भोपाल: मध्य प्रदेश के सतपुड़ा क्षेत्र के इतिहास से जल्द ही पर्दा उठने वाला है. अब जर्मन शोधकर्ता इस क्षेत्र में मिले 20 करोड़ साल पहले के जीवाश्मों पर शोध करेंगे. इसके लिए प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में जर्मनी के स्टटगार्ट स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ताओं और मध्य प्रदेश के अधिकारियों के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
ट्राइएसिक युग के जीवाश्मों पर होगा संयुक्त शोध
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जर्मनी दौरे पर स्टटगार्ट स्थित स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री का भ्रमण किया. इस दौरान मध्य प्रदेश सरकार और जर्मनी के शोधकर्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. एमओयू से सतपुड़ा क्षेत्र में पाए गए ट्राइएसिक युग के जीवाश्मों पर संयुक्त शोध किया
जा सकेगा.
इससे भारतीय और जर्मन शोधकर्ता प्राचीन डाइनोसॉर और उनके समकालीन प्रजातियों के पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में मदद करेंगे. यह शोध विशेष रूप से उन पारिस्थितिकीय स्थितियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिनमें ये प्रजातियां पाई जाती थीं.
जीवाश्मों पर किया जाएगा अनुसंधान
एमओयू हो जाने से अब सतपुड़ा क्षेत्र में नई खुदाई की जाएगी, जिससे ट्राइएसिक कॉन्टिनेंटल पर्यावरण और जलवायु के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त हो सकेगी. इस सहयोग का उद्देश्य जीवाश्मों की खुदाई, संरक्षण और प्रदर्शनी की प्रक्रिया को सुगम बनाना है. इसे मध्य प्रदेश के राज्य संग्रहालय के माध्यम से प्रदर्शित और प्रकाशित किया जाएगा. साथ ही वैश्विक शोधकर्ताओं के लिए इन जीवाश्मों पर अनुसंधान भी किया जाएगा.
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बता दें कि स्टटगार्ट स्टेट म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री अधिकारिक रूप से 1791 में स्थापित किया गया था. यह जर्मनी के सबसे पुराने प्राकृतिक ऐतिहासिक म्यूजियमों में से एक है. इसमें प्राचीन जीवाश्म और डायनासोरों के अवशेषों का विशाल संग्रह है. इसमें लगभग 11 मिलियन से अधिक वस्तुएं भी संग्रहित हैं.
नर्मदा किनारे लाखों वर्ष पुराने अवशेष
मध्य प्रदेश की जीवनदायनी मां नर्मदा अपने अंदर कई इतिहास समेटे हुए है. इसका प्रमाण नर्मदापुरम के तटीय क्षेत्र से मिलता है. यहां लाखों वर्ष पहले के प्रमाण मिलते हैं. यहां मिले करीब दो लाख वर्ष पहले के मैमथ (हाथी) दांत के जीवाश्म से इसकी पुष्टि होती है. नर्मदा के तटीय क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल का इतिहास देखने को मिलता है. दरअसल नर्मदापुरम के पुरातत्व संग्रहालय में एक हांथी दांत का जीवाश्म रखा हुआ है, जो लगभग दो लाख वर्ष पुराना है. पुरातत्व विभाग ने नर्मदापुरम में नर्मदा नदी किनारे स्थित सूरज कुंड से इस जीवाश्म को खोजा था.
धार के डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में रखे हैं कई जीवाश्म
धार स्थित डायनासोर जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान में कई ऐसे जीवाश्म रखे हैं, जिन्हें सतपुड़ा क्षेत्र में पाया गया है. ये लाखों वर्ष पुराने हैं. इनमें शाकाहारी डायनासोर के 65 मिलियन वर्ष पुराने पेटीकृत अंडे, जिन्हें इतिहास में पाए गए सबसे बड़े अंडों में से एक माना जाता है. सारोपाड और एबेलिसारस डायनासोर की 65 से 100 मिलियन वर्ष पुरानी हड्डी के अवशेष, जिन्हें इतिहास में सबसे बड़े स्थलीय जानवरों में से एक माना जाता है.
इसके साथ ही नर्मदा घाटी में मिले शार्क मछली के 74 से 100 करोड़ साल पुराने अवशेष और नर्मदा घाटी के 70 मिलियन वर्ष पुराने आसमान छूते पेड़ शामिल हैं. नर्मदा जल में करीब 86 मिलियन वर्ष पुराने जीवाश्म समुद्री जीव के भी पाए गए हैं. अब इन पर एक बार फिर नए सिरे से शोध किया जाएगा.