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MPPSC के 13% रिजल्ट होल्ड पर हाईकोर्ट सख्त, 50 हजार के जुर्माने के साथ सरकार को कड़े निर्देश - MP HC fine on government - MP HC FINE ON GOVERNMENT

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा अपनाए जा रहे 87:13 फार्मूले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट जस्टिस राज मोहन सिंह तथा जस्टिस डीएन मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार द्वारा जवाब पेश नहीं किये जाने को गंभीरता से लेते हुए 50 हजार की कॉस्ट लगाई है. एमपीपीएससी को 13 परसेंट होल्ड अभ्यर्थियों की सूची जारी करने के भी निर्देश दिए गए.

MP HC fine on government
एमपी हाईकोर्ट ने ठोका सरकार पर 50 हजार जुर्माना (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 12:46 PM IST

Updated : Jul 17, 2024, 3:22 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह तथा जस्टिस डीएन मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इस मामले में प्रज्ञा शर्मा, मोना मिश्रा, प्रियंका तिवारी समेत अन्य 5 लोगों की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी वर्ग के लिए बनाये गये आरक्षण पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

इसके बाद मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 87:13 प्रतिशत का नया फार्मूला तैयार कर नियुक्ति प्रदान की. इस फार्मूले के तहत नियुक्ति के लिए 13 प्रतिशत सामान्य तथा 13 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ऐसा फार्मूला उनकी तरफ से नहीं दिया गया. याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा कि वे लोग वर्ष 2019 और 2020 की परीक्षा के साक्षात्कार में शामिल हुए थे, होल्ड किये गये 13 प्रतिशत में उनका नाम है. इस संबंध में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गयी.

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होल्ड की गई सूची को गोपनीय क्यों रखा

याचिका में बताया गया कि होल्ड की गई पुरानी दोनों वर्ग की 13 प्रतिशत सूची को गोपनीय रखा गया है. प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार एमपीपीएससी ने उक्त फार्मूला लागू किया है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने राज्य सरकार तथा एमपीपीएससी को नोटिस जारी करते हुए 13 प्रतिशत उम्मीदवारों की सूची पेश करने का आदेश जारी किए. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जवाब पेश नहीं किया गया. याचिका पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की गई है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह तथा जस्टिस डीएन मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार द्वारा जवाब पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इस मामले में प्रज्ञा शर्मा, मोना मिश्रा, प्रियंका तिवारी समेत अन्य 5 लोगों की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी वर्ग के लिए बनाये गये आरक्षण पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया

इसके बाद मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 87:13 प्रतिशत का नया फार्मूला तैयार कर नियुक्ति प्रदान की. इस फार्मूले के तहत नियुक्ति के लिए 13 प्रतिशत सामान्य तथा 13 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि ऐसा फार्मूला उनकी तरफ से नहीं दिया गया. याचिकाकर्ताओं ने ये भी कहा कि वे लोग वर्ष 2019 और 2020 की परीक्षा के साक्षात्कार में शामिल हुए थे, होल्ड किये गये 13 प्रतिशत में उनका नाम है. इस संबंध में भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गयी.

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होल्ड की गई सूची को गोपनीय क्यों रखा

याचिका में बताया गया कि होल्ड की गई पुरानी दोनों वर्ग की 13 प्रतिशत सूची को गोपनीय रखा गया है. प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार एमपीपीएससी ने उक्त फार्मूला लागू किया है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने राज्य सरकार तथा एमपीपीएससी को नोटिस जारी करते हुए 13 प्रतिशत उम्मीदवारों की सूची पेश करने का आदेश जारी किए. याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जवाब पेश नहीं किया गया. याचिका पर अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की गई है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से दलील अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

Last Updated : Jul 17, 2024, 3:22 PM IST
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