इंदौर। इंदौर हाई कोर्ट ने कहा है "तीन तलाक जैसी कुप्रथा असंवैधानिक और समाज के लिए हानिकारक है." न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा "यह अंधविश्वास और कुप्रथाओं को समाप्त करने में मददगार होगी. तीन तलाक समाज के लिए घातक है. देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता को समझा जा सकता है.ठ आज भी आस्था और विश्वास के नाम पर कई कट्टरपंथी अंधविश्वास और अति रूढ़िवादी प्रथाएं प्रचलित हैं.
बड़वानी की महिला की याचिका पर सुनवाई
इंदौर हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा "भारत के संविधान में पहले से ही अनुच्छेद 44 शामिल है, जो समान नागरिक संहिता की वकालत करती है. लेकिन अब इसे केवल कागज पर ही नहीं बल्कि वास्तविक बनाया जाना चाहिए. अच्छी तरह से तैयार कर समान नागरिक संहिता अंधविश्वास और अव्यवस्थाओं पर रोक लगाने का काम करेगी. इससे राष्ट्रीय अखंडता और मजबूत होगी." न्यायमूर्ति अनिल वर्मा बड़वानी जिले के राजपुर कस्बे की मुस्लिम महिला के तीन तलाक की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे.
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कोर्ट ने तीन तलाक को गंभीर मुद्दा बताया
पीड़ित महिला ने अपने पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी. महिला के पति ने उसे तीन बार तलाक कहकर तलाक दे दिया था. महिला ने परेशान होकर इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट न्यायमूर्ति अनिल वर्मा ने अपने 10 पेज के फैसले में तीन तलाक को गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा "ऐसे में शादी कुछ ही सेकंड में तोड़ी जा सकती है. दुर्भाग्य से यह अधिकार केवल पति के पास है. अगर पत्नी अपनी गलती सुधारना भी चाहे तो हलाला जैसे अत्याचार झेलना पड़ता है."