भोपाल। मध्यप्रदेश में गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ संवर्धन बोर्ड ने प्रदेश की मोहन सरकार से 2003 तक गौसदन के लिए आरक्षित 6700 एकड़ भूमि वापस मांगी है. यह बोर्ड अब वन विभाग के पास है. बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज ने कहा है कि सरकार या तो वन विभाग से यह भूमि वापस दिलाए या फिर सड़क किनारे के सूखे जंगल की भूमि दिलाई जाए. यहां गौवंश वन्य विहार बनाए जाएंगे.
इसलिए गौशाओं की हालत खराब
उन्होंने कहा कि इसका बजट भी 300 करोड़ किया जाना चाहिए. धन के अभाव में गौवंश भूखा नहीं रहना चाहिए. गौ संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज कहते हैं कि कमलनाथ सरकार द्वारा हर पंचायत में गौशाला खोलने का निर्णय लिया था, लेकिन गौशाला चलाना सरकार का काम नहीं है. गौशालाएं शुरूआत में समूहों के हवाले की गईं. लेकिन इससे आय न होने की वजह से अधिकांश समूहों की रुचि इसमें नहीं रही. अब गौशालाओं को एनजीओ को सौंपा जा रहा है.
प्रदेश में ये है गौशालाओं की स्थिति
मध्यप्रदेश में अभी 2400 गौशालाएं चल रही हैं. इसमें से 600 एनजीओ को सौंपी गई हैं. बाकी ग्राम पंचायतें चला रही हैं. इन गौशालाओं में 3 लाख गौवंश है. गौशालाओं के लिए 15 रुपए नगद और 5 रुपए का सुदान कुल 20 रुपए हर रोज के हिसाब से सरकार द्वारा बजट दिया जा रहा है, लेकिन यह काफी कम है. सरकार को इसे बढ़ाकर 40 रुपए प्रतिदिन करना चाहिए. सरकार को बोर्ड का बजट भी 300 करोड़ करना चाहिए. अभी सिर्फ 170 करोड़ का बजट ही मिल पाया है, यह राशि बढ़ाई जानी चाहिए.
जंगल के पास बनाएंगे वन्य विहार
गौ संवर्धन बोर्ड ने प्रदेश की मोहन यादव सरकार से गौ सदन के लिए 2003 तक आरक्षित 6700 एकड़ भूमि वापस मांगी है. बोर्ड के उपाध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज कहते हैं कि 2003 के पूर्व की सरकार ने गौ सदन को खत्म कर दिया था, जिसके बाद यह भूमि वन विभाग को वापस चली गई थी. सरकार वन विभाग यह 6700 एकड़ भूमि या फिर सड़क से सटी सूखे जंगल उपलब्ध कराए. यहां गौवंश वन्य विहार बनाए जाएंगे. वे जंगल में चरने जाएं और वापस आ जाएं.
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यहां बनेंगे वन्य विहार
वन्य विहार के लिए जबलपुर, टीकमगढ़, खरगौन, मंदसौर, सीहोर, पन्ना, सागर, शिवपुरी में गौवंश वन्य विहार बनाए जाने की योजना है. प्रदेश में अभी 2400 गौशालाएं चल रही हैं. इसमें से 600 गौशालाएं एनजीओ द्वारा संचालित की जा रही हैं, जबकि बाकी ग्राम पंचायत के हवाले हैं. इन गौशालाओं में 3 लाख गौवंश को रखा गया है. इसके बाद भी करीबन डेढ़ लाख गौवंश अभी सड़कों पर है.