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नियुक्तियों में ईडब्लूएस आरक्षण को लेकर MP हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश - EWS reservation new order

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने तस्वीर साफ कर दी है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सामान्य वर्ग के गरीबों को मात्र 4% आरक्षण ही दिया जाएगा.

EWS reservation new order
नियुक्तियों में ईडब्लूएस के आरक्षण महत्वपूर्ण आदेश (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 7, 2024, 1:44 PM IST

ईडब्लूएस के आरक्षण एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश (ETV BHARAT)

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपने फैसले में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर अहम फैसला दिया है. बता दें कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की कुछ भर्तियां निकाली थीं. उसी मामले पर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण का मतलब 100 में से 10 नहीं है बल्कि सामान्य वर्ग को जो 35% सीट बची हैं, उनमें से 4 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जाएं.

सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी 10% आरक्षण

गौरतलब है कि आरक्षण को लेकर बहस लंबे समय से चल रही है. सरकार को लगा कि यह आंदोलन कहीं बड़ा ना हो जाए. इसलिए 2019 में संविधान संशोधन किया और सरकार ने घोषणा की कि अब देश में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी 10% आरक्षण दिया जाएगा. सरकार की इस घोषणा का बड़ा स्वागत हुआ और ऐसा लगा कि सरकार गरीबों की सुन रही है. लेकिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में सरकार की इस घोषणा की पोल खोल दी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि ईडब्ल्यूएस का मतलब गरीबों को जो आरक्षण दिया गया है, उसमें 10% का मतलब सामान्य वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, उसका 10% गरीबों को मिलेगा.

100 में से 10 नहीं, मात्र 4 पदों के हकदार गरीब

जबलपुर हाईकोर्ट के एडवोकेट रामेश्वर सिंह इसे कुछ इस तरह समझाते हैं कि मान लो किसी सरकारी संस्थान में 100 पदों पर भर्ती होना है तो इसमें से 16 पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित, 22 पर अनुसूचित जनजाति आरक्षित हैं. 27 पद अन्य पिछड़ा वर्ग मतलब ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. बचे हुए 35 पद सभी के लिए खुले हुए हैं. इनमें सामान्य वर्ग को आरक्षण नहीं है. इन्हीं 35 पदों में से 10% पद मतलब 3.5 या 4 पद ईडब्ल्यूएस मतलब सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को देने की बात कही गई है.

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स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां को दी गई थी चुनौती

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां निकाली थीं और इन्हीं भर्तियां को कुछ गरीब सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों ने चुनौती दी थी कि उनका आरक्षण सही ढंग से परिभाषित किया जाए. कोर्ट ने इसको स्पष्ट कर दिया कि आपका हक मात्र 35 में से 4 पदों का है. पूरे पदों पर 10% का आरक्षण नहीं दिया जा सकता. बता दें कि सरकार की परिभाषा में इकोनामिक वीकर सेक्शन या जिसे आर्थिक रूप से कमजोर माना गया है. उसकी वार्षिक आय ₹8 लाख प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए या उसके पास 5 एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए या शहर में 200 वर्ग मीटर से काम का प्लॉट होना चाहिए.

ईडब्लूएस के आरक्षण एमपी हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश (ETV BHARAT)

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अपने फैसले में ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर अहम फैसला दिया है. बता दें कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की कुछ भर्तियां निकाली थीं. उसी मामले पर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण का मतलब 100 में से 10 नहीं है बल्कि सामान्य वर्ग को जो 35% सीट बची हैं, उनमें से 4 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को दिए जाएं.

सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी 10% आरक्षण

गौरतलब है कि आरक्षण को लेकर बहस लंबे समय से चल रही है. सरकार को लगा कि यह आंदोलन कहीं बड़ा ना हो जाए. इसलिए 2019 में संविधान संशोधन किया और सरकार ने घोषणा की कि अब देश में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए भी 10% आरक्षण दिया जाएगा. सरकार की इस घोषणा का बड़ा स्वागत हुआ और ऐसा लगा कि सरकार गरीबों की सुन रही है. लेकिन मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में सरकार की इस घोषणा की पोल खोल दी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि ईडब्ल्यूएस का मतलब गरीबों को जो आरक्षण दिया गया है, उसमें 10% का मतलब सामान्य वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, उसका 10% गरीबों को मिलेगा.

100 में से 10 नहीं, मात्र 4 पदों के हकदार गरीब

जबलपुर हाईकोर्ट के एडवोकेट रामेश्वर सिंह इसे कुछ इस तरह समझाते हैं कि मान लो किसी सरकारी संस्थान में 100 पदों पर भर्ती होना है तो इसमें से 16 पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित, 22 पर अनुसूचित जनजाति आरक्षित हैं. 27 पद अन्य पिछड़ा वर्ग मतलब ओबीसी के लिए आरक्षित हैं. बचे हुए 35 पद सभी के लिए खुले हुए हैं. इनमें सामान्य वर्ग को आरक्षण नहीं है. इन्हीं 35 पदों में से 10% पद मतलब 3.5 या 4 पद ईडब्ल्यूएस मतलब सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को देने की बात कही गई है.

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स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां को दी गई थी चुनौती

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की भर्तियां निकाली थीं और इन्हीं भर्तियां को कुछ गरीब सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों ने चुनौती दी थी कि उनका आरक्षण सही ढंग से परिभाषित किया जाए. कोर्ट ने इसको स्पष्ट कर दिया कि आपका हक मात्र 35 में से 4 पदों का है. पूरे पदों पर 10% का आरक्षण नहीं दिया जा सकता. बता दें कि सरकार की परिभाषा में इकोनामिक वीकर सेक्शन या जिसे आर्थिक रूप से कमजोर माना गया है. उसकी वार्षिक आय ₹8 लाख प्रति वर्ष से कम होनी चाहिए या उसके पास 5 एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए या शहर में 200 वर्ग मीटर से काम का प्लॉट होना चाहिए.

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