जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए तलाक की डिग्री जारी करने के आदेश जारी किये हैं. मामले के अनुसार मुंबई निवासी करणदीप सिंह छाबड़ा ने कुटुम्ब न्यायालय द्वारा तलाक का आवेदन खारिज किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. अपील में कहा गया था कि उसका विवाह जबलपुर निवासी युवती से साल 2014 में हुआ था. विवाह के 5 माह बाद पत्नी गर्भवती होने के कारण माता-पिता के साथ मायके चली गई.
पीड़ित पति ने हाईकोर्ट को बताई आपबीती
पति ने याचिका में कहा कि उसकी पत्नी ने मायके आने के बाद जबलपुर में उसके परिजनों व रिश्तेदारों के खिलाफ घरेलू हिंसा, धोखाधड़ी तथा धमकाने के आपराधिक प्रकरण दर्ज करवा दिया. पत्नी बिना कोई उचित कारण अभी भी स्वेच्छा से मायके में रह रही है. उसने स्वेच्छा से सुसराल का परित्याग कर दिया है. इस कारण वह वैवाहिक अधिकार से वंचित है. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अनावेदक पत्नी जानबूझकर बेटी को पिता से नहीं मिलने देती है. उसने अपनी बेटी के मन में पति के खिलाफ अलगाव पैदा किया.
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मां ने बेटी के मन में भी नफरत भर दी
कोर्ट ने ये भी पाया कि मां द्वारा बार-बार नफरत भरने के कारण बेटी अपने पिता के खिलाफ बोलने लगी है, ये कृत्य मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आता है. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी दो साल की अधिक अवधि से बिना किसी उचित कारण पति से अलग रह रही है. इसके अलावा उसने पति सहित उसके परिजनों तथा रिश्तेदारों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई है. आवेदक पति उन प्रकरणों में जमानत पर है. युगलपीठ ने इसे मानसिक क्रूरता मानते हुए कुटुम्ब न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए पति को तलाक की हरी झंडी दे दी.