ग्वालियर. 2023 में जब मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस के लिए ग्वालियर चंबल अंचल एक सफल क्षेत्र रहा क्योंकि यहां की 34 में से 16 सीट कांग्रेस के हिस्से में आई थी और इसके बाद से ही कांग्रेस इस क्षेत्र को अपना मजबूत हिस्सा मान रही थी. लेकिन जब 2024 के लोकसभा चुनाव आए तो कांग्रेस की लुटिया डूब गई और इसकी एक बड़ी वजह क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं की आपसी खींचतान और गुटबाजी कही जा रही है.
कांग्रेस को खली स्टार प्रचारकों की कमी
किसी भी चुनाव में पार्टी के प्रमुख प्रचारक यानी स्टार प्रचारकों की अहम भूमिका मानी जाती है. प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगने और उसका प्रचार करने जब कोई बड़ा नेता यानी स्टार प्रचारक पहुंचता है तो इसका गहरा असर क्षेत्र की जनता पर पड़ता है. लेकिन इस बार मध्य प्रदेश में खासकर ग्वालियर चंबल अंचल में यह स्टार प्रचारक मानो गायब से रहे. फिर चाहे वे कमलनाथ हों जो सिर्फ अपने बेटे नकुलनाथ तक सिमट कर रह गए या चाहे पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हों, जिनका इस क्षेत्र में रसूक तो अच्छा था लेकिन उन्होंने भी अपना क्षेत्र छोड़कर पार्टी के लिए प्रचार करने कदम आगे नहीं बढ़ाए. भिंड और मुरैना में तो प्रियंका और राहुल गांधी ने तक दौरे किए लेकिन ग्वालियर क्षेत्र में कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा प्रचार के लिए नजर नहीं आया ना ही कोई बड़ा नेता अपने प्रत्याशियों के साथ दिखाई दिया.
टिकट बंटवारे को लेकर रही अंदरूनी कलह!
हार की सिर्फ कांग्रेस के लिए यही वजह नहीं थी. एक बड़ी वजह कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट बंटवारे और नाम घोषणा में हुई देरी भी मानी जा रही है क्योंकि अंतिम समय में टिकट फाइनल करने से प्रत्याशियों को प्रचार प्रसार के लिए ठीक से समय ही नहीं मिल पाया. फिर चाहे वह ग्वालियर लोकसभा से खड़े हुए प्रवीण पाठक हो या मुरैना सीट पर प्रत्याशी रहे सत्यपाल सिंह सिकरवार. दोनों के ही टिकट अंतिम समय पर हुए ऐसे में उन्हें क्षेत्र कर करने के लिए पर्याप्त समय ही नहीं मिल पाया और आखिर में पार्टी को हर का सामना करना पड़ गया. हालांकि, कहा ये भी जा रहा था कि कोई भी प्रत्याशी हार के डर से चुनाव नहीं लड़ना चाह रहा था.
कांग्रेस का आरोप- न्याय संगत नहीं रहा चुनाव
भले ही देश भर में बीजेपी 240 सीट लाई हो लेकिन मध्य प्रदेश में भाजपा की ऐतिहासिक जीत की चर्चा सभी जगह है. कांग्रेस की इस करारी हार और भाजपा पर लगाए जा रहे कई तरह के आरोप को लेकर अब बीजेपी और कांग्रेस भी आमने-सामने है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष आरपी सिंह ने कहा, '' जनता का निर्णय पार्टी को स्वीकार है लेकिन यह चुनाव न्याय संगत नहीं रहा. सभी दलों को बराबरी का मौका मिलता है लेकिन विरोधी पार्टी यानी मोदी सरकार ने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए हर प्रयास किया आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए कांग्रेस के सभी अकाउंट फ्रीज कर दिए उनके नेताओं पर सीबीआई और ईडी के छापे डलवाए.''
'आर्थिक कमजोरी के बावजूद कांग्रेस ने दी कड़ी टक्कर'
आरपी सिंह कहते हैं, '' इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि आज चुनाव लड़ने के लिए धन बल की अति आवश्यकता होती है. बावजूद इसके जब कांग्रेस पार्टी के सभी अकाउंट फ्रीज थे, कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन ने अच्छा परफॉर्मेंस दिया और कड़ी टक्कर दी.'' हालांकि, स्टार प्रचारकों की कमी और दूरी बनाने को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कहीं भी गुटबाजी नहीं थी लेकिन आर्थिक रूप से कमजोरी यानी धन की कमी होने यह चुनाव उसे स्तर से नहीं लड़ा जा सका जिस हिसाब से चुनाव होना चाहिए था.
बीजेपी ने कांग्रेस की हार पर कसा तंज
यहां जब कांग्रेस हार के बाद लगातार आरोप के तीर छोड़ रही है इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने भी कांग्रेस को आईना दिखाया है. भाजपा नेता और पार्टी के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने कांग्रेस की हार पर जमकर चुटकी ली. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अनुशासन की बधाई देना चाहते हैं क्योंकि, जिनके प्रदेश के नेताओं ने कह दिया था कि पार्टी जाए तेल लेने, तो कार्यकर्ताओं ने भी वह काम बखूबी किया. यह पहली बार नहीं है, यह तो कांग्रेस की फितरत बन चुकी है