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बीजेपी में अब नई Vs पुरानी भाजपा, नागर सिंह चौहान पड़े ठंडे, ये नेता मचा सकते हैं कोहराम - MP MINISTER POST POLITICS

मध्य प्रदेश में रामनिवास रावत ने जबसे मंत्री पद की शपथ ली है, उसके बाद से ही बीजेपी में उथल-पुथल शुरू हो गई है. कैबिनेट मंत्री नागर सिंह का गुस्सा भले ही ठंडा पड़ गया हो, लेकिन वरिष्ठ नेताओं के तेवर अभी भी गरम है. जो पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.

MP MINISTER POST POLITICS
बीजेपी में अब नई Vs पुरानी भाजपा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 3:44 PM IST

भोपाल। एमपी में मंत्री नागर सिंह चौहान ने जो ट्रेलर दिखाया, क्या इसके बाद पूरी फिल्म भी सामने आ सकती है? क्या अर्से बाद बीजेपी में दिखाई दी बगावत का असर दूर तक जाएगा और कुछ देर बाद फिर सुनाई देगा. क्या जिस तरह से नागर के तेवर संभाले गए हैं. ये कितने दिन की गारंटी है? गोपाल भार्गव से लेकर अजय विश्नोई हाशिए पर चल रहे भूपेन्द्र सिंह से लेकर अर्चना चिटनीस और जीत का रिकार्ड बना देने वाले रमेश मेंदोला तक सूची लंबी है. जो सियासत में किसी भी दिन उबाल मार सकते हैं. नागर ठंडे पड़ गए हों, लेकिन बीजेपी में तूफान क्या अभी बाकी है.

TUSSLE IN MP BJP LEADERS
अजय विश्नोई बीजेपी से नाराज (ETV Bharat)

कांग्रेसियों का स्वागत, नहीं अब सवाल खड़े हैं

2020 से 2024 तक बहुत पानी बह चुका के अंदाज में समझें, तो 2020 में कांग्रेस से आए मेहमानों को नवाजना पार्टी की मजबूरी थी, लेकिन 2023 में एमपी में मिले बहुमत के बाद जो गिनती के कांग्रेसी आए और जिस तरह से इन्हें पार्टी में हाथों-हाथ नवाजा गया है, एक अकेले राम निवास रावत के लिए कैबिनेट विस्तार कर दिया गया. उसके बाद बीजेपी में असंतोष की जो लहरें उठी हैं. उन्हें संभालना क्या इतना आसान होगा. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में बुनियादी सवाल ये है कि जब आप कंफर्टेबल मेजोरिटी में हैं.

BJP LEADER AJAY VISHNOI ANGRY
बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी (ETV Bharat)

जब आपको किसी टेके की जरुरत ही नहीं है फिर कांग्रेसियों को ना सिर्फ पार्टी में लाना और फिर सशर्त लाना. लाने के बाद अपनी पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके इन्हें नवाजना सवाल तो उठेंगे ही, नाराजगी किस कदर है कि अकेले नागर सिंह की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी को दिल्ली भोपाल एक करना पड़ा है.'

यहां पढ़ें...

घर बैठे नेताओं के मंत्री बनने की आस, कहीं यूपी के केशव मौर्य जैसे ना बन जाएं हालात?

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विश्नोई का बयान ट्रेलर समझिए, पिक्चर अभी बाकी है

नागर एपीसोड के दौरान सबसे ज्यादा मुखर रहे अजय विश्नोई ने तो तेवर दिखा दिए थे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से आए नेता भाग्यशाली हैं. जो आते ही उन्हें सत्ता मिल गई. विश्नोई का इशारा इस तरफ है कि कि दुर्भाग्यशाली बीजेपी में सेवा करते रहे वो नेता हैं, जिन्हें पार्टी ने अब तक नहीं नवाजा. कमोबेश ऐसी ही नाराजगी गोपाल भार्गव की भी सामने आ चुकी है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं 'देखिए नई और पुरानी बीजेपी की लकीर तो सिंधिया की अगुवाई में आए विधायकों के साथ ही हो गई थी, लेकिन मुझे लगता है कि अब जिस तरह से नेता मुखर हो रहे हैं, ये खाई बढ़ भी सकती है. जिसे समय रहते संभालना बीजेपी संगठन की सबसे बड़ी चुनौती होगी. राम निवास रावत एपीसोड अभी ठंडा नहीं पड़ा है.

भोपाल। एमपी में मंत्री नागर सिंह चौहान ने जो ट्रेलर दिखाया, क्या इसके बाद पूरी फिल्म भी सामने आ सकती है? क्या अर्से बाद बीजेपी में दिखाई दी बगावत का असर दूर तक जाएगा और कुछ देर बाद फिर सुनाई देगा. क्या जिस तरह से नागर के तेवर संभाले गए हैं. ये कितने दिन की गारंटी है? गोपाल भार्गव से लेकर अजय विश्नोई हाशिए पर चल रहे भूपेन्द्र सिंह से लेकर अर्चना चिटनीस और जीत का रिकार्ड बना देने वाले रमेश मेंदोला तक सूची लंबी है. जो सियासत में किसी भी दिन उबाल मार सकते हैं. नागर ठंडे पड़ गए हों, लेकिन बीजेपी में तूफान क्या अभी बाकी है.

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2020 से 2024 तक बहुत पानी बह चुका के अंदाज में समझें, तो 2020 में कांग्रेस से आए मेहमानों को नवाजना पार्टी की मजबूरी थी, लेकिन 2023 में एमपी में मिले बहुमत के बाद जो गिनती के कांग्रेसी आए और जिस तरह से इन्हें पार्टी में हाथों-हाथ नवाजा गया है, एक अकेले राम निवास रावत के लिए कैबिनेट विस्तार कर दिया गया. उसके बाद बीजेपी में असंतोष की जो लहरें उठी हैं. उन्हें संभालना क्या इतना आसान होगा. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में बुनियादी सवाल ये है कि जब आप कंफर्टेबल मेजोरिटी में हैं.

BJP LEADER AJAY VISHNOI ANGRY
बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी (ETV Bharat)

जब आपको किसी टेके की जरुरत ही नहीं है फिर कांग्रेसियों को ना सिर्फ पार्टी में लाना और फिर सशर्त लाना. लाने के बाद अपनी पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके इन्हें नवाजना सवाल तो उठेंगे ही, नाराजगी किस कदर है कि अकेले नागर सिंह की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी को दिल्ली भोपाल एक करना पड़ा है.'

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