ग्वालियर। पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने प्रदेश और केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. डॉ.गोविंद सिंह ने मोहन यादव सरकार प्रदेश के सरकारी कर्मचारी यूनियन्स की मान्यता समाप्त करने को घोर निंदनीय कदम बताया है. उन्होंने कहा "मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने हुए 6 महीने भी नहीं हुए हैं लेकिन वह पूरी तरह से तानाशाही पर उतारू हैं. प्रजातांत्रिक संस्थाओं का गला घोंटने का काम पीएम नरेन्द्र मोदी के पदचिह्नों पर वह कर रहे है. प्रदेश के 12 लाख शासकीय अधिकारी कर्मचारी यूनियन के जरिये अपनी समस्याएं उठाते हैं.
कर्मचारी संघों की मान्यता खत्म करने की निंदा
गोविंद सिंह ने कहा "सीएम मोहन यादव ने सभी कर्मचारी संघों की मान्यता खत्म करके उनकी अपनी बात कहने का हक छीनने का काम किया है. उनकी आवाज पर ताला लगा दिया है." गोविंद सिंह ने नर्सिंग घोटाला मामले पर भी बड़ी मांग की है. उनका कहना है "बीजेपी सरकार में जो तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहे, उन्होंने ऐसे फर्जी कॉलेजों को रुपये लेकर मान्यता दी. उस समय के मंत्री और अधिकारियों ने ये फर्जीवाडा किया है. ऐसे में मंत्री व अधिकारियों के खिलाफ सबसे पहले जांच होनी चाहिए."
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एमपी में सहकारी संस्थाओं के साथ अन्याय
इसके साथ ही गोविंद सिंह ने कहा "बीजेपी सरकार ने सहकारी संस्थाओं को कंगाली के मुहाने पर ला दिया है. कांग्रेस के समय सहकारी आंदोलन जीवित था, जिसे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में पूरी तरह से खत्म कर दिया गया. कई संस्थानों में डेढ़ से दो दशकों से चुनाव ही नहीं हुए." वहीं, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया ने कहा "सरकार ने इसके लिए रणनीति बना ली है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद अगले तीन महीने में यह चुनाव कराए जाएंगे. कांग्रेस ने बीजेपी पर सहकारी आंदोलन की कमर तोड़ने का आरोप लगाया है."