सागर: मध्य प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के रहन-सहन से जुड़े नियम-कानून के लिए 1986 में जेल मैनुअल तैयार किया गया था. तब से अब तक 56 साल हो गए और उसी पूराने जेल मैनुअल से जेलों की व्यवस्था संचालित हो रही है. लेकिन अब विभिन्न कोर्ट के दिशा-निर्देश और केंद्र सरकार की सिफारिश के बाद मध्य प्रदेश की जेलों में नया जेल मैनुअल लागू किया जा रहा है. इसकी तैयारी अंतिम दौर में चल रही है. यह मैनुअल विधानसभा में पारित हो चुका है और इसको 1 जनवरी 2025 से प्रदेश में लागू भी कर दिया जाएगा.
1968 में बदला गया था अंग्रेजों का बनाया जेल मैनुअल
भारत में जब अंग्रेजों का राज था, तो खासकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को प्रताड़ित करने के हिसाब से 1894 में कारागार अधिनियम के तहत जेल मैनुअल तैयार किया गया था, जिसे 1968 में मध्य प्रदेश में 'मप्र कारागार नियम 1968' से संशोधित किया गया था. इसके बाद से अब तक 1968 में बने कानून के तहत जेलों का प्रबंधन चल रहा है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में जेलों के अंदर कई ऐसी गतिविधियां होने लगी हैं, जिनपर नियंत्रण के लिए नया मैनुअल बनाया गया है.
साल 1968 में जब जेलों को संचालित करने के लिए नियम-कानून बना था, तो उस समय इलेक्ट्रॉनिक क्रांति नहीं आयी थी. तब मोबाइल और कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी नहीं थे, जिनका उपयोग आज अपराध जगत में होने लगा है और जेलों में भी शातिर अपराधियों के पास पहुंच रहा है. इन सब को ध्यान में रखते हुए नया जेल मैनुअल तैयार किया गया है.
केंद्र सरकार ने 2016 में तैयार किया था आदर्श जेल मैनुअल
पूरे देशभर की जेलों में कैदियों को नियंत्रित करने वाले नियम-कानून और विनियम में जरूरी एकरूपता और समय के साथ हुए बदलाव को ध्यान में रखने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर 'आदर्श जेल मैनुअल 2016' तैयार किया गया था. केंद्र सरकार ने आदर्श जेल मैनुअल के तहत सभी राज्यों को अपने-अपने राज्य का जेल मैनुअल बनाना था.
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद देश के 11 राज्यों में जेल मैनुअल लागू हो चुका है. मध्य प्रदेश में भी यह बनकर तैयार है, पिछले विधानसभा सत्र में पारित भी हो चुका है. इसी साल 2 अक्टूबर से इसे लागू करने की तैयारी भी थी. लेकिन कुछ समस्याओं की वजह से इसे टाल दिया गया. अब 1 जनवरी 2025 से नया जेल मैनुअल लागू हो जाएगा.
नए जेल मैनुअल में बदलाव की बड़ी तैयारी
जेल महानिदेशक जी पी सिंह के अनुसार "नए जेल मैनुअल का विशेष फोकस कैदियों के कल्याण और पुनर्वास है. इसके अलावा महिला कैदियों के लिए अलग जेल, सजा के साथ रोजगार के कॉन्सेप्ट को ध्यान रखते हुए खुली जेल जैसे प्रावधान भी है. इसके अलावा जेल अधिकारियों, कर्मचारियों के अनुशासन से संबंधित नए प्रावधान भी जोड़े जाएंगे. साथ ही जेलों को अत्याधुनिक बनाने पर भी काम किया जाएगा. जेलों में बेहतर सुरक्षा प्रबंध के लिए अत्याधुनिक तकनीक के अलावा जेलों की डिजाइन बनाई जाएगी. इसके अलावा 200 साल तक पुरानी हो चुकी कई जेलों को नए सिरे से तैयार किया जाएगा."
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नशीले पदार्थ और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को लेकर कड़े प्रावधान
नए जेल मैनुअल में सबसे बड़े जो बदलाव देखने को मिलेंगे, वो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, नशीले पदार्थ और जेलों में पहुंचने वाले हथियारों की रोक को लेकर है. दरअसल, जब पिछला मैनुअल बना था तो उस समय मोबाइल जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं थे. इसलिए इनके जेलों में पहुंचने या पाए जाने के मामलों को लेकर कोई प्रावधान नहीं था. कुछ ऐसी ही स्थिति नशीले पदार्थों को लेकर भी है. हालांकि पुराने मैनुअल में नशीले पदार्थों को लेकर प्रावधान थे. लेकिन तब से लेकर आज तक नशीले पदार्थ कई वैरायटी के आने लगे हैं. जिन्हें जेल मैनुअल में शामिल कर सजा का प्रावधान किया गया है.