भोपाल: मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सरकार ने डेडलाइन तय कर दी है. अब ऐसे अधिकारी कर्मचारी विभाग में सांठगांठ कर कार्रवाई से बच नहीं सकेंगे. ऐसे सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ संबंधित विभागों को समय सीमा में प्रकरण चलाने की अनुमति देनी होगी. केन्द्र सरकार के पत्र के बाद अब राज्य सरकार ने सभी विभागों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि अभियोजन स्वीकृति देने में अब समय सीमा में ही काम करना होगा. कुछ खास प्रकरण में एक माह का अतिरिक्त समय मिलेगा.
तीन माह में स्वीकृति देने के निर्देश
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देश में कहा है कि कर्मचारी अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति के आवेदन मिलने के तीन माह के अंदर इसे जारी करना होगा. मामले में विधिक राय और अन्य कारणों को देखते हुए कुछ मामलों में एक माह का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है. राज्य सरकार ने यह आदेश भारत सरकार कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय से प्राप्त पत्र के बाद जारी किया है. इस पत्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 में साल 2018 में किए गए संशोधन का हवाला दिया गया है. इसमें अभियोजन स्वीकृति की समय सीमा निर्धारित की गई है.
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कार्रवाई में आएगी तेजी
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है. प्रदेश में 274 प्रकरण ऐसे लंबित हैं, जिनमें अभियोजन स्वीकृति न मिलने की वजह से कार्रवाई शुरू नहीं हो पा रही. इसको लेकर ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त विभागों को पत्र लिख चुके हैं. इनमें 35 कलेक्टर, एसडीएम सहित 27 विभागों के अधिकारी कर्मचारी शामिल हैं. कई मामलों में तो आरोपी अधिकारी कर्मचारी या तो रिटायर्ड हो गए या फिर वे सरकारी नौकरी ही छोड़ चुके हैं.