सागर। लोकसभा चुनाव के परिणाम आना शुरू हो गए हैं और आने वाले कुछ घंटों में तस्वीर साफ हो जाएगी लेकिन एग्जिट पोल के दावों को सच और झूठ बताकर अभी भी कयासबाजी का दौर जारी है. मध्य प्रदेश की बात करें तो कुछ एग्जिट पोल में सत्ताधारी दल बीजेपी सभी सीटें जीतती नजर आ रही है तो कुछ एग्जिट पोल में कांग्रेस 3 सीटों पर भाजपा को हराते नजर आ रही है. मध्य प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जहां पर भाजपा अंगद की तरह पैर जमा चुकी हैं. चुनाव का माहौल और मुद्दे कुछ भी हों लेकिन इन सीटों पर लंबे समय से भाजपा की ही जीत होती आ रही है. अगर मौजूदा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा हारती है तो नया इतिहास बनेगा और कांग्रेस की जीत होने पर शानदार वापसी मानी जाएगी.
कितनी सीटों पर कब से बीजेपी का दबदबा
मध्य प्रदेश में करीब 5 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी करीब 35 साल से लगातार चुनाव जीतती आ रही है. वहीं 4 सीटें ऐसी हैं जहां पर भाजपा पिछले 28 सालों से लगातार चुनाव जीतती आ रही है. इसके अलावा 2 सीटें ऐसी है जहां 26 सालों से भाजपा का कब्जा है. इसके अलावा कहीं 20 तो कहीं 15 साल से भाजपा जीतती आ रही है और कांग्रेस कड़ी मश्क्कत के बाद भी इन सीटों में सेंधमारी नहीं कर पायी है.
मध्य प्रदेश की इन सीटों पर 35 साल से कांग्रेस का सूखा
मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें ऐसी हैं जहां पिछले 35 सालों से भाजपा का कब्जा है. लाख कोशिशों के बाद भी कांग्रेस पार्टी भाजपा के तिलिस्म को तोड़ने में कामयाब नहीं हो पाई. इनमें मालवा की इंदौर, राजधानी भोपाल, ग्वालियर चंबल की भिंड, विदिशा और बुंदेलखंड की दमोह सीट है. इन सभी सीटों पर 1989 से भाजपा का कब्जा है. हांलाकि मौजूदा चुनाव में मालवा की इंदौर सीट पर भाजपा ने पहले ही खेला कर दिया और कांग्रेस के प्रत्याशी का नामांकन वापिस कराकर भाजपा में शामिल कर दिया. इस तरह इंदौर में तो भाजपा की जीत के अंतर पर चर्चा हो रही है. हालांकि माना जा रहा है कि इंदौर में भाजपा जीत का रिकार्ड बना सकती है.
वहीं बात भोपाल की करें, तो भोपाल में भी 1989 से कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका है. यहां पर हिंदू-मुस्लिम धुर्वीकरण का फायदा भाजपा को मिलता रहा है. ग्वालियर चंबल की भिंड सीट भी एक तरह से भाजपा का गढ़ बन चुकी है. यहां पर भी 1989 से लगातार भाजपा जीत हासिल कर रही है. इसके अलावा राजधानी भोपाल से लगी विदिशा सीट तो भाजपा का गढ़ मानी जाती है, यहां से अटल बिहारी वाजपेयी, सुषमा स्वराज और शिवराज सिंह जैसे दिग्गज चुनकर संसद पहुंचे हैं. मौजूदा चुनाव में भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा बात करें तो बुंदेलखंड की दमोह सीट एक ऐसी सीट है जो जातीय समीकरण के चलते भाजपा का गढ़ बन गयी है. लोधी बाहुल्य इस सीट पर पिछले 35 साल से भाजपा का कब्जा है.
वो सीटें जहां 1996 से लगातार हार रही कांग्रेस
इसके अलावा कई ऐसी सीटें भी हैं जहां 1996 से लगातार कांग्रेस हार रही है. यानि पिछले 28 सालों से कांग्रेस इन सीटों पर लगातार हार का सामना कर रही है. इनमें महाकौशल में जबलपुर सीट भी भाजपा का गढ़ बन चुकी है. यहां कांग्रेस हर बार भाजपा का तिलिस्म तोड़ने में नाकामयाब रही है. यही हाल बैतूल सीट का है जहां 1996 से लगातार भाजपा जीत रही है. इसके अलावा ग्वालियर चंबल की मुरैना सीट पर भी 1996 से लगातार भाजपा का कब्जा है. लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहां से भाजपा को तगड़ी चुनौती दी है. बुंदेलखंड की सागर सीट पर 1996 से भाजपा लगातार जीत हासिल कर रही है और कई कोशिश के बाद भी कांग्रेस जीतने में नाकाम रही है.
ऐसी 2 सीटें जहां 26 साल से नहीं जीती कांग्रेस
सतना और बालाघाट दो ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा 26 साल से लगातार काबिज है. इनमें बघेलखंड की सतना सीट है जहां 1998 से लगातार भाजपा जीतती आ रही है. हालांकि इस बार यहां कांटे का मुकाबला है और लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने तगड़ी चुनौती पेश की है. बालाघाट सीट की बात करें तो बालाघाट में भी 1998 से लगातार भाजपा की जीत हो रही है.
बीजेपी के गढ़ में शामिल होने वाली नई सीटें
इसके अलावा मध्यप्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जो भाजपा का धीरे-धीरे गढ़ बनती जा रही हैं. इनमें 2004 से लगातार खजुराहो में भाजपा जीत रही है. इस बार यहां इंडिया गठबंधन की तरफ से सपा ने प्रत्याशी उतारा, लेकिन उनका नामांकन खारिज हो गया. खजुराहो भी इंदौर की तर्ज पर भाजपा की जीत का रिकार्ड बना सकता है. इसके अलावा 2007 से ग्वालियर और 2009 से खरगोन, सीधी और टीकमगढ़ में भाजपा का कब्जा है.
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इन सीटों पर कांग्रेस बना सकती है इतिहास
कांग्रेस ने जीत के हिसाब से अलग रणनीति तैयार की थी. कांग्रेस ने कुछ खास सीटों पर विशेष समन्वयक नियुक्त किए और पार्टी स्तर के अलावा मतदाता स्तर पर कई सर्वे कराकर टिकट बांटे हैं. वहीं भाजपा के प्रत्याशी देखकर जातीय समीकरणों के आधार पर प्रत्याशी चयन किया है. इसके अलावा इन सीटों पर पहले से ही घर-घर संपर्क अभियान चलाया गया है. ऐसी स्थिति में ग्वालियर, मुरैना,सतना और सीधी ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी है.