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'...हिंदू राष्ट्र संभव नहीं', संविधान पर चर्चा के बीच पुरी शंकराचार्य का बड़ा बयान, पीएम मोदी पर साधा निशाना - HINDU RASHTRA

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पुणे में कहा कि देश को परिस्थिति के अनुसार सनातन सिद्धांत का पालन करना होगा.

Hindu Rashtra not possible under current constitution Shankaracharya Swami Nischalananda Saraswati
पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 17, 2024, 10:59 PM IST

पुणे : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की है. संसद में संविधान पर चर्चा के बीच पुरी शंकराचार्य ने मंगलवार को कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकते. संविधान की सीमाओं के भीतर ऐसा नहीं हो सकता. मजबूरी की स्थिति में मोदी हिंदू राष्ट्र की घोषणा नहीं कर सकते."

उन्होंने कहा, "विकास का नाम लेते हुए विकास ने ही उन्हें (पीएम मोदी) हरा दिया है. मोदी को एक तरफ नीतीश कुमार और दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू के कंधे पर हाथ रखकर चलना पड़ा. उन्होंने भगवान श्री राम का मंदिर भी बनवाया, लेकिन अयोध्या में हार गए, बीजेपी कई अन्य जगहों पर भी हारती नजर आई."

वैदिक संविधान का नाम मनुस्मृति...
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी राय रखी. इस दौरान शंकराचार्य ने कहा, "देश को परिस्थिति के अनुसार सनातन सिद्धांत का पालन करना होगा. हिंदू राष्ट्र का स्वरूप सभ्य, सुरक्षित, शिक्षित और समृद्ध है. वैदिक संविधान का नाम मनुस्मृति है. जीवन को सार्थक बनाने के लिए मनु ने जो कहा है, उसका पालन करना चाहिए. हिंदुओं को अपने परिवार तक सीमित नहीं रहना चाहिए. तभी उन्हें वह सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं."

हिंदू राष्ट्र बनना संभव...
निश्चलानंद सरस्वती ने आगे कहा, "हिंदू राष्ट्र बनना संभव है, क्योंकि हमारे पूर्वज सनातन वैदिक आर्य हिंदू थे. इसलिए भारत के हिंदू राष्ट्र बनने में कोई समस्या नहीं है. भारत विश्व गुरु है. संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भारत आते हैं, इसलिए भारत विश्व गुरु है."

इससे पहले, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में धर्म सभा में आरएसएस पर जोरदार हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि किसी के पास बाइबिल है, किसी के पास कुरान है, किसी के पास गुरु ग्रंथ साहिब है. लेकिन आरएसएस के पास कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है. शंकराचार्य ने यह भी सवाल उठाया था कि ऐसी स्थिति में वे किस आधार पर काम करेंगे और शासन करेंगे. शंकराचार्य ने बिलासपुर के सीएमडी कॉलेज के मैदान में एक बड़ी धर्मसभा आयोजित की थी. उस अवसर पर शंकराचार्य ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था और देश की स्थिति पर टिप्पणी की थी.

यह भी पढ़ें- 'संविधान में संशोधन का प्रावधान आर्टिकल 368 के तहत संविधान में ही है', राज्यसभा में बोले अमित शाह

पुणे : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की है. संसद में संविधान पर चर्चा के बीच पुरी शंकराचार्य ने मंगलवार को कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकते. संविधान की सीमाओं के भीतर ऐसा नहीं हो सकता. मजबूरी की स्थिति में मोदी हिंदू राष्ट्र की घोषणा नहीं कर सकते."

उन्होंने कहा, "विकास का नाम लेते हुए विकास ने ही उन्हें (पीएम मोदी) हरा दिया है. मोदी को एक तरफ नीतीश कुमार और दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू के कंधे पर हाथ रखकर चलना पड़ा. उन्होंने भगवान श्री राम का मंदिर भी बनवाया, लेकिन अयोध्या में हार गए, बीजेपी कई अन्य जगहों पर भी हारती नजर आई."

वैदिक संविधान का नाम मनुस्मृति...
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पुणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी राय रखी. इस दौरान शंकराचार्य ने कहा, "देश को परिस्थिति के अनुसार सनातन सिद्धांत का पालन करना होगा. हिंदू राष्ट्र का स्वरूप सभ्य, सुरक्षित, शिक्षित और समृद्ध है. वैदिक संविधान का नाम मनुस्मृति है. जीवन को सार्थक बनाने के लिए मनु ने जो कहा है, उसका पालन करना चाहिए. हिंदुओं को अपने परिवार तक सीमित नहीं रहना चाहिए. तभी उन्हें वह सम्मान मिलेगा, जिसके वे हकदार हैं."

हिंदू राष्ट्र बनना संभव...
निश्चलानंद सरस्वती ने आगे कहा, "हिंदू राष्ट्र बनना संभव है, क्योंकि हमारे पूर्वज सनातन वैदिक आर्य हिंदू थे. इसलिए भारत के हिंदू राष्ट्र बनने में कोई समस्या नहीं है. भारत विश्व गुरु है. संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भारत आते हैं, इसलिए भारत विश्व गुरु है."

इससे पहले, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में धर्म सभा में आरएसएस पर जोरदार हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि किसी के पास बाइबिल है, किसी के पास कुरान है, किसी के पास गुरु ग्रंथ साहिब है. लेकिन आरएसएस के पास कोई धार्मिक ग्रंथ नहीं है. शंकराचार्य ने यह भी सवाल उठाया था कि ऐसी स्थिति में वे किस आधार पर काम करेंगे और शासन करेंगे. शंकराचार्य ने बिलासपुर के सीएमडी कॉलेज के मैदान में एक बड़ी धर्मसभा आयोजित की थी. उस अवसर पर शंकराचार्य ने धर्म के प्रति लोगों की आस्था और देश की स्थिति पर टिप्पणी की थी.

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