें जनहित में बदलना भी पड़ता है. इससे पहले भी शहर में सफाई शुल्क जनता से वसूलने का निर्णय लिया गया था लेकिन वह निर्णय जनहित में विरोध होने के बाद वापस लिया गया. उन्होंने कहा कि जब हजारों लोगों की आवाज को नगर निगम सुन सकता है तो सैकड़ों लोगों की आवाज को भी उसे सुनना चाहिए. गहलोत ने कहा कि खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए स्टेडियम निशुल्क देना चाहिए और ठेकेदार को नगर निगम भुगतान करें. ऐसा नहीं कर सकते तो खिलाड़ियों से प्रति माह रुपए ले सकते है. ताकि खिलाड़ियों के अलावा कोई ऐरा गैरा स्टेडियम में प्रवेश ना करें. स्टेडियम में जो अभ्यास करने का इच्छुक खिलाड़ी होगा वह 100 रुपए प्रतिमाह का रजिस्ट्रेशन करवा कर खेलेगा.

इसे भी पढ़ें : कारगिल दिवस पर तोहफा: अजमेर के सोनी परिवार के तीन पाकिस्तानी सदस्यों को मिली भारतीय नागरिकता - Indian citizenship to pak migrants

उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्विमिंग पूल वाले भी मनमाने पैसे लोगों से वसूल कर रहे है. नगर निगम प्राइवेट संस्था नहीं है. नगर निगम जनहित के कार्य करने वाली संस्था है उसे जनहित के कार्य ही करने चाहिए. वाणिज्य कार्य नहीं करने चाहिए. नगर निगम के पास आय के अन्य और भी साधन है. स्टेडियम के कायाकल्प करने और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने में केंद्र, राज्य और नगर निगम का पैसा लगा है जो जनता का है. उस पैसे का उपयोग जनता के लिए ही होना चाहिए.

ऐतिहासिक है पटेल स्टेडियम : राजस्थान खिलाड़ी संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवदत्त पाराशर ने बताया कि अजमेर में ब्रिटिश हुकूमत के समय पटेल स्टेडियम का उपयोग पोलो ग्राउंड के रूप में हुआ करता था. इसके बाद पटेल स्टेडियम को फुटबॉल ग्राउंड बनाया गया. यहां फुटबॉल की कई टीमें खेला करती थी इनमें स्थानीय टीम में गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार से जुड़े खिलाड़ी खेला करते थे. अजमेर में सर ऑगल वी फुटबॉल टूर्नामेंट आजादी से पहले यहां हुआ करता था. अजमेर के एक धनाढ्य अल्लाहरखा के सुपुत्र इंग्लैंड से इस टूर्नामेंट को स्पॉन्सर करते थे. देश की कई फुटबॉल टीमें यहां प्रतियोगिता में भाग लिया करती थी. 1976 तक यह प्रतियोगिताएं हुआ करती थी. इसके बाद 1984 में नगर परिषद ने फुटबॉल प्रतियोगिता को जारी रखा. 1997 में तत्कालीन नगर परिषद के अध्यक्ष वीर कुमार ने भी फुटबॉल प्रतियोगिता को जारी रखवाया. इनके बाद तत्कालीन महापौर कमल बाकोलिया ने फुटबॉल को बढ़ावा देते हुए सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जन्म जयंती के उपलक्ष में प्रतियोगिता का आयोजन करवाया. इनके बाद तत्कालीन मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया. फुटबॉल मैच को लेकर लोगों में जबरदस्त क्रेज था. रात को कृत्रिम लाइट में मैच हुआ करते थे और 5 से 10 हजार लोग मैच को देखा करते थे. हाल ही में नगर निगम ने भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती पर फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करवाई थी. लेकिन इसके बाद पटेल स्टेडियम के ताले लगा दिए गए. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पटेल स्टेडियम का विकास किया गया लेकिन उसे खिलाड़ियों से दूर कर ताले लगा दिए गए.

इसे भी पढ़ें : बिना घरवालों को बताए पसंदीदा यूट्यूबर से मिलने के लिए कर्नाटक से अजमेर पहुंचे दो बच्चे, पूछने पर बताई ये बात

पाराशर ने बताया कि नगर निगम के आयुक्त का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक ताले नहीं खोले जाएंगे. इसमें 2 से 4 माह भी लग सकते है. उन्होंने बताया कि फुटबॉल और एथलीटिक्स में गरीब और मध्यम परिवार के खिलाड़ी है. उन्हें शुल्क से मुक्त रखना चाहिए. स्विमिंग पूल में ठेकेदार लोगों से 4 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह वसूल कर रहे हैं. जबकि ठेके की शर्तों के अनुसार नगर निगम ने निर्धारित शुल्क कम रखा था.

मेयर ब्रजलता हाड़ा ने यह कहा : मेयर ब्रजलता हाड़ा ने ईटीवी भारत न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि इनके रखरखाव के लिए ठेके पर स्टेडियम दिए गए हैं. स्विमिंग पूल में तैरना सीखने के लिए आने वाले लोगों से ठेकेदार निर्धारित दर से अधिक वसूल कर रहा है यह अभी संज्ञान में आया है. इसको लेकर कार्यवाही की जाएगी. साथ ही पटेल स्टेडियम के रखरखाव की नीति बनाकर अगले 10 दिन में इसे खिलाड़ियों के लिए खोल दिया जाएगा.

पटेल स्टेडियम में बनी दुकानें : ऐतिहासिक पटेल स्टेडियम में जयपुर रोड की ओर नगर निगम ने कई दुकानें बना दी है. यह दुकान स्टेडियम के व्यवसायी करण की पोल खोल रही है.

पटेल स्टेडियम में नगर निगम ने जड़ा ताला (Etv Bharat AJMER)

अजमेर. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जनहित के कई विकास कार्य शहर में हुए हैं. इनमें अजमेर के ऐतिहासिक पटेल स्टेडियम के कायाकल्प का भी काम हुआ है. अफसोस की बात यह है कि स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड ने स्टेडियम को नगर निगम को सौंप दिया. उसके बावजूद स्टेडियम खिलाड़ियों के लिए दूर की कोढ़ी साबित हो रहा है. स्टेडियम में नगर निगम ने ताला जड़ दिया है. ऐसे में खिलाड़ियों के सामने स्टेडियम में अभ्यास की समस्या उत्पन्न हो गई है. राजस्थान खिलाड़ी संघ के बैनर तले खिलाड़ी अब अपनी पीड़ा जनप्रतिनिधियों तक पंहुचा रहे हैं. पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने तो स्टेडियम का व्यवसायीकरण नहीं करने के लिए अपनी ही पार्टी से नगर निगम में मेयर ब्रजलता हाड़ा को पत्र लिखकर मांग की है.

पूर्व मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने बताया कि नगर निगम की मेयर ब्रज लता हाड़ा को पत्र लिखकर नगर निगम एक्ट की धारा 45 (य) को याद दिलाते हुए लिखा है कि खेलों, शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना नगर निगम का प्राथमिक कार्य है. नगर निगम कोई वाणिज्य संस्था नहीं है जो हर तरीके से कमाएं. खेल स्टेडियम खिलाड़ियों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है. गहलोत ने कहा कि ऐसे तो नगर निगम शहर में झाड़ू लगाने के लिए भी जनता से पैसे वसूलना शुरू कर देगी.

उन्होंने कहा कि पटेल स्टेडियम का गौरवशाली इतिहास रहा है. नगर निकाय की ओर से पटेल स्टेडियम में राष्ट्रीय स्तर का फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन हुआ करता था. जीतने वाली टीम को गोल्डन कप दिया जाता था. वह गोल्डन कप आज भी नगर निगम के डबल लॉक में है. इस स्मृति को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती के उपलक्ष में फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करवाना शुरू किया था. उन्होंने यह भी कहा कि मेयर ब्रज लता हाड़ा का धन्यवाद कि उन्होंने फुटबॉल प्रतियोगिता को महाकुंभ बनाया और लाखों रुपए खर्च करके खिलाड़ियों को प्रोत्साहन दिया.

गहलोत ने कहा कि नगर निगम फुटबॉल प्रतियोगिता, सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों पर लाखों रुपए खर्च करती आई है. पटेल स्टेडियम को रखरखाव के लिए भले ही ठेके पर दिया जाए लेकिन ठेकेदार का भुगतान नगर निगम को करना चाहिए. मसलन सड़क निर्माण, नाली या अन्य निर्माण कार्यों का भुगतान नगर निगम ठेकेदार को करती है. नगर निगम वाणिज्य संस्था नहीं है. जिम्मेदार लोगों को जनहित के मामलों में वाणिज्य सोच नहीं रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से एथलीट का कोच यहां तैनात किया गया है, लेकिन जब उनके पास मैदान ही नहीं होगा तो वह खिलाड़ियों को कहां कोचिंग देंगे.

निर्णय को जनहित में बदला भी जा सकता है : पूर्व मेयर गहलोत ने कहा कि कई बार ऐसे निर्णय होते हैं जो जनहित के नहीं होते, उन्हें जनहित में बदलना भी पड़ता है. इससे पहले भी शहर में सफाई शुल्क जनता से वसूलने का निर्णय लिया गया था लेकिन वह निर्णय जनहित में विरोध होने के बाद वापस लिया गया. उन्होंने कहा कि जब हजारों लोगों की आवाज को नगर निगम सुन सकता है तो सैकड़ों लोगों की आवाज को भी उसे सुनना चाहिए. गहलोत ने कहा कि खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए स्टेडियम निशुल्क देना चाहिए और ठेकेदार को नगर निगम भुगतान करें. ऐसा नहीं कर सकते तो खिलाड़ियों से प्रति माह रुपए ले सकते है. ताकि खिलाड़ियों के अलावा कोई ऐरा गैरा स्टेडियम में प्रवेश ना करें. स्टेडियम में जो अभ्यास करने का इच्छुक खिलाड़ी होगा वह 100 रुपए प्रतिमाह का रजिस्ट्रेशन करवा कर खेलेगा.

इसे भी पढ़ें : कारगिल दिवस पर तोहफा: अजमेर के सोनी परिवार के तीन पाकिस्तानी सदस्यों को मिली भारतीय नागरिकता - Indian citizenship to pak migrants

उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्विमिंग पूल वाले भी मनमाने पैसे लोगों से वसूल कर रहे है. नगर निगम प्राइवेट संस्था नहीं है. नगर निगम जनहित के कार्य करने वाली संस्था है उसे जनहित के कार्य ही करने चाहिए. वाणिज्य कार्य नहीं करने चाहिए. नगर निगम के पास आय के अन्य और भी साधन है. स्टेडियम के कायाकल्प करने और स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने में केंद्र, राज्य और नगर निगम का पैसा लगा है जो जनता का है. उस पैसे का उपयोग जनता के लिए ही होना चाहिए.

ऐतिहासिक है पटेल स्टेडियम : राजस्थान खिलाड़ी संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवदत्त पाराशर ने बताया कि अजमेर में ब्रिटिश हुकूमत के समय पटेल स्टेडियम का उपयोग पोलो ग्राउंड के रूप में हुआ करता था. इसके बाद पटेल स्टेडियम को फुटबॉल ग्राउंड बनाया गया. यहां फुटबॉल की कई टीमें खेला करती थी इनमें स्थानीय टीम में गरीब और मध्यम वर्ग के परिवार से जुड़े खिलाड़ी खेला करते थे. अजमेर में सर ऑगल वी फुटबॉल टूर्नामेंट आजादी से पहले यहां हुआ करता था. अजमेर के एक धनाढ्य अल्लाहरखा के सुपुत्र इंग्लैंड से इस टूर्नामेंट को स्पॉन्सर करते थे. देश की कई फुटबॉल टीमें यहां प्रतियोगिता में भाग लिया करती थी. 1976 तक यह प्रतियोगिताएं हुआ करती थी. इसके बाद 1984 में नगर परिषद ने फुटबॉल प्रतियोगिता को जारी रखा. 1997 में तत्कालीन नगर परिषद के अध्यक्ष वीर कुमार ने भी फुटबॉल प्रतियोगिता को जारी रखवाया. इनके बाद तत्कालीन महापौर कमल बाकोलिया ने फुटबॉल को बढ़ावा देते हुए सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जन्म जयंती के उपलक्ष में प्रतियोगिता का आयोजन करवाया. इनके बाद तत्कालीन मेयर धर्मेंद्र गहलोत ने प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया. फुटबॉल मैच को लेकर लोगों में जबरदस्त क्रेज था. रात को कृत्रिम लाइट में मैच हुआ करते थे और 5 से 10 हजार लोग मैच को देखा करते थे. हाल ही में नगर निगम ने भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती पर फुटबॉल प्रतियोगिता आयोजित करवाई थी. लेकिन इसके बाद पटेल स्टेडियम के ताले लगा दिए गए. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पटेल स्टेडियम का विकास किया गया लेकिन उसे खिलाड़ियों से दूर कर ताले लगा दिए गए.

इसे भी पढ़ें : बिना घरवालों को बताए पसंदीदा यूट्यूबर से मिलने के लिए कर्नाटक से अजमेर पहुंचे दो बच्चे, पूछने पर बताई ये बात

पाराशर ने बताया कि नगर निगम के आयुक्त का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक ताले नहीं खोले जाएंगे. इसमें 2 से 4 माह भी लग सकते है. उन्होंने बताया कि फुटबॉल और एथलीटिक्स में गरीब और मध्यम परिवार के खिलाड़ी है. उन्हें शुल्क से मुक्त रखना चाहिए. स्विमिंग पूल में ठेकेदार लोगों से 4 से 6 हजार रुपए प्रतिमाह वसूल कर रहे हैं. जबकि ठेके की शर्तों के अनुसार नगर निगम ने निर्धारित शुल्क कम रखा था.

मेयर ब्रजलता हाड़ा ने यह कहा : मेयर ब्रजलता हाड़ा ने ईटीवी भारत न्यूज से बातचीत करते हुए कहा कि इनके रखरखाव के लिए ठेके पर स्टेडियम दिए गए हैं. स्विमिंग पूल में तैरना सीखने के लिए आने वाले लोगों से ठेकेदार निर्धारित दर से अधिक वसूल कर रहा है यह अभी संज्ञान में आया है. इसको लेकर कार्यवाही की जाएगी. साथ ही पटेल स्टेडियम के रखरखाव की नीति बनाकर अगले 10 दिन में इसे खिलाड़ियों के लिए खोल दिया जाएगा.

पटेल स्टेडियम में बनी दुकानें : ऐतिहासिक पटेल स्टेडियम में जयपुर रोड की ओर नगर निगम ने कई दुकानें बना दी है. यह दुकान स्टेडियम के व्यवसायी करण की पोल खोल रही है.

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