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किसी की मौत पर अंतिम संस्कार के लिए खुद बनाना पड़ता है टीनशेड का श्मशान, यहां मौत के बाद भी नहीं सुकून - Village with no cremation facility

कहते हैं मौत ही परम सत्य है और अंतिम संस्कार के बाद आत्मा एक सुकून भरी यात्रा पर निकल जाती है, लेकिन मुरैना के एक गांव में ऐसी स्थिति है कि मरने के बाद भी सुकून न मिले. ये कहना है जिले की जौरा तहसील के गैपरी गांव का. जहां अगर किसी की मौत हो जाए अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को खुद टीनशेड का श्मशान बनाना पड़ता है.

Morena village gepri VILLAGE WITH NO CREMATION FACILITY
यहां मौत के बाद भी नहीं सुकून (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 12:27 PM IST

मुरैना. जिले की जौरा तहसील के गैपरी गांव की यह तस्वीर एक बार फिर सिस्टम की पोल खोलती नजर आ रही है. गांव में न तो श्मशान घाट की व्यवस्था है और ना ही टीनशेड की. यहां तो खुद से बल्ली के ऊपर टीन लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है. हाल ही में गैपरी गांव में एक दलित किसान बाबूलाल जाटव का आक्समिक निधन हो गया, जिसके बाद श्मशान ले जाने के लिए तैयारी कर ली गई. श्मशान ले जाते वक्त जहां एक ओर परिजनों को दलदली रास्ते से गुजरना पड़ा तो दूसरी ओर श्मशान घाट में टीनशेड और दाह संस्कार के लिए व्यवस्था न होने से काफी परेशान होना पड़ा.

देखें वीडियो (Etv Bharat)

मृतक के परिजनों का दर्द

मृतक के परिजन राजेंद्र त्यागी ने कहा, '' पहले शमशान बना हुआ था लेकिन यहां से टीन शेड गायब हो गया और केवल जमीन बची है. वहीं रास्ता भी पूरी तरह से कीचड़ से भरा हुआ है और रास्ते में कांटे और पेड़ भी है जिससे हमें परेशानी होती है. इसकी शिकायत सरपंच और सचिव से भी की पर कुछ नहीं हुआ. मजबूरी में लोगों को बल्ली गाड़कर खुद टीन लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है.''

Morena village no cremation facility
अंतिम संस्कार से पहले टीनशेड लगाते मृतक के परिजन (Etv Bharat)

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एडीएम ने कहा-

इस मामले में एडीएम सीबी प्रसाद ने कहा, '' शासन की ओर से ग्राम पंचायतों में श्मशान बनवाएं जाते हैं. ये काम जनपद का होता है. गेपरी गांव में जगह है लेकिन टीनशेड नहीं है, जैसी आपने पुष्टि की है. इसके लिए जिला पंचायत विभाग को बोला जाएगा की वहां टीनशेड की व्यवस्था की जाए.''

मुरैना. जिले की जौरा तहसील के गैपरी गांव की यह तस्वीर एक बार फिर सिस्टम की पोल खोलती नजर आ रही है. गांव में न तो श्मशान घाट की व्यवस्था है और ना ही टीनशेड की. यहां तो खुद से बल्ली के ऊपर टीन लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है. हाल ही में गैपरी गांव में एक दलित किसान बाबूलाल जाटव का आक्समिक निधन हो गया, जिसके बाद श्मशान ले जाने के लिए तैयारी कर ली गई. श्मशान ले जाते वक्त जहां एक ओर परिजनों को दलदली रास्ते से गुजरना पड़ा तो दूसरी ओर श्मशान घाट में टीनशेड और दाह संस्कार के लिए व्यवस्था न होने से काफी परेशान होना पड़ा.

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मृतक के परिजनों का दर्द

मृतक के परिजन राजेंद्र त्यागी ने कहा, '' पहले शमशान बना हुआ था लेकिन यहां से टीन शेड गायब हो गया और केवल जमीन बची है. वहीं रास्ता भी पूरी तरह से कीचड़ से भरा हुआ है और रास्ते में कांटे और पेड़ भी है जिससे हमें परेशानी होती है. इसकी शिकायत सरपंच और सचिव से भी की पर कुछ नहीं हुआ. मजबूरी में लोगों को बल्ली गाड़कर खुद टीन लगाकर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है.''

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एडीएम ने कहा-

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