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मंत्रालय घेरने से पहले किसानों के धरनास्थल पर पहुंचे डिप्टी सीएम, बोले-15 दिन में होंगी मांगे पूरी - MP FARMERS DEMONSTRATION

मध्य प्रदेश के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर भोपाल में प्रदर्शन किया. जगदीश देवड़ा ने 15 दिन में मांगें पूरा करने का दिया आश्वासन.

MP FARMERS DEMONSTRATION
मध्य प्रदेश के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2025, 7:41 PM IST

भोपाल: राजधानी में बुधवार को भारतीय किसान संघ के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इसमें प्रदेश भर से किसान पहुंचे थे. बढ़े हुए बिजली बिल, बिजली कटौती, जमीनों के रिकार्ड सुधारने और राजस्व अधिकारियों की मनमानी समेत अन्य मुद्दों को लेकर यह प्रदर्शन हुआ. इस दौरान किसान मंत्रालय का घेराव करने की तैयारी कर रहे थे, इससे पहले ही उनके बीच डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा पहुंच गए. उन्होंनें किसान नेताओं को 15 दिन में मांगे पूरी करने का आश्वासन देकर धरना खत्म कराया.

डिप्टी सीएम ने कहा-'सरकार किसानों के साथ'

डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा कि "केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई सराहनीय काम किए हैं. प्रदेश सरकार ने भी किसानों के हित में कई निर्णय लिए. जब मुझे पता चला कि प्रदेश भर से इतनी बड़ी संख्या में किसान भोपाल आए हैं. किसान संघ के बड़े नेता भी आए हैं, तो मैं किसानों से ज्ञापन लेने खुद आ गया."

उन्होंने कहा कि "किसानों की मांगो को लेकर हम संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे, फिर निर्णय लेंगे. आज जो किसानों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं, उनको पूरी तरह आश्वस्त करता हूं, कि सरकार तय समयसीमा में उनकी भावनाओं का सम्मान करेगी. सरकार किसानों के साथ खड़ी है."

15 दिन में मांग पूरी नहीं, तो फिर होगा आंदोलन

भारतीय किसान संघ मध्यभारत प्रांत के सर्वज्ञ दीवान ने बताया कि "अभी राजस्व, मंडी, सहकारिता, कृषि और बिजली विभाग समेत अन्य विभागों की विभागवार समस्याओं को लेकर ये आंदोलन किया है. नौकरशाही में बढ़ती तानाशाही, भष्टाचार और किसानों के प्रति शोषण के रवैये को देखते हुए किसानों ने आंदोलन का निर्णय लिया था. हमने अपनी समस्याएं सरकार और नौकरशाहों को बताई है."

उन्होंने कहा कि "यदि 15 दिन में किसानों की समस्याओं का निदान नहीं होता, तो भारतीय किसान संघ ग्राम ईकाइयों तक जाएगा और फिर हम सड़कों पर उतरने का काम करेंगे. अभी वल्लभ भवन के घेराव का कार्यक्रम था. लेकिन सरकार हमारे पास खुद चलकर आई और 15 दिन में समस्याओं का निदान करने की बात कही है. ऐसे में आंदोलन को खत्म किया जा रहा है."

'राजस्व रिकार्ड में सुधार के लिए मांगते हैं रिश्वत'

भारतीय किसान संघ मध्यभारत प्रांत के क्षेत्रीय महामंत्री महेश चौधरी ने किसानों की परेशानी और मांगों को लेकर बताया.

  • किसानों को पूरे 10 घंटे बिजली मिले. ट्रासंफार्मर जलने के बाद यदि उनका बिजली बिल जमा है, तो तुरंत दूसरा ट्रांसफार्मर मिलना चाहिए.
  • ट्रासंफार्मर का परिवहन सरकारी बिजली विभाग के वाहन से किया जाना चाहिए. इसके लिए किसान से ट्रैक्टर न बुलवाया जाए. यदि ट्रांसफार्मर उठाने के लिए किसान का ट्रैक्टर बुलवाया जाता है, तो उसे सरकारी मद से भाड़ा दिया जाए.
  • जहां कम हॉर्सपावर के ट्रांसफार्मर हैं, वहां बिजली विभाग के कर्मचारियों ने अधिक लोगों को कनेक्शन दे दिया, जिससे लोड अधिक हो गया और किसानों की मोटर से पानी नहीं आ रहा.
  • राजस्व में 2012 में कम्प्यूटर आया. हमारा पूरा रिकार्ड कम्प्यूटर में चला गया. जब कागज को पढ़कर कम्प्यूटर में चढ़ाया गया तो पढ़ने वालों ने राम लाल पढ़ा और लिखने वाले रामू लिख दिया. इसी तरह पढ़ने वाले ने 52 बोला तो लिखने वाले ने 22 लिखा.
  • ये किसानों की गलती नहीं है, लेकिन जब किसान राजस्व रिकार्ड में इस गलती को सुधरवाने जाता है, तो उससे पैसा मांगा जाता है.
  • इसी तरह वन विभाग ने ड्रोन से नक्शे लिए, लेकिन किसानों के पास तो 1952 का नक्शा है, जो राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. इस जमीन की किसानों के पास रजिस्ट्री भी है. लेकिन अब किसानों को वन विभाग वाले खेती नहीं करने दे रहे.


ये हैं किसानों की मुख्य मांगे

किसानों ने आवेदनों से भरा एक थैला डिप्टी सीएम को सौंपा है. इसमें नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, बटांकन, ऑनलाइन रिकॉर्ड और नक्शा सुधार जैसे आवेदन हैं. किसानों ने शासन से ये मांग की हैं.

  • हॉर्स पावर क्षमता वृद्धि वापस ली जाने की मांग.
  • जले ट्रांसफार्मर और लाइनें समय सीमा में बदली जाने की मांग.
  • डीएपी, यूरिया खाद सहकारिता के माध्यम से नगद वितरण और समय पर करने की मांग.
  • सभी मंडियों में फ्लेट कांटों से तुलाई अनिवार्य करने की मांग.
  • मंडी परिसर में ही फसल के भुगतान व्यवस्था की मांग.
  • नकली दूध बनाने वालों पर भी सख्त कार्रवाई करने की मांग.
  • प्रदेश में गो-अभ्यारण्य बनाने की मांग
  • प्रस्तावित और स्वीकृत नहरों का काम जल्दी पूरा करने की मांग.
  • सभी फसलों को एमएसपी में शामिल करने की मांग
  • किसानों के खिलाफ चल रहे झूठे प्रकरणों को वापस लेने की मांग.
  • धान 3100 रुपये क्विंटल और गेंहू 2700 रुपये क्विंटल खरीदने की मांग.

भोपाल: राजधानी में बुधवार को भारतीय किसान संघ के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. इसमें प्रदेश भर से किसान पहुंचे थे. बढ़े हुए बिजली बिल, बिजली कटौती, जमीनों के रिकार्ड सुधारने और राजस्व अधिकारियों की मनमानी समेत अन्य मुद्दों को लेकर यह प्रदर्शन हुआ. इस दौरान किसान मंत्रालय का घेराव करने की तैयारी कर रहे थे, इससे पहले ही उनके बीच डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा पहुंच गए. उन्होंनें किसान नेताओं को 15 दिन में मांगे पूरी करने का आश्वासन देकर धरना खत्म कराया.

डिप्टी सीएम ने कहा-'सरकार किसानों के साथ'

डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा कि "केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई सराहनीय काम किए हैं. प्रदेश सरकार ने भी किसानों के हित में कई निर्णय लिए. जब मुझे पता चला कि प्रदेश भर से इतनी बड़ी संख्या में किसान भोपाल आए हैं. किसान संघ के बड़े नेता भी आए हैं, तो मैं किसानों से ज्ञापन लेने खुद आ गया."

उन्होंने कहा कि "किसानों की मांगो को लेकर हम संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे, फिर निर्णय लेंगे. आज जो किसानों ने अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं, उनको पूरी तरह आश्वस्त करता हूं, कि सरकार तय समयसीमा में उनकी भावनाओं का सम्मान करेगी. सरकार किसानों के साथ खड़ी है."

15 दिन में मांग पूरी नहीं, तो फिर होगा आंदोलन

भारतीय किसान संघ मध्यभारत प्रांत के सर्वज्ञ दीवान ने बताया कि "अभी राजस्व, मंडी, सहकारिता, कृषि और बिजली विभाग समेत अन्य विभागों की विभागवार समस्याओं को लेकर ये आंदोलन किया है. नौकरशाही में बढ़ती तानाशाही, भष्टाचार और किसानों के प्रति शोषण के रवैये को देखते हुए किसानों ने आंदोलन का निर्णय लिया था. हमने अपनी समस्याएं सरकार और नौकरशाहों को बताई है."

उन्होंने कहा कि "यदि 15 दिन में किसानों की समस्याओं का निदान नहीं होता, तो भारतीय किसान संघ ग्राम ईकाइयों तक जाएगा और फिर हम सड़कों पर उतरने का काम करेंगे. अभी वल्लभ भवन के घेराव का कार्यक्रम था. लेकिन सरकार हमारे पास खुद चलकर आई और 15 दिन में समस्याओं का निदान करने की बात कही है. ऐसे में आंदोलन को खत्म किया जा रहा है."

'राजस्व रिकार्ड में सुधार के लिए मांगते हैं रिश्वत'

भारतीय किसान संघ मध्यभारत प्रांत के क्षेत्रीय महामंत्री महेश चौधरी ने किसानों की परेशानी और मांगों को लेकर बताया.

  • किसानों को पूरे 10 घंटे बिजली मिले. ट्रासंफार्मर जलने के बाद यदि उनका बिजली बिल जमा है, तो तुरंत दूसरा ट्रांसफार्मर मिलना चाहिए.
  • ट्रासंफार्मर का परिवहन सरकारी बिजली विभाग के वाहन से किया जाना चाहिए. इसके लिए किसान से ट्रैक्टर न बुलवाया जाए. यदि ट्रांसफार्मर उठाने के लिए किसान का ट्रैक्टर बुलवाया जाता है, तो उसे सरकारी मद से भाड़ा दिया जाए.
  • जहां कम हॉर्सपावर के ट्रांसफार्मर हैं, वहां बिजली विभाग के कर्मचारियों ने अधिक लोगों को कनेक्शन दे दिया, जिससे लोड अधिक हो गया और किसानों की मोटर से पानी नहीं आ रहा.
  • राजस्व में 2012 में कम्प्यूटर आया. हमारा पूरा रिकार्ड कम्प्यूटर में चला गया. जब कागज को पढ़कर कम्प्यूटर में चढ़ाया गया तो पढ़ने वालों ने राम लाल पढ़ा और लिखने वाले रामू लिख दिया. इसी तरह पढ़ने वाले ने 52 बोला तो लिखने वाले ने 22 लिखा.
  • ये किसानों की गलती नहीं है, लेकिन जब किसान राजस्व रिकार्ड में इस गलती को सुधरवाने जाता है, तो उससे पैसा मांगा जाता है.
  • इसी तरह वन विभाग ने ड्रोन से नक्शे लिए, लेकिन किसानों के पास तो 1952 का नक्शा है, जो राजस्व रिकार्ड में दर्ज है. इस जमीन की किसानों के पास रजिस्ट्री भी है. लेकिन अब किसानों को वन विभाग वाले खेती नहीं करने दे रहे.


ये हैं किसानों की मुख्य मांगे

किसानों ने आवेदनों से भरा एक थैला डिप्टी सीएम को सौंपा है. इसमें नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, बटांकन, ऑनलाइन रिकॉर्ड और नक्शा सुधार जैसे आवेदन हैं. किसानों ने शासन से ये मांग की हैं.

  • हॉर्स पावर क्षमता वृद्धि वापस ली जाने की मांग.
  • जले ट्रांसफार्मर और लाइनें समय सीमा में बदली जाने की मांग.
  • डीएपी, यूरिया खाद सहकारिता के माध्यम से नगद वितरण और समय पर करने की मांग.
  • सभी मंडियों में फ्लेट कांटों से तुलाई अनिवार्य करने की मांग.
  • मंडी परिसर में ही फसल के भुगतान व्यवस्था की मांग.
  • नकली दूध बनाने वालों पर भी सख्त कार्रवाई करने की मांग.
  • प्रदेश में गो-अभ्यारण्य बनाने की मांग
  • प्रस्तावित और स्वीकृत नहरों का काम जल्दी पूरा करने की मांग.
  • सभी फसलों को एमएसपी में शामिल करने की मांग
  • किसानों के खिलाफ चल रहे झूठे प्रकरणों को वापस लेने की मांग.
  • धान 3100 रुपये क्विंटल और गेंहू 2700 रुपये क्विंटल खरीदने की मांग.
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