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कमलनाथ के गढ़ को ध्वस्त करने वाले विवेक साहू को मिली बड़ी जिम्मेदारी, जिले में रोजगार की बढ़ी उम्मीदें

छिंदवाड़ा सांसद बंटी विवेक साहू बने कोयला एवं खान मंत्रालय की सलाहकार समिति में सदस्य. जिले के लोगों को मिलेगा रोजगार.

Chhindwara MP Bunty Vivek Sahu
छिंदवाड़ा सांसद बंटी विवेक साहू (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

छिंदवाड़ा: कमलनाथ की बेटे नकुलनाथ को लोकसभा का चुनाव हराकर छिंदवाड़ा से चुनाव जीतने वाले सांसद बंटी विवेक साहू को कोयला एवं खान मंत्रालय की सलाहकार समिति में सदस्य बनाया गया है.

क्या काम करती हैं केंद्र सरकार की सलाहकर समितियां

भारत सरकार ने कोयला मंत्रालय और खान मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति का गठन किया है. जिसमें सांसद बंटी विवेक साहू को समिति में सदस्य नियुक्त किया गया है. कोयला और खान मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति नीतिगत मामलों तथा कार्यक्रमों और योजनाओं के संबंध में मार्गदर्शन एवं परामर्श देती है. मंत्रालय की नीति बनाने में सुझाव देने, बजट प्रावधानों में देश व मंत्रालय के हित में अपना मत रखने, मंत्रालय की नीतियों और कामकाज पर संसद सदस्यों और केंद्रीय मंत्री के बीच अनौपचारिक चर्चा एवं संबंधित विषयों पर परामर्श देने का महत्वपूर्ण कार्य करती है. इसके पहले सांसद बंटी विवेक साहू उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति के सदस्य नियुक्त किए गए थे. पिछले दिनों दिल्ली में हुई इस समिति की बैठक मे वे शामिल हुये थे, जिसमे उन्होंने अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी समिति के सामने रखे थे.

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कोयला खदानों में रोजगार को लेकर फिर जगी उम्मीदें

छिंदवाड़ा जिले में वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की 67 खदानें संचालित होती थीं, जिनमें पेंच एरिया और कन्हान एरिया शामिल हैं. लेकिन अब इनमें से अधिकतर खदानें बंद हो चुकी हैं. तीन खदानों को निजी क्षेत्र को दिया जा चुका है. सांसद बंटी विवेक साहू को कोयला एवं खान मंत्रालय की सलाहकार समिति का सदस्य बनने से जिले की जनता को उम्मीद जगी है कि कोयला खदानें फिर से शुरू होंगी जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा.

कोयला खदानें बंद होने से जिले में बेरोजगारी का आलम

छिंदवाड़ा जिले का परासिया और जुन्नारदेव विधानसभा कोयलांचल के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां पर कोयले की खदाने संचालित होती हैं. लेकिन धीरे-धीरे खदानें बंद होने से जिले में रोजगार का संकट ज्यादा गहरा गया है. कोयला खदानें संचालित होने से खदानों में न सिर्फ लोगों को रोजगार मिलता था बल्कि इसकी वजह से स्थानीय स्तर के व्यापार को भी काफी फायदा पहुंचता था.

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