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भोपाल गैस कांड में अवमानना के दोषी करार ACS सुलेमान को हाईकोर्ट से मिली राहत

MP High Court ACS Sleman Relief : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान के साथ ही केंद्र सरकार के अफसरों को राहत दी है. इन अफसरों को अवमानना का दोषी पाया गया था. सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट ने अपना रुख नरम कर लिया.

MP High Court ACS Sleman Relief
एसीएस सुलेमान को हाईकोर्ट से मिली राहत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 11, 2024, 12:48 PM IST

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में अवमानना याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया था. इसके अलावा अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के आदेश दिये थे. सरकार की तरफ से इस आदेश को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस शीलू नागू तथा विनय सराफ की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इस आदेश को रिकॉल करने के निर्देश जारी किए हैं.

मॉनिटरिंग कमेटी को हर तीन माह में देनी है रिपोर्ट

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करनी थी. रिपोर्ट के आधार पर ही हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी थे.

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कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं, अवमानना याचिका दायर

मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी. युगलपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया था. इससे सरकार के होश उड़ गए. इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. सरकार ने कहा कि न्यायालय के आदेश का परिपालन करने पूरे प्रयास किये जा रहे हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा के परिपालन के लिए समयबद्ध कार्यक्रम निर्धारित किया जा सकता है.

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी मामले में अवमानना याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया था. इसके अलावा अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के आदेश दिये थे. सरकार की तरफ से इस आदेश को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया गया. हाईकोर्ट जस्टिस शीलू नागू तथा विनय सराफ की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद इस आदेश को रिकॉल करने के निर्देश जारी किए हैं.

मॉनिटरिंग कमेटी को हर तीन माह में देनी है रिपोर्ट

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करनी थी. रिपोर्ट के आधार पर ही हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी थे.

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मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी. युगलपीठ ने मध्यप्रदेश सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा और विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया था. इससे सरकार के होश उड़ गए. इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई. सरकार ने कहा कि न्यायालय के आदेश का परिपालन करने पूरे प्रयास किये जा रहे हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा के परिपालन के लिए समयबद्ध कार्यक्रम निर्धारित किया जा सकता है.

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