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छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के नतीजों से पता चलेगी दिग्गजों की दमदारी, शाह-नाथ में कौन किस पर भारी - MP High Profile Seat Chhindwara - MP HIGH PROFILE SEAT CHHINDWARA

एमपी की सबसे हाई प्रोफाइल सीट छिंदवाड़ा के परिणाम का सभी को बहुत जोरो-शोरो से इंतजार है. इसकी वजह है कि बीजेपी ने छिंदवाड़ा में जीत हासिल करने पूरी ताकत झोंक दी है. इतना ही नहीं कांग्रेस को तोड़ने के किए गए प्रयास यहां सफल हुए हैं. यहां कांग्रेस के नकुलनाथ और बीजेपी के विवेट बंटी साहू के बीच मुकाबला टक्कर का है. देखना होगा किस नेता की दमदारी भारी रहेगी.

MP HIGH PROFILE SEAT CHHINDWARA
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर टक्कर का मुकाबला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 22, 2024, 5:09 PM IST

Updated : May 22, 2024, 5:26 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी में भी नेताओं ने अपनी-अपनी सीट पर जमकर पसीना बहाया. जनता को लुभाने और मनाने की हर कोशिश की. इस बार सबसे ज्यादा जोर अगर किसी सीट पर लगाया गया है, तो वह छिंदवाड़ा सीट है. जहां बीजेपी ने प्रचार करने में कोई कमी नहीं छोड़ी. कमलनाथ के गढ़ में कमल खिलाने हर मुमकिन कोशिश की गई है. नेताओं की मेहनत ने कितना असर दिखाया यह तो 4 जून को पता चल जाएगा. नतीजे तय करेंगे कि किस पार्टी के दिग्गज नेताओं में कितना दम है.

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नकुलनाथ फाइल फोटो (ETV Bharat)

बीजेपी के नेताओं की दमदारी, कांग्रेस से कमलनाथ की पारी

भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती साबित हो रही छिंदवाड़ा लोकसभा के चुनाव के पहले मीडिया पर चर्चाओं का दौर गर्म रहा कि पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ भाजपा का दामन थामेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कमलनाथ ने दूसरी बार अपने बेटे नकुलनाथ को लोकसभा का चुनाव लड़वाया. चुनाव की कमान भी खुद ने संभाली और सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा में ही 100 से ज्यादा सभाएं करीं.

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विवेक बंटी साहू (ETV Bharat)

वहीं भाजपा ने भी इस सीट को अपनी नाक का सवाल बनाया. यहां की जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को थमाई. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने छिंदवाड़ा लोकसभा में प्रचार किया. बीजेपी ने पूरी दमखम लगाते हुए विधायक, महापौर, पूर्व कैबिनेट मंत्री सहित करीब 4000 कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से लाकर बीजेपी में शामिल कराया.

कमलनाथ 44 सालों के दम पर, बीजेपी को मोदी का भरोसा

छिंदवाड़ा लोकसभा से नौ बार सांसद और एक बार एमपी के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने 2019 की मोदी लहर में भी अपने बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से चुनाव जिताकर लाये थे. छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश की इकलौती सीट थी. जहां से कांग्रेस चुनाव जीती थी. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया तक चुनाव हार गए थे. एक बार फिर कमलनाथ अपने 44 सालों के रिश्तों का हवाला देकर जनता के बीच वोट मांगने गए थे, तो वहीं बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने मोदी की गारंटी का हवाला देते हुए बदलाव के लिए काम किया है.

MP HIGH PROFILE SEAT CHHINDWARA
पूर्व सीएम कमलनाथ फाइल फोटो (ETV Bharat)

अगर इस चुनाव में भाजपा अपनी रणनीति में सफल होती है, तो कमलनाथ के 44 सालों की राजनीति पर सवाल उठेंगे और उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक करियर पर भी. वहीं कमलनाथ छिंदवाड़ा में 44 सालों के कामकाज को अपनी तपस्या बताते हैं. अगर कमलनाथ की तपस्या से छिंदवाड़ा की जनता प्रसन्न होती है, तो बीजेपी के तमाम दिग्गजों लिए विचार करना होगा कि आखिर कमलनाथ का तिलिस्म क्यों नहीं तोड़ पाए.

कमलनाथ VS मोदी के नाम पर हुआ चुनाव

भले ही छिंदवाड़ा लोकसभा में बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा, लेकिन पार्टी ने चुनाव मोदी की गारंटी के नाम पर लड़ा. खुद भाजपा प्रत्याशी भी जनता के बीच कहते नजर आए थे कि चुनाव में वह सिर्फ एक नाम है, बाकी मोदी के नाम पर ही जनता वोट करेगी. ऐसा ही कांग्रेस पार्टी में था. मैदान पर नकुलनाथ थे, लेकिन चुनाव कमलनाथ के नाम पर लड़ा जा रहा था. नकुलनाथ भी अपने पिता की विरासत के काम गिनाते हुए जनता से वोट मांग रहे थे.

यहां पढ़ें...

मध्य प्रदेश के 3 नेताओं को जीत नहीं जिम्मेदारी का इंतजार, केन्द्र में मिलेगा बड़ा पद

मध्य प्रदेश की इन सीटों पर बड़े उलटेफर के संकेत, क्या BJP का सूपड़ा साफ कर देगी कांग्रेस

दोनों पार्टी के नेताओं की उम्मीद का चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनीष तिवारी का कहना है कि 'छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव के नतीजे दोनों पार्टी के नेताओं के लिए उम्मीद का चुनाव है, क्योंकि अगर कमलनाथ अपनी रणनीति में सफल होकर बेटे को चुनाव जिताने में सफल होते हैं, तो उनके बेटे और उनके लिए कांग्रेस पार्टी के सामने कहने के लिए होगा कि बीजेपी का पूरा राष्ट्रीय कुनबा उन्हें हराने के लिए लगा था, लेकिन एक बार फिर वे जीत कर आए हैं. जबकि पूरे देश में कांग्रेस की हालत खराब होते जा रही है. इसके उलट अगर बीजेपी यहां से चुनाव जीतकर कमलनाथ का गढ़ भेदने में सफल होती है, तो मोदी की गारंटी पर मुहर लग जाएगी.

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी में भी नेताओं ने अपनी-अपनी सीट पर जमकर पसीना बहाया. जनता को लुभाने और मनाने की हर कोशिश की. इस बार सबसे ज्यादा जोर अगर किसी सीट पर लगाया गया है, तो वह छिंदवाड़ा सीट है. जहां बीजेपी ने प्रचार करने में कोई कमी नहीं छोड़ी. कमलनाथ के गढ़ में कमल खिलाने हर मुमकिन कोशिश की गई है. नेताओं की मेहनत ने कितना असर दिखाया यह तो 4 जून को पता चल जाएगा. नतीजे तय करेंगे कि किस पार्टी के दिग्गज नेताओं में कितना दम है.

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नकुलनाथ फाइल फोटो (ETV Bharat)

बीजेपी के नेताओं की दमदारी, कांग्रेस से कमलनाथ की पारी

भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती साबित हो रही छिंदवाड़ा लोकसभा के चुनाव के पहले मीडिया पर चर्चाओं का दौर गर्म रहा कि पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ भाजपा का दामन थामेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कमलनाथ ने दूसरी बार अपने बेटे नकुलनाथ को लोकसभा का चुनाव लड़वाया. चुनाव की कमान भी खुद ने संभाली और सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा में ही 100 से ज्यादा सभाएं करीं.

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विवेक बंटी साहू (ETV Bharat)

वहीं भाजपा ने भी इस सीट को अपनी नाक का सवाल बनाया. यहां की जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को थमाई. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं के अलावा कई केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने छिंदवाड़ा लोकसभा में प्रचार किया. बीजेपी ने पूरी दमखम लगाते हुए विधायक, महापौर, पूर्व कैबिनेट मंत्री सहित करीब 4000 कार्यकर्ताओं को कांग्रेस से लाकर बीजेपी में शामिल कराया.

कमलनाथ 44 सालों के दम पर, बीजेपी को मोदी का भरोसा

छिंदवाड़ा लोकसभा से नौ बार सांसद और एक बार एमपी के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने 2019 की मोदी लहर में भी अपने बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से चुनाव जिताकर लाये थे. छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश की इकलौती सीट थी. जहां से कांग्रेस चुनाव जीती थी. जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया तक चुनाव हार गए थे. एक बार फिर कमलनाथ अपने 44 सालों के रिश्तों का हवाला देकर जनता के बीच वोट मांगने गए थे, तो वहीं बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने मोदी की गारंटी का हवाला देते हुए बदलाव के लिए काम किया है.

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पूर्व सीएम कमलनाथ फाइल फोटो (ETV Bharat)

अगर इस चुनाव में भाजपा अपनी रणनीति में सफल होती है, तो कमलनाथ के 44 सालों की राजनीति पर सवाल उठेंगे और उनके बेटे सांसद नकुलनाथ के राजनीतिक करियर पर भी. वहीं कमलनाथ छिंदवाड़ा में 44 सालों के कामकाज को अपनी तपस्या बताते हैं. अगर कमलनाथ की तपस्या से छिंदवाड़ा की जनता प्रसन्न होती है, तो बीजेपी के तमाम दिग्गजों लिए विचार करना होगा कि आखिर कमलनाथ का तिलिस्म क्यों नहीं तोड़ पाए.

कमलनाथ VS मोदी के नाम पर हुआ चुनाव

भले ही छिंदवाड़ा लोकसभा में बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा, लेकिन पार्टी ने चुनाव मोदी की गारंटी के नाम पर लड़ा. खुद भाजपा प्रत्याशी भी जनता के बीच कहते नजर आए थे कि चुनाव में वह सिर्फ एक नाम है, बाकी मोदी के नाम पर ही जनता वोट करेगी. ऐसा ही कांग्रेस पार्टी में था. मैदान पर नकुलनाथ थे, लेकिन चुनाव कमलनाथ के नाम पर लड़ा जा रहा था. नकुलनाथ भी अपने पिता की विरासत के काम गिनाते हुए जनता से वोट मांग रहे थे.

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दोनों पार्टी के नेताओं की उम्मीद का चुनाव

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनीष तिवारी का कहना है कि 'छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव के नतीजे दोनों पार्टी के नेताओं के लिए उम्मीद का चुनाव है, क्योंकि अगर कमलनाथ अपनी रणनीति में सफल होकर बेटे को चुनाव जिताने में सफल होते हैं, तो उनके बेटे और उनके लिए कांग्रेस पार्टी के सामने कहने के लिए होगा कि बीजेपी का पूरा राष्ट्रीय कुनबा उन्हें हराने के लिए लगा था, लेकिन एक बार फिर वे जीत कर आए हैं. जबकि पूरे देश में कांग्रेस की हालत खराब होते जा रही है. इसके उलट अगर बीजेपी यहां से चुनाव जीतकर कमलनाथ का गढ़ भेदने में सफल होती है, तो मोदी की गारंटी पर मुहर लग जाएगी.

Last Updated : May 22, 2024, 5:26 PM IST
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