Wheat Purchase New Date May 20: मध्य प्रदेश में खरीफ फसलों की खरीद के तहत गेहूं की फसल 20 मई तक सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदेगी, लेकिन इस बार गेहूं के उत्पादन और उत्पादकता की कमी ने ना सिर्फ किसान को हताश किया है, बल्कि इससे प्रदेश में गेहूं खरीदी में भी गिरावट देखने को मिल रही है. वह भी तब जब मध्य प्रदेश सरकार गेहूं की खरीदी पर वर्तमान समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल के अतिरिक्त 125 रुपए बोनस देने की घोषणा कर चुकी है.
किसानों में दिख रही नाराजगी
बोनस के बाद मध्य प्रदेश में गेहूं 2400 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा जा रहा है. जबकि विधानसभा से पहले हुई चुनावी घोषणा में भाजपा ने 2700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदी का वादा किया था. ग्वालियर के किसान मनीराम का कहना है कि "जब चुनाव थे तो शिवराज सिंह कहते थे कि सरकार बनेगी तो गेहूं 2700 रुपया खरीदेंगे, लेकिन चुनाव जीतने के बाद 125 रुपए बोनस बढ़ाए. इससे क्या होगा. चुनाव के लिए सब किसानों को ही पागल बनाते हैं बस"
ज्यादातर किसानों ने रोकी फसल, व्यापारी दे रहे ज़्यादा भाव
इस साल मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी समर्थन मूल्य पर बिक्री के लिए प्रदेश भर के 15 लाख किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन जब खरीदी का समय आया तो किसान मंडी तक नहीं पहुंच रहे हैं, जो पहुंच रहे हैं. उनकी फसले हाल ही में हुई बारिश की वजह से खराब पाई जा रही हैं. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं फसल की खरीदी में आई कमी की एक मुख्य वजह यह भी है कि अगले कुछ महीनों में कीमतों में इजाफा हो सकता है. जिसकी उम्मीद में किसानों ने अपना गेहूं रोक लिया है. प्रदेश भर में ऐसे लगभग 30 से 35 फीसदी किसान माने जा रहे हैं. इसके अलावा एक बड़ी वजह मंडी में व्यापारियों द्वारा खरीदे जा रहे गेहूं की अधिक कीमत भी मानी जा रही है, क्योंकि प्रदेश की इंदौर जिले में लोकवन किस्म का गेहूं ₹2900 से लेकर 3150 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. वहीं पूर्ण किस्म का गेहूं भी तकरीबन 2650 से ₹3000 प्रति क्विंटल है, जो कि मध्य प्रदेश सरकार की और से समर्थन मूल्य से काफी ज्यादा है.
सरकार ने मानकों में दी रियायत
वहीं खाद्य आपूर्ति विभाग की मानें तो पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से प्रदेश के कुछ जिलों में गेहूं की फसल पर बुरा असर पड़ा है. ऐसे में किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने खरीदी के नियमों में कुछ शिथिलता प्रदान की है. जिसके तहत पहले 30% खराब गेहूं खरीदी को बढ़ाकर 50% कर दिया गया है. यह वह गेहूं का दाना है. जिसकी चमक खत्म हो जाती है या दान खराब या सिकुड़ा हुआ निकलता है. साथ ही टूटे गेहूं के दाने को भी 6% से बढ़ाकर 15% किया है, लेकिन इतनी छूट के बाद भी गेहूं उपार्जन केंद्रों पर किसान गुणवत्ता गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं. जो खरीदने के लायक नहीं है. खाद्य आपूर्ति विभाग की माने तो 50% की छूट देने के बावजूद लस्टर लॉस गेहूं की अपेक्षा खराब गुणवत्ता के गेहूं को लाकर किसान उसे खरीदी के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाते हैं, लेकिन टाइम नए मानकों के अनुसार भी उसे खरीदना संभव नहीं होता. इसकी वजह से कई जगहों पर खरीदी में गिरावट देखी जा रही है.
लक्ष्य से कम हुई अब तक की खरीदी
बता दें कि इस साल केंद्रीय में प्रदेश के किसानों से करीब 80 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन तमाम नियमों में छूट के बावजूद अब तक करीब 41 लाख टन ही खरीदी हो सकी है. जो पिछले साल के मुकाबले अब तक 32 फीसदी कम है. वहीं कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस वर्ष फसल की उत्पादकता में कमी की बड़ी वजह 2023 के मानसून में कम बारिश का होना है. यदि इस वर्ष भी अच्छी बारिश नहीं हुई तो कृषि भूमि में नमी पर असर पड़ेगा जो आगामी फसल को भी प्रभावित करेगी.
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मंडी तक नहीं पहुंच रहे कई किसान
बहरहाल मध्य प्रदेश में सरकार बोनस भी दे रही और खरीदी में मापदंड की छूट भी लेकिन कही किसान मंडी तक नहीं पहुंच रहे तो कहीं फसल अधिक खराब है, लेकिन कई जगह अन्नदाता इस बात से भी नाराज हैं कि, सरकार के वादे के अनुसार गेहूं का समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है. इस सब का असर यह है कि, मध्यप्रदेश में गेहूं की फसल की कीमतें भले ही अधिक हो लेकिन खरीदी फिर भी कम है.