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कहां हैं मध्य प्रदेश के 63 हजार डॉक्टर? मेडिकल काउंसिल में अपडेट नहीं 70 फीसदी पते - MP REGISTERED DOCTORS LIST

1987 में मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल बनने के बाद डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन इसके बाद उनका कभी वेरीफिकेशन ही नहीं हुआ. भोपाल से बृजेन्द्र पटैरिया की रिपोर्ट.

MP REGISTERED DOCTORS LIST
मध्य प्रदेश में रजिस्टर्ड हैं 63 हजार डॉक्टर्स (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 13, 2024, 6:40 PM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश में रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितनों ने प्रदेश को छोड़ दिया या फिर कितने डॉक्टर्स दुनिया से जा चुके हैं, इसकी जानकारी न तो विभाग के पास है और न ही सरकार को इसकी जानकारी है. 1987 में मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल बनने के बाद से काउंसिल ने डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन इसके बाद उनका कभी वेरीफिकेशन ही नहीं कराया. इसको देखते हुए अब मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन हर 5 साल में रिन्यूअल कराने की प्रक्रिया शुरू कराने की तैयारी की जा रही है. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

रजिस्ट्रेशन के बाद रिन्यूअल का नियम ही नहीं

मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 के तहत मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल की स्थापना की गई थी. इसके बाद प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर्स और प्रदेश में आकर प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर्स का काउंसिल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड में अभी 63 हजार 423 डॉक्टर्स रजिस्टर्ड हैं, लेकिन रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितने डॉक्टर्स का देहांत हो चुका है और कितने डॉक्टर्स मध्यप्रदेश से बाहर जा चुके हैं इसकी जानकारी ही विभाग के पास नहीं है. दरअसल मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के बाद पंजीकरण नवीनीकरण का नियम ही नहीं है. हालांकि मेडिकल काउंसिल अब मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद के पंजीयन नवीनीकरण नियम में बदलाव की तैयारी कर रही है. इसमें डॉक्टर्स के लिए हर 5 साल में पंजीयन नवीनीकरण का प्रावधान किया जाएगा.

शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ राकेश मालवीय (ETV Bharat)

2 साल पहले हुआ था डॉक्टर्स का वैरीफिकेशन

बताया जाता है कि मेडिकल काउंसिल द्वारा अपने स्तर पर 2 साल पहले डॉक्टर्स का पुनः सत्यापन कराया था, उस समय 63 हजार डॉक्टर्स में से सिर्फ 24 हजार डॉक्टर्स ने ही अपना वेरीफिकेशन कराया था. शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ राकेश मालवीय कहते हैं कि "मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में 70 फीसदी डॉक्टर्स के पते भी अपडेट नहीं हैं. इस संबंध में पिछले दिनों महासंघ की तरफ से स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से मिलकर मांग की थी कि हर 5 साल में डॉक्टर्स का रिन्यूअल होना चाहिए, इससे सरकार को पता चले कि प्रदेश के कितने डॉक्टर्स प्रदेश और देश के बाहर हैं."

945 डॉक्टर्स के पते हुए अपडेट

मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के गठन के लिए सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है. करीबन 10 साल बाद हो रहे चुनाव के लिए मेडिकल काउंसिल द्वारा प्रदेश भर के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स का एड्रेस वेरीफिकेशन की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. 5 दिसंबर से शुरू हुई यह प्रक्रिया 6 जनवरी तक चलेगी. हालांकि अभी तक 945 डॉक्टर्स ने ही अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. बताया जाता है कि 10 साल पहले हुए चुनाव में भी करीबन 15 हजार डॉक्टर्स ने ही चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया था.

भोपाल: मध्य प्रदेश में रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितनों ने प्रदेश को छोड़ दिया या फिर कितने डॉक्टर्स दुनिया से जा चुके हैं, इसकी जानकारी न तो विभाग के पास है और न ही सरकार को इसकी जानकारी है. 1987 में मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल बनने के बाद से काउंसिल ने डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन तो कराया, लेकिन इसके बाद उनका कभी वेरीफिकेशन ही नहीं कराया. इसको देखते हुए अब मध्य प्रदेश में डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन हर 5 साल में रिन्यूअल कराने की प्रक्रिया शुरू कराने की तैयारी की जा रही है. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इसके बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.

रजिस्ट्रेशन के बाद रिन्यूअल का नियम ही नहीं

मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 के तहत मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल की स्थापना की गई थी. इसके बाद प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर्स और प्रदेश में आकर प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर्स का काउंसिल में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया. मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड में अभी 63 हजार 423 डॉक्टर्स रजिस्टर्ड हैं, लेकिन रजिस्टर्ड डॉक्टर्स में से कितने डॉक्टर्स का देहांत हो चुका है और कितने डॉक्टर्स मध्यप्रदेश से बाहर जा चुके हैं इसकी जानकारी ही विभाग के पास नहीं है. दरअसल मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के बाद पंजीकरण नवीनीकरण का नियम ही नहीं है. हालांकि मेडिकल काउंसिल अब मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद के पंजीयन नवीनीकरण नियम में बदलाव की तैयारी कर रही है. इसमें डॉक्टर्स के लिए हर 5 साल में पंजीयन नवीनीकरण का प्रावधान किया जाएगा.

शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ राकेश मालवीय (ETV Bharat)

2 साल पहले हुआ था डॉक्टर्स का वैरीफिकेशन

बताया जाता है कि मेडिकल काउंसिल द्वारा अपने स्तर पर 2 साल पहले डॉक्टर्स का पुनः सत्यापन कराया था, उस समय 63 हजार डॉक्टर्स में से सिर्फ 24 हजार डॉक्टर्स ने ही अपना वेरीफिकेशन कराया था. शासकीय स्वशासी चिकित्सक महासंघ के मुख्य संयोजक डॉ राकेश मालवीय कहते हैं कि "मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में 70 फीसदी डॉक्टर्स के पते भी अपडेट नहीं हैं. इस संबंध में पिछले दिनों महासंघ की तरफ से स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से मिलकर मांग की थी कि हर 5 साल में डॉक्टर्स का रिन्यूअल होना चाहिए, इससे सरकार को पता चले कि प्रदेश के कितने डॉक्टर्स प्रदेश और देश के बाहर हैं."

945 डॉक्टर्स के पते हुए अपडेट

मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के गठन के लिए सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की गई है. करीबन 10 साल बाद हो रहे चुनाव के लिए मेडिकल काउंसिल द्वारा प्रदेश भर के रजिस्टर्ड डॉक्टर्स का एड्रेस वेरीफिकेशन की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. 5 दिसंबर से शुरू हुई यह प्रक्रिया 6 जनवरी तक चलेगी. हालांकि अभी तक 945 डॉक्टर्स ने ही अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. बताया जाता है कि 10 साल पहले हुए चुनाव में भी करीबन 15 हजार डॉक्टर्स ने ही चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिया था.

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